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乎〔二六〕?非獨見病,亦以病吾子〔二七〕,然雪與日豈有過哉?顧吠者犬耳〔二八〕。

    度今天下不吠者幾人〔二九〕?而誰敢衒怪於羣目,以召鬧取怒乎〔三〇〕?僕自謫過以來,益少志慮〔三一〕,居南中九年,增腳氣病,漸不喜鬧〔三二〕,豈可使呶呶者早暮咈吾耳、騷吾心〔三三〕?則固僵仆煩憒,愈不可過矣〔三四〕。

    平居望外,遭齒舌不少,獨欠爲人師耳〔三五〕。

     抑又聞之〔三六〕,古者重冠禮,將以責成人之道〔三七〕,是聖人所尤用心者也〔三八〕。

    數百年來,人不復行〔三九〕。

    近有孫昌胤者,獨發憤行之〔四〇〕。

    既成禮〔四一〕,明日造朝至外庭〔四二〕,薦笏言於卿士曰:“某子冠畢〔四三〕。

    ”應之者鹹憮然〔四四〕。

    京兆尹鄭叔則怫然曳笏卻立〔四五〕,曰:“何預我耶〔四六〕?”廷中皆大笑〔四七〕。

    天下不以非鄭尹而快孫子,何哉〔四八〕?獨爲所不爲也〔四九〕。

    今之命師者大類此〔五〇〕。

     吾子行厚而辭深〔五一〕,凡所作,皆恢恢然有古人形貌〔五二〕,雖僕敢爲師,亦何所增加也〔五三〕?假而以僕年先吾子,聞道著書之日不後〔五四〕,誠欲往來言所聞〔五五〕,則僕固願悉陳中所得者〔五六〕。

    吾子苟自擇之,取某事去某事,則可矣〔五七〕。

    若定是非以教吾子〔五八〕,僕材不足,而又畏前所陳者〔五九〕,其爲不敢也決矣〔六〇〕。

    吾子前所欲見吾文,既悉以陳之〔六一〕,非以耀明于子〔六二〕,聊欲以觀子氣色誠好惡何如也〔六三〕。

    今書來,言者皆大過〔六四〕。

    吾子誠非佞譽誣諛之徒〔六五〕,直見愛甚故然耳〔六六〕。

     始吾幼且少〔六七〕,爲文章以辭爲工〔六八〕。

    及長,乃知文者以明道〔六九〕。

    是固不苟爲炳炳烺烺,務采色、誇聲音而以爲能也〔七〇〕。

    凡吾所陳,皆自謂近道,而不知道之果近乎,遠乎〔七一〕?吾子好道而可吾文,或者其於道不遠矣〔七二〕。

    故吾每爲文章,未嘗敢以輕心掉之,懼其剽而不留也〔七三〕;未嘗敢以怠心易之,懼其弛而不嚴也〔七四〕;未嘗敢以昏氣出之,懼其昧沒而雜也〔七五〕;未嘗敢以矜氣作之,懼其偃蹇而驕也〔七六〕。

    抑之欲其奧〔七七〕,揚之欲其明〔七八〕,疏之欲其通〔七九〕,廉之欲其節〔八〇〕,激而發之欲其清〔八一〕,固而存之欲其重〔八二〕,此吾所以羽翼夫道也〔八三〕。

    本之《書》以求其質〔八四〕,本之《詩》以求其恒〔八五〕,本之《禮》以求其宜〔八六〕,本之《春秋》以求其斷〔八七〕,本之《易》以求其動〔八八〕,此吾所以取道之原也〔八九〕。

    參之穀梁氏以厲其氣〔九〇〕,參之《孟》、《荀》以暢其支〔九一〕,參之《莊》、《老》以肆其端〔九二〕,參之《國語》以博其趣〔九三〕,參之《離騷》以緻其幽〔九四〕,參之太史公以著其潔〔九五〕,此吾所以旁推交通而以爲之文也〔九六〕。

    凡若此者〔九七〕,果是耶,非耶?有取乎,抑其無取乎〔九八〕?吾子幸觀焉擇焉〔九九〕,有餘以告焉〔一〇〇〕。

    苟亟來以廣是道〔一〇一〕,子不有得焉,則我得矣,又何以師雲爾哉〔一〇二〕?取其實而去其名〔一〇三〕,無招越、蜀吠怪,而爲外廷所笑〔一〇四〕,則幸矣〔一〇五〕!宗元復白〔一〇六〕。

