卷之十二

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都感發興起,莫不改其澆薄歸于淳厚。

    由是化行俗美,于變時雍,信能升于大道之世,而無複梗化之民也已。

    世治民安,則予一人,得以垂拱于上,膺受多福;其在于爾,也大有休美,而名譽光顯,終将傳誦于來世矣。

    爾可不勉圖之哉!”按:此篇之言,甚切于治道。

    君陳所以成和中之治,曆三紀而世變風移,皆本于此。

    其篇中“敬典在德”一言,尤為綱要。

    蓋以教化為先務,以修德為本原,自古帝王修身緻治,用此道也。

    先儒謂《君陳》一命,乃成王真得實造之學。

    君天下者,宜留意于斯。

     顧命 成王大漸之時,顧視群臣,命之輔佐康王。

    史臣錄其命詞,并叙君臣迎立康王,傳授遺诏始末,遂以顧命名篇。

     【原文】惟四月哉生魄,王不怿。

    甲子,王乃洮颒水,相被冕服,憑玉幾。

     【直解】哉生魄,是十六日。

    怿,是悅。

    洮,是洗手。

    颒,是洗面。

    相,是扶侍的人。

    憑,是倚靠。

    玉幾,是玉做的幾。

    史臣叙說,成王在位三十七年,四月十六日,感疾而不悅。

    至甲子日病勢愈重,欲命群臣輔導太子,慎重其事,乃力疾而起,以水盥手洗面,左右扶侍的人,被以衮冕之服,然後憑着玉幾以發命焉。

    夫當疾病困憊之時,猶必盥洗以緻潔,冕服以緻敬,不以污亵臨群臣,成王之克自敬德亦可見矣。

     【原文】乃同召太保奭、芮伯、彤伯、畢公、衛侯、毛公、師氏、虎臣、百尹、禦事。

     【直解】芮、彤、畢、衛、毛,都是國名。

    虎臣,是虎贲。

    百尹,是百官之長。

    成王将廢顧命,乃總召六卿等官。

    是時太保召公奭,領冢宰事,芮伯為司徒,彤伯為宗伯,畢公領司馬,衛侯為司寇,毛公領司空,及宿衛之官,師氏、虎贲,又及百官之長,與諸治事之臣,同至禦前聽命。

    蓋托後嗣,傳大位,所系甚重,故必集君臣而面命之也。

     【原文】王曰:“嗚呼!疾大漸,惟幾。

    病日臻,既彌留,恐不獲誓言嗣,茲予審訓命汝。

     【直解】漸,是進。

    幾,是幾希不絕的意思。

    臻,是至。

    嗣,是繼嗣。

    成王顧命群臣歎息說:“我之疾已大進,但幾希不絕耳。

    然病日增重,既彌甚而留連,其勢已不可起矣。

    恐一旦遂死,不得出誓言以托繼嗣之事,此我所以及未死之時,詳審發訓以命汝等。

    汝等其專心聽之可也。

    ” 【原文】“昔君文王、武王宣重光,奠麗陳教則肄。

    肄不違,用克達殷,集大命。

     【直解】宣,是著。

    奠,是定。

    麗,是民之所依。

    肄,是習。

    成王說:“昔我先君文王、武王後先相繼,能明其德。

    文王既宣著其光于前,武王又宣著其光于後,如日月之代明一般,其君德之盛如此。

    及其施之政教,則能定民所依,使寒者得衣,饑者得食,各有所倚賴。

    又以其民既富而可教,乃陳列教條以開示之,使之父子知親,君臣知義,昭然于人倫日月之理。

    由是我周之民,感其教養之澤,莫不服習而不違;風聲遠被,用能達于殷邦,罔不服從其教化。

    民心既歸,天意斯屬,遂集大命于我周矣。

    ” 【原文】“在後之侗,敬迓天威,嗣守文武大訓,無敢昏逾。

     【直解】侗,是愚。

    迓,是迎。

    成王說:“得天下固難,而守天下亦不易。

    我小子承文武之後,雖侗愚無知,然亦知天命無常至為可畏,兢兢然緻敬以迎之,不敢有一毫怠忽之心。

    于文武敬天勤民的大訓,一一承繼保守,無敢錯昧逾越。

    是以能延長世德,克享天心,而大命不至于失墜爾。

    ” 【原文】“今天降疾,殆弗興弗悟。

