卷八

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深察乎此,泛然依人,謂三百篇為詩之祖,奚當也! 【東山四章,章十二句】 破斧 既破我斧,又缺我斨。

    周公東征,四國是皇。

    哀我人斯,亦孔之将!本韻。

    ○比而賦也。

    下同。

     既破我斧,又缺我锜。

    周公東征,四國是吪。

    哀我人斯,亦孔之嘉!本韻。

     既破我斧,又缺我銶。

    周公東征,四國是遒。

    哀我人斯,亦孔之休!本韻。

     此四國「四國」解見下。

    之民美周公之詩。

    中有「哀我人斯」句,明是民矣。

    大序謂「周大夫」,非也。

    集傳謂「軍士答周公前篇」,尤武斷。

    其以為軍士作者,以有「我斧」、「我斨」等字也。

    然非此解。

    見下。

     每章首二句,是比。

    以斧比周公;以斨、锜、銶比成王。

    猶雲「既危我周公矣,又将危及我成王」也。

    鄭氏曰「四國流言,既破毀我周公,又損傷我成王,以此二者為大罪」,得之。

    自歐陽氏誤以斧、斨為殺伐之用;集傳從之。

    嚴氏已不信,謂「詩人言兵器必曰弓、矢、幹、戈、矛、戟,無言斧、斨、锜、銶者。

    斧與斨并言,乃豳人所用之采桑者。

    又锜為鑿屬,銶為木屬,皆非兵器」,是已。

    按下篇雲「伐柯伐柯,匪斧不克」,尤可證。

    然其謂「行師有除道、樵蘇之事,故用斧、斨」, 則迂矣;況非此解乎!「四國」,商與管、蔡、霍也。

    毛氏謂管、蔡、商、奄,非也。

    其時奄已封魯矣。

    集傳謂「四方之國」。

    何玄子曰:「書多方篇曰『告爾四國多方』,既于『四國』之下複言『多方』,則四國非泛指四方明矣。

    」 【破斧三章,章六句】 伐柯 伐柯、伐柯,匪斧不克。

    取妻如何匪媒不得。

    本韻。

    ○比也。

     伐柯、伐柯,其則不遠。

    我觏之子,笾豆有踐。

    本韻。

    ○比而賦也。

     周人喜周公還歸之詩。

     齊風曰「析薪如之何匪斧不克。

    取妻如之何匪媒不得」,與此同。

    蓋必當時習語,故首章全用為比。

    下章又單承「伐柯」為比,謂伐柯者以斧,則「其則不遠」矣;今我觏此之子,則「笾豆有踐」矣。

    「之子」,指周公也。

    「笾豆有踐」,言周公歸,其待之禮如此也。

    通篇正旨在此二句。

    舊解太支離。

    集傳分首章為欲見周公之難,次章為得見周公之易,亦臆解。

    且以末二句皆為比體,承上「取妻」而言。

    按下篇「我觏之子」,明指周公,則此當不異;而「笾豆有踐」亦不似同牢語也。

     【伐柯二章,章四句。

    】 九罭 九罭之魚,鳟、鲂。

    我觏之子,衮衣、繡裳。

    本韻。

    ○興也。

     鴻飛遵渚。

    公歸無所,于女信處。

    本韻。

    ○興也。

     鴻飛遵陸。

    公歸不複,于女信宿。

    本韻。

    ○興也。

     是、以、有、衮、衣、兮,無、以、我、公、歸、兮,無、使、我、心、悲、本韻。

    兮、!賦也。

    [評]忽入急調,扳留情狀如見。

     大序謂「周大夫刺朝廷之不知」,其說甚支離。

    鄭氏以「鴻飛」二章為周人曉東都人之詞,于末章又言「東都人以公西歸而心悲」,前後不貫。

    嚴氏以「鴻飛」二章為西人謂東人,末章為東人答西人,亦鑿。

    集傳以為皆東人作,是已。

    但以首章為「周公居東之時,東人喜得見之」,又未然。

    下章皆言公歸,周公居東已二年,豈方喜得見便即歸乎蓋此詩東人以周公将西歸,留之不得,心悲而作。

    首章以「九罭」「鳟、鲂」為興,追憶其始見也。

    二章、三章以「鴻遵渚、陸」為興,見公歸将不複矣;暫時信處、信宿于女耳。

    「女」者,指公于我;公以我為「女」也。

    末章乃道其情焉。

     解此詩者,最多執滞。

    于「九罭」或以為小網,或以為大網;于「衮衣、繡裳」以為迎歸之服;于「遵渚」、「遵陸」或以為鴻不宜在渚、陸,或以為鴻當在渚不當在陸;于「女」字或以為東人指西人,或以為西人指東人:皆非。

    集傳隻取大意,得之。

     【九罭四章:一章四句,三章章三句。

    】 狼跋 狼跋其胡,載疐其尾。

    公孫碩膚,赤。

    舄。

    幾。

    幾。

    本韻。

    ○比而賦也。

    下同。

    [評]意。

     狼疐其尾,載跋其胡。

    公孫碩膚,德音不瑕。

    本韻。

     此美周公之詩。

     此反比也。

    「幾幾」正「跋」、「疐」之反。

    章法奇變。

     狼之跋胡、疐尾也,毛傳以為「有胡」,殊混。

    嚴氏以為「落」;或以為「食滿」。

    大抵此等處不能詳求,亦不必詳求耳。

     【狼跋二章,章四句】