     〔一〕元和八年(八一三)作於永州。

    書:古代文體。

    明吳訥《文章辨體序説》雲:“昔臣僚敷奏,朋舊往復,皆總曰書。

    近世臣僚上言,名爲表奏;惟朋舊之間,則曰書而已。

    ”韋中立:世綵堂本韓醇注:“中立,史無傳。

    新史年表雲:‘唐州刺史彪之孫。

    不書爵位。

    ……中立於元和十四年中第。

    ”師道:教師之道。

    韋中立自京赴永州求教於宗元,返京後又緻函宗元,宗元寫此信作答。

     〔二〕二十二句:古書信格式,作書日期列於首,有時隻寫日不寫月;作書人之名寫於日期之下。

    白:陳説。

     〔三〕辱書:謙詞,意謂有辱你寫信給我。

    相師:拜我做老師。

    一本“書”下無“雲”字。

     〔四〕僕:自身謙稱。

    篤:厚實。

    業:學業。

    淺近:淺薄。

     〔五〕環顧二句:謂認真自我分析,沒有可供人學習之處。

     〔六〕自是:自以爲是。

     〔七〕不意:沒想到。

    吾子:對人敬稱。

    京師:京城。

    蠻夷:古對邊遠少數民族的蔑稱。

    此指永州。

    幸:有幸。

    見取:被您取法,意謂拜我爲師。

     〔八〕蔔:估量。

    固:本來。

    無取:無可取法之處。

     〔九〕有取:有可取法之處。

     〔一〇〕孟子句:語出《孟子·離婁上》。

     〔一一〕由魏二句:魏晉以後,重門閥,輕師道。

    參見《永州鐵爐步志》注〔一三〕。

    益:越發。

    事師:拜師。

     〔一二〕不聞:沒聽説。

    輒:就。

    譁(huá):喧嘩。

    笑:嘲笑。

    以爲:把他當作。

     〔一三〕奮:奮勇。

    顧:顧忌。

    流俗:社會一般習俗。

    犯:觸犯。

    笑侮:譏笑,輕慢。

    後學:後進的求學者。

    《後漢書·徐防傳》:“宜爲章句,以悟後學。

    ” 〔一四〕作師二句:《師説》,韓愈著名的論理文,專論從師之道。

    抗顔:正顔不屈。

    爲師:當老師。

     〔一五〕世果三句:世俗之人果然詆毀韓愈。

    羣:一羣一羣地。

    怪:責怪。

    指目:手指眼看。

    《史記·陳涉世家》:“旦日,卒中往往語,皆指目陳勝。

    ”牽引:牽連。

    增與:增加。

    爲言辭:作評論。

     〔一六〕愈以四句:宗元以爲韓愈屢屢遭貶出京之原因是抗顔爲師。

    以是:因此。

    不暇:沒有來得及。

    挈挈(qiè):孤獨貌。

    東:離京而東行。

     〔一七〕如是:如此。

    數(shuò):屢次。

     〔一八〕邑犬二句:謂城裏的狗羣起而叫,是叫它們奇怪的事。

    屈原《懷沙賦》:“邑犬之羣吠兮,吠所怪也。

    ” 〔一九〕往:從前。

    庸:《左傳·文公十六年》:“庸人帥羣蠻以叛楚。

    ”注:“庸,今上庸縣,屬楚之小國。

    ”《元和郡縣圖志》卷二十一山南道房州:“竹山縣,本漢上庸縣,古庸國也。

    昔武王伐紂,庸人往焉,故《牧誓》雲:‘及庸蜀羌微盧彭濮人。

    ’……至漢初,立上庸縣,屬漢中郡。

    ……後魏改置竹山縣。

    ”按:在今湖北竹山縣東南。

    庸蜀:泛指湖北、四川。

    恒:經常。

    雨:下雨。

    用如動詞。

     〔二〇〕過言:説得過分,不實。

     〔二一〕前六七年:宗元永貞元年貶永州,此言來六七年,下文又言九年,牴牾,暫存疑。

    二年冬:元和二年冬天。

     〔二二〕踰嶺句:謂雪越過五嶺,嶺南好幾個州都爲大雪覆蓋。

    踰:越過。

    被:覆蓋。

    南越:也作“南粵”,今廣東、廣西一帶。

    秦始皇時,置桂林、南海、象郡。

    秦末,趙佗自立爲南越王,盡佔其地。

    事見《史記·南越列傳》。

     〔二三〕蒼黃:悤遽失措。

    至晚唐北宋人始作倉皇。

    噬(shì):咬。

    走:跑。