    爾尚明時朕言,用敬保元子钊,弘濟于艱難。

     【直解】钊,是康王的名。

    成王說:“今天降疾于我身,殆将必死,不能興起,不能醒悟矣。

    繼我而為君者,太子钊也。

    以祖宗基業之重,付之一人,可謂艱難。

    爾等庶幾明記我的言語,相與敬慎以保護太子,左右維持,使能大濟乎艱難之業,而守丕基于不墜可也。

    ” 【原文】“柔遠能迩,安勸小大庶邦。

     【直解】這下兩節,正說弘濟艱難之事。

    成王說:“人君以一身為萬民之主,雖地有遠近,皆當撫綏。

    汝必敬輔元子,于遠民則懷來而柔順之,于近民則馴擾而調習之,以盡夫撫萬民之責焉。

    人君以一身立諸侯之上,雖國有小大,皆得統禦。

    汝必敬輔元子,保安那小國,使之得以自立,勸導那大國,使之不敢自肆,以盡夫禦諸侯之責焉。

    如此,則君道克盡,而艱難庶乎可濟矣。

    ” 【原文】“思夫人自亂于威儀,爾無以钊冒貢于非幾。

    ” 【直解】亂字,解做治字。

    貢字,解做進字。

    幾,是念慮之微。

    成王又說:“人受天地之衷以生,本有動作威儀之則。

    我思夫人之所以為人者,當肅恭妝斂,自治其威儀,使一身之中,有威可畏,有儀可象,方能無愧于為人耳。

    況人君之威儀,尤天下之所瞻仰者,其可以不治乎?然欲修其身者,先正其心。

    若一念之幾微,或出于邪,則吾身之威儀,鹹失其正,尤不容于不謹者。

    汝必輔我元子,緻謹于念慮之微,以端其威儀之本,慎無引君非道,以元子钊冒進于不善之幾也。

    ” 【原文】茲既受命還,出綴衣于庭。

    越翼日乙醜,王崩。

    太保命仲桓、南宮毛,俾爰齊侯呂伋,以二幹戈、虎贲百人,逆子钊于南門之外。

    延入翼室,恤宅宗。

     【直解】綴衣,是帳幔。

    仲桓、南宮毛,是二臣姓名。

    呂伋,是太公望之子。

    逆,是迎。

    延,是引。

    翼室,是路寝的夾室。

    恤宅,是憂居。

    宗,是主。

    史臣記成王發命之時,曾設帳幔于坐次,及群臣既受顧命而退,乃撤出帳幔于庭中。

    及明日乙醜,成王遂崩。

    太保召公奉成王遺命,命仲桓、南宮毛二近臣,使齊侯呂伋,以幹戈二具、虎贲百人,往迎太子钊于路寝門之外。

    引入路寝東夾室,居憂主喪,以示繼體之有人,天位之已定也。

     【原文】丁卯,命作冊度。

     【直解】成王崩第三日丁卯,召公将傳顧命于康王,先命史官作冊書以紀其言,并定受冊的禮儀法度,如下文升階即位、禦冊受同之類。

     【原文】越七日癸酉,伯相命士須材。

     【直解】伯相,是召公。

    召公以西伯為相,故叫做伯相。

    須,是取。

    作冊後七日癸酉,成王既殡,召公命士取材木,以供喪事雜用。

     【原文】狄設黼扆、綴衣。

     【直解】狄,是官名,蓋主陳設之事者。

    黼扆,是屏風畫斧文的。

    召公将傳成王顧命,于是命狄人設屏風于禦座之後,又設帳于周圍,悉如成王生存臨禦之儀也。

     【原文】牖間南向,敷重篾席,黼純,華玉仍幾。

     【直解】牖,是窗。

    敷,是鋪設。

    篾席,是桃竹枝織成的席。

    黼,是白黑雜色的之缯。

    純,是緣。

    華玉,是五色之玉。

    仍幾,是仍設平時之幾案。

    史臣記狄人于路寝戶牖之間,向南之處,鋪設三重篾席,其席以白黑之缯為緣,仍設華玉所飾之幾。

    這是成王平日朝見群臣之坐也。

     【原文】西序東向,敷重底席,綴純,文貝仍幾。

     【直解】西序,是西廂。

    底席,是蒲席。

    綴,是雜彩。

    文貝,是海中介蟲,有黃紫雜文。

    狄人又于西廂向東去處,鋪設三重蒲席,其席以雜彩為緣,仍設文貝所飾之幾。

