七谏

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子胥。

    吳王曾封之于申,故号為“申子”。

     悉:盡。

    心:一作“餘”。

    聰:《章句》:“聽遠曰聰。

    ”不聰:即聽覺不靈敏。

     畔:通“叛”。

    離畔:指讒佞小人。

    獨行之士:指被孤立的正直的人。

     衆輕積:很多輕東西堆積在車上。

    原:指屈原。

    咎:《章句》:“過也。

    ”原咎:屈原的過錯。

    累:加。

    此句言屈原本無罪,群小傷害,各加以罪,加之者雖輕,但加之者衆,因之而變重也。

     【譯文】 想那曆史上的得失興亡, 看那群小誤君禍國事樁樁。

     堯與舜聖明仁義慈愛百姓, 後世人常稱頌永遠不忘。

     齊桓公用小人死後國亂, 管仲耿介忠直美名傳揚。

     晉獻公聽讒言被骊姬迷惑, 可憐那孝子申生慘遭禍殃。

     徐偃王行仁義不備武裝, 楚文王心恐懼将其滅亡。

     殷纣王暴虐無道身死國滅, 周得天下幸賴于呂望賢良。

     武王效法古人施恩布惠, 封比幹墓将其德昭示四方。

     天下賢俊慕周德都來親附, 人才日增天下一心國力強。

     法令嚴明治國之道好, 蘭芷縱在幽僻處也散馨香。

     我苦惱群小們對我嫉妒, 想箕子為避難裝傻佯狂。

     也想不貪忠名離鄉遠去, 怎奈心戀故國痛苦難當。

     将蕙芷聯起來做成佩帶, 經過鮑魚店就失去芬芳。

     正直之臣端正他的品行, 反遭讒人诽謗遭流放。

     世俗之人改清潔為貪邪, 伯夷甯願守節餓死首陽。

     獨行廉潔啊雖不容于世, 日後叔齊終得美名揚。

     層層烏雲遮得天昏地暗, 使得日月失去燦爛光芒。

     忠臣堅貞欲進谏, 佞人在旁讒言诽謗。

     就像百草至秋本該結實, 夜裡卻突然降下寒霜。

     急疾的西風摧殘着生物, 秋風已起百草不得生長。

     群小結黨營私而妒害賢才, 賢良反孤立無援受損傷。

     我心懷良策卻不被重用, 隻好獨居岩穴栖身隐藏。

     子胥伐楚功成卻遭讒毀, 可憐他被賜死屍首不葬。

     世人見其狀紛紛從俗媚上, 正如草木随風披靡成排成行。

     誠信正直之臣身敗名毀, 虛僞谄佞之徒身顯名揚。

     國家傾危君王才知追悔時已晚, 此時我竭盡忠心也難有回天之功。

     他們廢先王之法而不用, 一味貪求私利背離公正。

     我願懷清白終不變節, 可惜我年壽未盡還年輕。

     我要乘舟随江遠去, 隻望君王醒悟不再受欺蒙。

     哀痛忠直之言君王聽不進, 子胥被殺沉江令人傷情。

     我願竭盡所聞陳述政事, 可君王他充耳不聞不采用。

     君心常惑難與陳述政道, 他糊裡糊塗不辨橫豎奸忠。

     好聽邪佞之臣的虛言浮說, 緻使國運斷絕難以久興。

     放棄先聖法度而不施用, 背離正直方向導緻危傾。

     遭到憂患才知醒悟, 就像縱火秋草其勢已成。

     君王失道已經自身難保, 還談什麼國家福禍吉兇。

     衆奸佞相互勾結營私利, 忠士直臣何敢奢望國事昌隆! 君被邪惡熏染而不自知, 秋毫雖細但天天在成長。

     車載輕物過多也會斷軸, 衆口诽謗使我罪孽加重。

     我厭濁世願投湘沅之流水, 又怕屍身随波東流難回程。

     懷沙負石自沉江而死啊, 不忍心見君王被群小欺蒙。

     【賞析】 《沉江》寫屈原自投汨羅而死時的悲憤之情。

    首先列舉大量史實說明國家興衰的關鍵是國君的賢明善任,親賢臣,遠小人。

    接着寫屈原臨死時的複雜心理,他“終不變而死節兮,惜年齒之未央”,他既忠君又怨恨君王不悟,最後還是“懷沙礫而自沉兮,不忍見君之蔽壅”。

     怨世 【原文】 世沉淖而難論兮, 俗嶺峨而參嵯①。

     清泠泠而殲滅兮, 混湛湛而日多②。

     枭鹗既以成群兮, 玄鶴弭翼而屏移。

     蓬艾親入禦于床笫兮, 馬蘭踸踔而日加③。

     棄捐藥芷與杜衡兮, 餘奈世之不知芳何。

     何周道之平易兮, 然蕪穢而險戲。

     高陽無故而委塵兮。

     唐虞點灼而毀議④。

     誰使正其真是兮? 雖有八師而不可為。

     皇天保其高兮, 後土持其久⑤。

     服清白以逍遙兮, 偏與乎玄英異色⑥。

     西施媞媞而不得見兮, 嫫母勃屑而日侍⑦。