    已:停止。

     〔二四〕然後:從此以後。

     〔二五〕今韓二句:謂韓愈抗顔爲師,人以爲怪,已是當了蜀日,而今您又想叫我當越雪。

     〔二六〕病:困辱。

     〔二七〕病吾子:也使您受困辱。

     〔二八〕過:過錯。

    顧:但,乃。

    耳:罷了。

     〔二九〕度今句:謂當今社會上能有幾個人不像狗那樣少見多怪呢?度(duó):揣測,忖度。

     〔三〇〕衒(xuàn):自我誇耀。

    衒怪:誇耀那些怪事。

    於羣目:在衆人眼前。

    召:取,惹來。

    鬧怒:叫嚷憤怒。

     〔三一〕謫(zhé):降職。

    過:錯。

    謫過,因罪貶官。

    益:更加。

    志:志向。

    慮:思考問題。

     〔三二〕南中:指永州。

    九年:宗元永貞元年貶永州,則此文作於元和八年。

    增:添。

    鬧:喧嘩。

     〔三三〕呶呶(náo):喧嘩。

    朝暮:指整天。

    咈(fú):逆,乖戾。

    騷:擾亂。

     〔三四〕則固二句:謂如果出現那種局面我將煩惱得無法生活了。

    固:必然導緻。

    僵仆:僵倒。

    煩憒(kuì):煩惱昏亂。

    愈:更加,愈發。

    不可過:生活不下去。

     〔三五〕平居三句:謂我平日遭到意外的非議已很多,隻差當老師這一件了。

    以上例舉學業不足、時俗不容、身體欠佳等不能爲師的原因。

     〔三六〕抑:句首語氣詞,無義意。

     〔三七〕古者:古時。

    冠(guàn)禮:加冠儀式。

    周代男子成年即二十歲時,行加冠禮(見《禮記·曲禮》。

    又《荀子·大略》等載十九歲加冠)。

    以:以此(作爲)。

    責:要求。

    成人:成年之人。

    道:手段,措施。

     〔三八〕是聖句:謂這是聖人所特别重視的事。

     〔三九〕復行:再執行。

    沈德潛曰:“引冠禮之不行,以例師道之不行,見古之不宜於今也。

    ”(《唐宋八家文讀本》)(下同) 〔四〇〕孫昌胤(yìn):人名,不詳其人。

    發奮:鼓足勇氣。

    行之:指爲其子行加冠禮。

     〔四一〕既成句:謂舉行儀式後。

     〔四二〕造朝:上朝。

     〔四三〕薦(jiàn):即“”,插。

    笏(hù):笏闆。

    官員上朝時所執手闆,記事於其上以備忘。

    薦笏:插笏闆於腰帶上。

    卿士:泛指朝官。

    某:自稱。

    畢:結束。

     〔四四〕應之者:與他談話者。

    鹹:都。

    憮(wǔ)然:失意不快貌。

    《論語·微子》:“夫子憮然曰:‘鳥獸不可以同羣,吾非斯人之徒與,而誰與?’”又《三國志·魏志·鄧艾傳》:“憮然不樂。

    ” 〔四五〕京兆句:京兆尹,官名。

    參見《梓人傳》注〔一二〕。

    鄭叔則:鄭州滎陽(今河南滎陽)人,生於玄宗開元十年(七二二),卒於德宗貞元八年(七九二),享年七十一。

    未冠以明經擢第,曾自銀青光祿大夫轉京兆尹,在任三年,貶永州長史,旋拜信州刺史。

    事詳穆員《福建觀察使鄭公墓誌銘》(《全唐文》卷七十四)。

    怫(fú)然:忿怒貌。

    《莊子·天地》:“謂己諛人,則怫然作色。

    ”曳笏:持笏之手下垂。

    卻:後退。

     〔四六〕預:幹與,引申爲相幹。

     〔四七〕廷中:指衆朝官。

     〔四八〕天下:指輿論。

    非鄭尹:以鄭叔則爲非。

    快孫子:以孫昌胤的舉動(即行冠禮)爲快。

    何哉:什麽原因呢? 〔四九〕獨爲句:謂隻因孫昌胤做了人們不做的事。

     〔五〇〕命師:讓人當老師。

    大類此:與此很相似。

    以上以時俗不容有益於青年的古代禮法説明時俗之不容師道。

     〔五一〕行(xìng):品行。

    行厚:指品行好。

    辭深:指文章造詣深。

     〔五二〕凡所二句:謂您作的文章都氣魄宏偉,有古人之風。

    恢恢(huī)然:寬闊廣大貌。