    這是成王平日聽事之坐也。

     【原文】東序西向,敷重豐席,畫純,雕玉仍幾。

     【直解】東序,是東廂。

    豐席,即是下文筍席。

    雕,是刻。

    狄人又于東廂向南去處,鋪設三重竹筍席,其席以采畫之缯為緣,仍設雕玉所飾之幾。

    這是成王平日養國老飨群臣之坐也。

     【原文】西夾南向,敷重筍席,玄紛純,漆仍幾。

     【直解】西夾,是路寝西邊夾室。

    筍席,是竹筍皮織成的席。

    紛,是雜。

    狄人又于路寝西邊夾室向南去處,鋪設三重竹筍席,其席以玄色缯雜為之緣,仍設漆幾。

    這是成王平日燕親屬之坐也。

    蓋牖間南向之席,乃天子負扆朝諸侯之處,坐之正也。

    其餘三坐,則随事而設。

    今将傳成王顧命,不知神之所依,于彼于此,故并設之。

     【原文】越玉五重,陳寶。

    赤刀、大訓、弘璧、琬琰,在西序。

    大玉、夷玉、天球、河圖,在東序。

    胤之舞衣、大貝、鼖鼓,在西房。

    兌之戈、和之弓、垂之竹矢,在東房。

     【直解】越,是及。

    五重,是五件珍重之玉,即弘璧、琬琰、大玉、夷玉、天球也。

    寶,是寶器,即赤刀、舞衣、大貝、鼖鼓、戈、弓、竹矢也。

    赤刀,是赤金的刀。

    大訓,是曆代帝王的谟訓。

    弘璧,是大璧。

    琬、琰,都是玉圭的名。

    夷玉,是外夷所貢的美玉。

    天球,是玉磬。

    河圖,是伏羲時河中龍馬所負之圖。

    胤之舞衣,是胤國所制的舞衣。

    大貝,即是文貝。

    鼖鼓,是大鼓,長八尺。

    兌和垂都是古時巧工的名。

    史臣記當時之所設者,又列五件重玉,陳各樣寶器。

    如赤金之刀、帝五之大訓,及弘璧、琬琰,則陳列在西序。

    大玉、夷玉及天球、河圖,則陳列在東序。

    胤國所制之舞衣及大貝、鼖鼓,則陳列在西房。

    兌所制之戈和所制之弓,垂所制之竹矢,則陳列在東房。

    此皆先王世傳之器,亦成王平日之所服禦者,故設之以寓如存之感也。

     【原文】大辂在賓階面,綴辂在阼階面,先辂在左塾之前,次辂在右塾之前。

     【直解】辂,是車駕。

    大辂,是玉辂。

    賓階,是西階,以其為賓客所升,故謂之賓階。

    綴辂,是金辂,王乘玉辂,而金辂即連綴其前,故謂之綴辂。

    阼階,是東階,以其為主人酬酢賓客之所,故謂之阼階。

    先辂,是木辂,以其辂之先,故謂之先辂。

    塾,是門側之堂。

    次辂,是象辂與革辂,以其次于木辂,故謂之次辂。

    史臣記當時又陳設五辂。

    玉辂在西階南向。

    金辂在東階南向。

    木辂在左塾之前北向,與玉辂相對。

    象辂革辂在右塾之前北向,與金辂相對。

    此皆成王平日之所乘者,故備設之,亦陳寶玉之意也。

    然儀物之陳皆以西為先者,以成王殡在西序故爾。

     【原文】二人雀弁,執惠,立于畢門之内。

    四人綦弁,執戈上刃,夾兩階戺。

    一人冕,執劉,立于東堂。

    一人冕,執钺,立于西堂。

    一人冕,執戣,立于東垂。

    一人冕,執瞿,立于西垂。

    一人冕,執銳,立于側階。

     【直解】弁,是士冠。

    雀弁,是赤色微黑,如雀頭一般。

    惠,是三稜的矛。

    畢門,是路寝之門。

    綦弁,是文鹿皮冠。

    上刃,是持刃向外。

    戺,是堂稜。

    冕,是大夫冠。

    劉、钺,都是斧類。

    東西堂,是東西廂的前堂。

    戣,是矛類。

    瞿字,當作戵字,是四稜的矛。

    東西垂,是東西廂的階上。

    銳字,當作字,也是矛類。

    側階,是東邊小階。

    此時将迎新王,故肅儀衛