     桂蠹不知所淹留兮, 蓼蟲不知徙乎葵菜。

     處湣湣之濁世兮, 今安所達乎吾志⑧。

     意有所載而遠逝兮, 固非衆人之所識。

     骥躊躇于弊辇兮, 遇孫陽而得代。

     呂望窮困而不聊生兮, 遭周文而舒志。

     甯戚飯牛而商歌兮, 桓公聞而弗置⑨。

     路室女之方桑兮, 孔子過之以自侍⑩。

     吾獨乖剌而無當兮, 心悼怵而耄思。

     思比幹之恲恲兮, 哀子胥之慎事。

     悲楚人之和氏兮, 獻寶玉以為石。

     遇厲武之不察兮, 羌兩足以畢斫。

     小人之居勢兮, 視忠正之何若? 改前聖之法度兮, 喜嗫嚅而妄作。

     親讒谀而疏賢聖兮, 訟謂闾娵為醜惡。

     愉近習而蔽遠兮, 孰知察其黑白。

     卒不得效其心容兮, 安眇眇而無所歸薄。

     專精爽以自明兮, 晦冥冥而壅蔽。

     年既已過太半兮, 然埳轲而留滞。

     欲高飛而遠集兮, 恐離罔而滅敗。

     獨冤抑而無極兮, 傷精神而壽夭。

     皇天既不純命兮, 餘生終無所依。

     願自沉于江流兮, 絕橫流而徑逝。

     甯為江海之泥塗兮, 安能久見此濁世? 【注釋】 ①沉淖(chénnào):《章句》:“沉,沒也。

    淖,溺也。

    ”這裡是沒落的意思。

    嶺(yín)峨:參差不齊。

    嶺,一作“岑”。

    參嵯(cēncī):形容山峰高低不平。

    嶺峨、參嵯在這裡都是比喻人們對是非的評價不一樣。

    《章句》:“言時世之人,沉沒财利,用心淖溺,不論是非,不别忠佞,風俗毀譽,高下參嵯,賢愚合同。

    ” ②清泠泠:以喻潔白。

    殲:盡。

    滅:消。

    混湛湛:《章句》:“喻貪濁也。

    ” ③笫(zǐ):竹編的床席。

    床笫,即指床。

    馬蘭:《章句》:“馬蘭,惡草也。

    ”《楚辭補注》:“《本草》雲,馬蘭生澤旁,氣臭,花似菊而紫。

    ”踸踔(chěnchōu):《章句》:“暴長貌。

    ”蓬艾、馬蘭,均喻指谄佞奸邪之徒。

     ④高陽:《章句》:“帝颛顼也。

    ”委塵:《章句》:“蒙塵也。

    ”即被塵玷污,比喻受到誣蔑。

     ⑤後土:對土地的尊稱。

     ⑥服:與“行”同義。

    玄英:《章句》:“純黑也。

    以喻貪濁。

    ” ⑦媞媞(tí):《章句》:“媞媞,好貌也。

    《詩》曰‘好人媞媞’也。

    ”嫫(mó)母:古代傳說中的醜婦。

    勃屑:《章句》:“猶蹒跚膝行貌。

    ” ⑧湣湣(hūn):惑亂,渾濁。

     ⑨甯戚飯牛:《章句》:“甯戚,衛人。

    修德不用,退而商賈。

    宿齊東門外。

    桓公夜出,甯戚方飯牛,叩角而高歌。

    桓公聞之,知其賢,舉用為客卿,備輔佐也。

    ”商歌:應為“高歌”之誤。

    置:放置,棄置。

     ⑩室女:猶言處女,少年處室之女。

    方:正。

    桑:采桑。

    過:路過。

    自侍:自己整肅,恭敬對方。

    此二句意為孔子路遇室女,見其采桑,一心不視,喜其貞正,故自己整肅,以示敬意。

     乖剌(là):剌,違戾。

    乖剌,相反,違背。

    引申為不得志。

    悼怵(chù):悲傷凄怆。

    耄(mào):昏亂,糊塗。

     恲恲(pínɡ):忠直之貌。

    《楚辭補注》:“慷慨也。

    ”慎事:《章句》:“子胥臨死曰:‘抉吾兩目,置吳東門,以觀越兵之入也。

    ’死不忘國,故言慎事也。

    ” 嗫嚅(niènuò):《章句》:“小語謀私貌也。

    ” 近習:君王親信。

     專:專一。

    精爽:明亮,指心中光明磊落。

    晦冥冥:昏暗狀,此指社會昏暗。

     罔:《章句》:“罔以喻法。

    ”滅敗:指滅敗忠厚之志。

     【譯文】 時人腐化沒落難以評說, 世俗毀譽高下相差太多。

     清潔之士都被抛棄不用, 貪濁之人得寵日益盛多。

     兇禽惡鳥既已成群并進, 黑鶴隻能被迫斂翅退縮。

     蓬艾受喜愛栽植床頭, 惡草馬蘭也随之繁茂婆娑。

     他們抛棄白芷杜衡衆香草, 我歎世人不知芬芳為何。

     大道曾經何等平直寬闊, 如今雜草叢生危險坎坷。

     古帝高陽無故受毀謗, 堯舜至聖也