     〔五三〕雖:即使。

    增加:猶言幫助。

     〔五四〕假而:假如,古“而”“如”通用(見王引之《經傳釋詞》卷七)。

    以:因爲。

    年先吾子:年齡比您大。

    不後:不遲。

     〔五五〕言所聞:交談所聽到或體會到的作文之法。

     〔五六〕固:當然。

    悉:全部。

    陳:陳述。

    中:内心。

    所得者:所體會到的。

    沈德潛曰:“此師之實。

    ” 〔五七〕苟:但。

    擇之:選擇它。

    則可:就可以了。

     〔五八〕若定:如果確定。

     〔五九〕畏:懼怕。

    前:上文。

    所陳者:所列世俗言行。

     〔六〇〕決:肯定,不容置疑。

     〔六一〕吾子二句:謂您上次來想看我的文章,已全部拿給您看了。

     〔六二〕非以句:謂並非以此向您炫耀。

    耀明:猶言炫耀。

     〔六三〕聊:姑且。

    觀:觀察。

    氣色:表情。

    誠:真實(情況)。

     〔六四〕今書二句:謂現在您來信都評價過高。

    言:説,評價。

    過:過分。

     〔六五〕誠:實在。

    佞(nìng)譽:諂媚贊譽。

    誣諛(wūyú):假言奉承。

     〔六六〕直見句:謂隻不過因爲特别愛我,所以才如此。

    直:隻,隻不過。

    見愛甚:特别愛我。

    故然:所以如此。

    以上謂不敢爲師,僅能介紹作文體會供參考選擇。

     〔六七〕始:最初。

     〔六八〕以辭爲工:以詞藻華麗爲美。

    辭:詞藻。

    工:好。

     〔六九〕及長二句:謂等到長大,纔知文章是用來闡明聖人之道的。

    道:真理,此指聖人之道。

    沈德潛曰:“作文宗旨。

    ” 〔七〇〕是固二句:謂這當然不能苟且追求形式和詞藻華麗、音節優美,而把這些當做作文的能事。

    固:本來。

    苟爲:隨便作出。

    炳炳:明亮貌。

    烺烺(lǎng):鮮明貌。

    炳炳烺烺,指文章風采華麗。

    務:追求。

    采色:指華麗的詞藻。

    聲音:指聲調音韻。

    爲能:做爲能事,當做目的。

     〔七一〕凡吾四句:謂我説的這些,都自己以爲近於作文的原則,而不知真接近了,還是遠離了。

    道:這裏指爲文之道,作文的原則。

    下兩句“道”字同。

     〔七二〕吾子二句:謂您喜好作文原理,又賞識我的文章,也許我離作文之道不遠了。

    可吾文:認爲我的文章還不錯。

    可:認可,肯定。

    或者:也許。

     〔七三〕未嘗:未曾。

    以:用。

    輕心:輕易之心,不認真。

    掉:調弄。

    剽(piāo):輕。

    留:盡。

     〔七四〕怠(dài):懈怠。

    易之:輕之。

    弛:鬆弛。

    嚴:謹嚴。

     〔七五〕昏氣:指頭腦不清醒。

    出之:寫之。

    昧沒而雜:内容模糊,條理雜亂。

     〔七六〕矜氣:驕氣。

    作之:爲之。

    偃蹇(yǎnjiǎn):高聳貌。

    偃蹇而驕,感情用事。

     〔七七〕抑:抑制。

    奧:深刻。

     〔七八〕揚:發揚,指盡情闡發。

     〔七九〕疏:疏通。

    通:通暢。

     〔八〇〕廉:簡潔。

    節:節制。

    章士釗評“抑之”以下四句曰:“四語平列,無所出入。

    茅星來爲之節次,從而第之曰:‘柳子厚之爲文章,揚之欲其明也,必先抑之欲其奧,疏之欲其通也,必更廉之欲其節,夫不知所棄,而何以能抑之廉之也?蓋古人之於文,其不苟如此。

    後之人見公之文章,洋洋灑灑,如決江河而注諸海,而不知皆其棄之餘也。

    ’此其竅要,在知所棄,及棄而得其餘,吾嘗紬繹其誼,而爲之説曰:凡人以文叙一事,或立一義,第一步爲命意,其次則選詞,詞而曰選,知可用之詞非一,因而其文可成之式亦非一,就中必有一焉,叙次井井,而較能鞭辟近裏者,是之謂奧:同時此一式也,條達之外,又能以少許勝人多許,是之謂節。

    惟奧與節,行文之能事以盡,若而棄,若而餘,都無不愜心而貴當。

    ”(《柳文指要》上·卷三十四)。

     〔八一〕激而句:謂文章要寫得活潑清新。

    激:激揚。

     〔八二〕固而句:謂文章要有深度而不輕浮。

    固:凝重。

    存:存留。

     〔八三〕此吾句:謂這就是我用來輔助聖人之道的措施。

    羽翼:輔助。

     〔八四〕本之句:謂根據《尚書》,學習它的質樸。

    按:此句及以下幾句論道術,以六藝爲本。

    沈德潛雲:“六經乃取道之原,故曰本。

    ”六藝中樂書失傳,僅存《書》、《詩》、《禮》、《春秋》、《易》五種。

     〔八五〕詩:《詩經》。

    恒:常,久,指永恒不變的情理。

     〔八六〕禮:指《周禮》、《儀禮》、《禮記》。

    宜:合理。

     〔八七〕斷:判斷。

    指《春秋》對歷史人物和事件有褒有貶,作出是非判斷。

     〔八八〕易:《周易》,亦稱《易經》。

    動:變化發展。

    《周易·繫辭上》:“聖人有以見天下之動。

    ” 〔八九〕原:本源。

    以上論道術。

     〔九〇〕參之句:謂學習《穀梁傳》,以加強文氣。

    參:參考。

    穀梁:複姓,此指《穀梁傳》。

    厲:猛,烈。

    氣:文氣。

    沈德潛曰:“《穀梁》以下,乃暢道之支,故曰參。

    ”按:以下數句是論文章。

     〔九一〕孟荀:《孟子》、《荀子》。

    暢:達。

    支:流派,指文章義理的發揮。

     〔九二〕莊老:《莊子》、《老子》。

    肆:放縱。

    按:莊子自稱其文是“荒唐之言,無端崖之辭”(《莊子·天下篇》)。

    宗元欣賞《莊子》的鴻篇鉅製,波瀾壯闊。

     〔九三〕博其趣:使文章富有趣味。

    章士釗雲:“《左傳》與《國語》,號稱《春秋》二傳,前者曰内傳,後者曰外傳。

    所爲内外之别,則《左傳》者,丘明一手成之,自始至終,筆調趨於一緻。

    《國語》則雜採各國之史稿,會萃爲一,如晉之《乘》,楚之檮杌等等,約略保存其原有風格。

    與孔子作《春秋》前所集覽之百二國寶書,皆屬同一種資料,惟其如此,李仁父謂外傳駁纇不倫,不若内傳之簡直峻健,理有固然,無足怪者。

    又惟其如此,《左傳》爲丘明之一家説,而《國語》則左氏之筆,與各國左右史之筆,雜糅而成一書。

    由是墨守《左傳》,止於專採一家,用心《國語》,乃兼攬衆長,并亦不廢丘明獨擅之技。

    了此二義,凡兩傳之如何示别?子厚何以專於外而捨其内?外傳何以因來源不一,及風情語範之不同,而特别有趣?趣之何以見爲博?諸如此類,皆得迎刃而解已。

    ” 〔九四〕緻其幽:窮盡它的隱微深沉。

     〔九五〕太史公:司馬遷在《史記》中所用自稱。

    著(zhù):明。

    潔:簡潔,精練。

     〔九六〕推:推究,推求。

    交通:互相參照,指吸取各書長處。

    以上是論文章。

    介紹本於經典,吸取百家的作文經驗。

     〔九七〕凡若句:所有這些。

     〔九八〕果是四句:謂正確與否,值得吸取與否。

    抑:還是。

     〔九九〕吾子句:謂希望您能分析選擇。

    幸:希望之辭。

    觀:看,指分析。

     〔一〇〇〕有餘:指不同意見。

    以告:把它告訴我。

     〔一〇一〕苟:如果。

    亟(qì):屢次,經常。

    廣:擴大。

     〔一〇二〕子不三句:客氣話,意謂您可能不會有什麽收獲,但我會有收獲,又何用老師的名稱呢? 〔一〇三〕實:指老師的實際。

    名:指老師的名份。

     〔一〇四〕無招二句:事見上文。

     〔一〇五〕幸:慶幸。

     〔一〇六〕復白:再陳述,古代書信用於結尾。

    以上表示希望不斷交流作文體會,存學習之實而去掉老師之名。

     【評箋】 宋·楊萬裡雲:“柳子厚《答韋中立書》雲:‘抑之欲其奧,揚之欲其明,疏之欲其通,廉之欲其節,激而發之欲其清,固而存之欲其重。

    ’此用《周禮·考工記》函人句法,雲:‘眡其鑽空,欲其惌也;眡其裏,欲其易也;眡其朕,欲其直也;櫜之,欲其約也;舉而胝之,欲其豐也;衣之,欲其無斷也。

    ’”(《誠齋詩話》) 清·金人瑞雲:“此爲恣意恣筆之文。

    恣意恣筆之文,最忌直,今看其筆筆中間皆作一折。

    後賢若欲學其恣,必須學其折也。

    ”(《古文評註補正》卷七評柳文) 清·林雲銘雲:“是書論文章處,曲盡平日揣摩苦心,雖不爲師而爲師過半矣。

    其前段雪日冠禮諸喻,把末世輕薄惡態,盡底描寫,嘻笑怒駡,兼而有之。

    想其落筆時,因平日橫遭齒舌,有許多憤懣不平之氣,故不禁淋漓酣恣乃爾。

    ”(《古文析義》初編卷五) 清·張伯行雲:“子厚不欲以師道自居,激而憤世疾俗之論,不無太尖刻處。

    至自叙其所以爲文之本,則皆精到實詣,足與昌黎並轡中原,有以也夫。

    ”(《唐宋八大家文鈔》評語卷四)。

     清·沈德潛雲:“前論師道,猶作諧謔語。

    後示爲文根柢,傾囊倒囷而出之。

    辭師之名,示師之實,在中立之自得之耳,較昌黎論文,尤爲本末俱到。

    ”(《唐宋八家文讀本》評語卷七) 清·孫琮雲:“合前後看來,雖是辭爲師之名,然已盡爲師之實。

    前半篇,説世人不知有師,已駡盡世人。

    後半篇,説自己爲文,亦是贊盡自己。

    蓋師以明道,今説己文章所以明道,則是有得乎師之文者,即得以師之;己雖不言師,而師之能事已盡。

    一結説出通篇主意,真是全力大量。

    ”(《山曉閣選唐大家柳柳州全集》評語卷一書) 清·朱宗洛雲:“此文雖反覆馳騁,曲折頓挫,極文章之勝觀,然總不出結處‘取其實而去其名’一句意。

    蓋前半極言師之取怪,正見當去其名意;後半自言文之足以明道,正見當取其實意。

    至中間吾子行厚辭深一段,過脈處,固自泯然無迹也。

    其入手處,提出師字道字,及爲文章雲雲,則已握住通篇之綫,故下文反覆説來,而血脈自然融貫。

    ”(《古文一隅》評語卷中) 永州鐵爐步志〔一〕 江之滸,凡舟可縻而上下者曰步〔二〕。

    永州北郭有步,曰鐵鑪步〔三〕。

    餘乘舟來〔四〕,居九年〔五〕,往來求其所以爲鐵爐者無有〔六〕。

    問之人〔七〕,曰:“蓋嘗有鍛者居〔八〕,其人去而爐毀者不知年矣,獨有其號冒而存〔九〕。

    ” 餘曰:“嘻!世固有事去名存而冒焉若是耶〔一〇〕?” 步之人曰〔一一〕:“子何獨怪是〔一二〕?今世有負其姓而立於天下者〔一三〕,曰:‘吾門大,他不我敵也〔一四〕。

    ’問其位與德〔一五〕,曰:‘久矣,其先也〔一六〕。

    ’然而彼猶曰‘我大’,世亦曰‘某氏大〔一七〕’。

    其冒於號有以異於茲步者乎〔一八〕?向使有聞茲步之號,而不足釜錡、錢鎛、刀鈇者〔一九〕,懷價而來,能有得其欲乎〔二〇〕?則求位與德於彼,其不可得亦猶是也〔二一〕。

    位存焉而德無有,猶不足大其門,然世且樂爲之下〔二二〕,子胡不怪彼而獨怪於是〔二三〕?大者桀冒禹,紂冒湯,幽、厲冒文、武,以傲天下〔二四〕。

    由不知推其本而姑大其故號〔二五〕,以至于敗,爲世笑僇〔二六〕,斯可以甚懼〔二七〕。

    若求茲步之實,而不得釜錡,錢鎛、刀鈇者,則去而之他,又何害乎〔二八〕?子之驚於是,末矣〔二九〕。

    ” 餘以爲古有太史,觀民風,采民言〔三〇〕。

    若是者,則有得矣〔三一〕。

    嘉其言可采,書以爲志〔三二〕。

     〔一〕元和八年(八一三)作於永州,參見注〔五〕。

    志:記。

    明徐師曾曰:“按:字書雲:‘志者,記也,字亦作誌。

    ’其名起於《漢書》十志,而後人因之,大抵記事之作也。

    諸集不多見。

    ”(《文體明辨序説》)“記”體,參見本書《永州龍興寺息壤記》注〔一〕。

    步:河邊停船的碼頭。

    韓愈《柳州羅池廟碑》雲:“步有新船。

    ”江蘇六合有瓜步等皆是。

    鐵爐:鐵匠爐。

    步以鐵爐命名,曰鐵爐步。

     〔二〕滸:水邊地。

    縻(mí):《説文》:“牛轡也。

    ”引申爲繫結。

    上下:上船下船。

     〔三〕郭:内城曰城,外城曰郭。

    《廣韻》:“内城外郭。

    ”北郭:城北。

     〔四〕餘乘句:謂我南貶永州由水路來。

    宗元來永州乃經洞庭湖,南溯湘江,歷潭州、衡陽而至。

     〔五〕居九年:宗元永貞元年冬至永,則此文作於元和八年。

     〔六〕往來句:謂往來反復考察命名步曰鐵爐的原因。

    求:考求。

     〔七〕問之人:“問之於人”的省略。

     〔八〕蓋:大概,猜度之詞。

    嘗:曾經。

    鍛者:鐵匠。

    一本“鍛”下有“鐵”字。

     〔九〕去:離開。

    不知年:不知有多少年。

    號:名。

    冒而存:假冒而存在。

     〔一〇〕餘曰句:謂世上真有像這樣有名無實的事嗎?按:此句宗元自問。

    固:確實。

    事去名存:本事已成過去而名還存在。

     〔一一〕步之人:碼頭附近居民。

     〔一二〕怪是:以此爲怪。

     〔一三〕負:仗恃。

    按:古姓氏本無高低貴賤之分,自魏晉始,形成推重名門望族風氣。

    如河北推重崔姓、盧姓,江南推重王姓、謝姓。

    選官、通婚、交際等社會活動無不以門第爲先,姓氏的資望決定人的社會價值。

    如《魏書·韓顯宗傳》載:“今之州郡貢舉,徒有秀、孝之名,而無秀、孝之實,而朝廷但檢其門望,不復彈坐。

    ”有唐以來,此風有所扭轉,但並未根除。

     〔一四〕門大:姓氏高貴。

    他不我敵:“他不敵我”的倒置。

    意謂别的姓不如我。

     〔一五〕位:官階。

    德:品德。

     〔一六〕曰久二句:謂他祖先有。

    言外之意,他本人並沒有。

     〔一七〕彼:他。

    猶:還。

    世:世人。

    氏:姓氏。

     〔一八〕其冒句:謂他的姓氏有名無實與此鐵爐步相比有何區别?茲:此。

     〔一九〕向使:假使。

    聞:聽説。

    不足:缺少。

    釜錡(fǔqí):均爲鐵鍋。

    《詩經·召南·釆蘋》:“于以湘之,維錡及釜。

    ”《傳》:“有足曰錡,無足曰釜。

    ”錢鎛(jiǎnbó):均爲古代農具。

    《詩經·周頌·臣工》:“命我衆人,庤乃錢鎛。

    ”鈇(fǔ):斧。

    《禮記·王制》:“諸侯賜弓矢然後征,賜鈇鉞然後殺。

    ”《經典釋文》:“又音斧。

    ”一説鈇爲割草刀。

    《説文》:“斫莝刀也。

    ”段注:“莝者,斬芻也,斬芻之刀,今之刀。

    ” 〔二〇〕懷價:帶錢。

    得欲:滿足願望。

    指買到。

     〔二一〕猶是:與這相似。

     〔二二〕猶:還。

    大其門:光大其門。

    然:然而。

    世:世人。

    且:卻。

    爲之下:在他之下。

     〔二三〕胡:何。

     〔二四〕大者四句:謂大而言之,夏桀、商紂、周厲、周幽空冒其祖先夏禹、商湯、周文、周武之名號,並以此驕橫於天下。

    桀:夏桀,夏朝最末一代國君。

    禹:夏之開國之君。

    紂:商紂,商朝最末一代國君。

    湯:商湯,商之開國之君。

    幽:周幽王,名宮湦,西周第十二代國君,即西周最末一代國君。

    厲:周厲王,名胡,西周第十代國君。

    文:周文王,名昌。

    武:周武王,名發,西周第一代國君,文王之子。

    桀、紂、幽是亡國之君,又皆爲暴君。

    厲王亦暴君;禹、湯、武是開國之君,古人尊爲賢君。

    文王雖未統一中國,但統一了渭河流域,爲武王滅紂奠定基礎,故古人將文、武並稱。

     〔二五〕由:由於。

    推:推求。

    本:本原。

    指祖先成功之因。

    姑:且,僅僅。

    故號:祖先的名號、聲威。

    “不知推其本”一本作“不推知其本”。

     〔二六〕敗:桀、紂亡國,事不贅述。

    厲王暴虐,國民怒,起而攻之。

    厲王逃,並死於彘。

    幽王寵愛褒姒及虢石父,國民皆怨;又廢申後及所生太子。

    申後之父申侯聯合西夷犬戎,攻幽王,殺幽王於驪山下,西周亡。

    事見《史記·周本紀》。

    僇(lù):辱。

     〔二七〕斯可句:謂這纔是令人特别恐懼的事。

     〔二八〕若求五句:謂如果有人來鐵爐步,而買不到所需之鐵器,就可離去而到别處去買,這又有什麽危害呢?之他:之它,到其它地方去。

     〔二九〕驚於是:在這個問題上感到驚訝。

    末:小,淺薄。

     〔三〇〕太史:周代官名。

    觀民風:考察民間風俗。

    采民言:收集民歌,以考察政令得失。

    《禮記·王制》:“命太師陳詩以觀民風。

    ”《孔叢子·巡狩》:“古者天子命史采詩謡,以觀民風。

    ”《漢書·藝文志》:“故古有采詩之官,王者所以觀風俗、知得失,自考正也。

    ”崔述《讀風偶識》卷二《通論十三國風》:“舊説,周太史掌采列國之風,今自邶鄘以下十二國風,皆周太史巡行之所采也。

    ” 〔三一〕若是二句:謂象步之人這類議論對考察政令就有益處。

    是:這些話。

     〔三二〕嘉:贊美。

    可采:有收集價值。

    書以爲志:把它寫成這篇志。

     【評箋】 明·茅坤雲:“志步特數言,託諷言外者無限深情。

    轉處妙。

    ”(《山曉閣選唐大家柳柳州全集》評語卷三記) 清·孫琮雲:“就爐步上發出一段諷世議論,彼世祿子弟,服奇食美,冒先世之號以自大於世者,讀之能無汗下!”(《山曉閣選唐大家柳柳州全集》評語卷三記) 起廢答〔一〕 柳先生既會州刺史,即治事〔二〕,還,遊于愚溪之上〔三〕。

    溪上聚黧老壯齒,十有一人〔四〕,謖足以進〔五〕,列植以慶〔六〕。

    卒事,相顧加進而言曰〔七〕:“今茲是州,起廢者二焉,先生其聞而知之歟〔八〕?”答曰〔九〕:“誰也?”曰:“東祠躄浮圖〔一〇〕,中廄病顙之駒〔一一〕。

    ” 曰:“若是何哉〔一二〕?”曰:“凡爲浮圖道者〔一三〕,都邑之會必有師〔一四〕,師善爲律,以敕戒始學者與女釋者〔一五〕,甚尊嚴,且優遊〔一六〕。

    躄浮圖有師道〔一七〕,少而病躄,日愈以劇〔一八〕,居東祠十年,扶服輿曳〔一九〕,未嘗及人〔二〇〕,側匿愧恐殊甚〔二一〕。

    今年,他有師道者悉以故去〔二二〕,始學者與女釋者倀倀無所師〔二三〕,遂相與出躄浮圖以爲師〔二四〕,盥濯之〔二五〕,扶持之,壯者執輿〔二六〕,幼者前驅〔二七〕,被以其衣,導以其旗〔二八〕,怵惕疾視,引且翼之〔二九〕。

    躄浮圖不得已,凡師數百生〔三〇〕。

    日饋飲食〔三一〕,時獻巾帨〔三二〕,洋洋也〔三三〕,舉莫敢踰其制〔三四〕。

    中廄病顙之駒,顙之病亦且十年〔三五〕,色玄不厖〔三六〕,無異技,硿然大耳〔三七〕。

    然以其病,不得齒他馬〔三八〕。

    食斥棄異皁〔三九〕,恒少食〔四〇〕,屏立擯辱〔四一〕,掣頓異甚〔四二〕,垂首披耳〔四三〕,懸涎屬地〔四四〕,凡廄之馬,無肯爲伍〔四五〕。

    會今刺史以禦史中丞來蒞吾邦〔四六〕,屏棄羣駟,舟以泝江〔四七〕,將至,無以爲乘〔四八〕。

    廄人鹹曰:‘“病顙駒大而不厖,可秣飾焉〔四九〕。

    ”他馬巴、僰庳狹〔五〇〕,無可當吾刺史者〔五一〕。

    ’於是衆牽駒上燥土大廡下〔五二〕,薦之席,縻之絲〔五三〕,浴剔蚤鬋〔五四〕,刮惡除洟〔五五〕;莝以雕胡〔五六〕,秣以香萁〔五七〕;錯貝鱗纕〔五八〕,鑿金文羈〔五九〕;絡以和鈴〔六〇〕,纓以朱綏〔六一〕;或膏其鬣〔六二〕,或劘其脽〔六三〕;禦夫盡飾,然後敢持〔六四〕。

    除道履石〔六五〕,立之水涯〔六六〕;幢旟前羅〔六七〕,杠蓋後隨〔六八〕;千夫翼衞〔六九〕,當道上馳〔七〇〕;抗首出臆,震奮遨嬉〔七一〕。

    當是時,若有知也,豈不曰宜乎〔七二〕?” 先生曰:“是則然矣,叟將何以教我〔七三〕?”黧老進曰:“今先生來吾州亦十年〔七四〕,足軼疾風〔七五〕,鼻知膻香〔七六〕,腹溢儒書〔七七〕,口盈憲章〔七八〕,包今統古〔七九〕,進退齊良〔八〇〕,然而一廢不復〔八一〕,曾不若躄足涎顙之猶有遭也〔八二〕。

    朽人不識,敢以其惑,願質之先生〔八三〕。

    ”先生笑且答曰:“叟過矣〔八四〕!彼之病,病乎足與顙也〔八五〕;吾之病,病乎德也〔八六〕。

    又彼之遭,遭其無耳〔八七〕。

    今朝廷洎四方,豪傑林立,謀猷川行〔八八〕,羣談角智,列坐争英〔八九〕,披華發輝,揮喝雷霆〔九〇〕,老者育德,少者馳聲〔九一〕,丱角羈貫〔九二〕,排廁鱗征〔九三〕,一位暫缺,百事交并〔九四〕,駢倚懸足〔九五〕,曾不得逞〔九六〕,不若是州之乏釋師大馬也〔九七〕;而吾以德病伏焉〔九八〕,豈躄足涎顙之可望哉〔九九〕?叟之言過昭昭矣,無重吾罪〔一〇〇〕!”於是黧老壯齒,相視以喜,且籲曰:“諭之矣〔一〇一〕!”拱揖而旋〔一〇二〕,爲先生病焉〔一〇三〕。

     〔一〕元和九年(八一四)作於永州。

    起廢:起用廢物。

    答:對答,屬“問對”體。

    明吳訥《文章辨體序説》:“問對者,載昔人一時問答之辭,或設客難以著其意者也。

    《文選》所録宋玉之於楚王,相如之於蜀父老,是所謂問對之辭。

    至若《答客難》、《解嘲》、《賓戲》等作,則皆設辭以自慰者焉。

    ”明徐師曾《文體明辨序説》:“問對者,文人假設之詞也。

    其名既殊,其實復異。

    故名實皆問者,屈平《天問》、江淹《邃古篇》之類是也。

    名問而寶對者,柳宗元《晉問》之類是也。

    其它曰難,曰諭,曰答,曰應,又有不同,皆問對之類也。

    古者君臣朋友口相問對,其詞詳見於《左傳》、《史》、《漢》諸書。

    後人倣之,乃設詞以見志,於是有問對之文;而反覆縱橫,真可以舒憤鬱而通意慮,蓋文之不可闕者也。

    ”今按:問對(答)一體實由漢賦之設爲主客問答及反覆鋪陳兩個特徵發展而來。

    本文屬“設辭見志”一類。

    題目可譯成“關於起用廢物的對話”。

     〔二〕柳先生:作者自稱。

    既:在……之後,結束。

    會:拜會。

    州:指永州。

    下同。

    刺史:州之最高行政長官。

    即:就,立即。

    治事:辦公。

     〔三〕愚溪:溪水名,宗元蔔居於此。

    參見《愚溪詩序》。

     〔四〕黧(lí):黑而黃色。

    黧老,臉色黑而黃的老人。

    壯齒:壯年人。

    有(yòu):古代數量在整數與零頭間加“有”字。

    有:通又。

     〔五〕謖足句:謂邁步向前。

    謖(sù):《廣雅·釋言》:“起也。

    ” 〔六〕列:排。

    植:指行列而言。

    《莊子·田子方》:“列士壞植散羣。

    ”司馬注:“植,行列也。

    ”慶:賀。

     〔七〕卒,結束。

    事:指“進”、“慶”等舉動。

    加進:又往前走一步。

     〔八〕今茲二句:謂現在此州裏起用了兩個廢物,您聽説此事嗎? 〔九〕答:回答。

     〔一〇〕東祠:東寺。

    躄(bì):跛。

    浮圖:僧人。

     〔一一〕廄(jiù):馬棚。

    章士釗雲:“《漢書·武五子傳》注:中廄,皇後車馬所在也。

    釗按:此言中廄,泛言皇家馬廄,不必專指皇後而言。

    又《公羊傳》:‘馬繫之中廄’;中廄,泛指國家馬廄,意頗相近。

    ”顙(sǎng):額頭。

    病顙,爛腦門。

    駒(jū):少壯之馬。

    《周禮·夏官·校人》:“春祭馬祖,執駒。

    ”注:“二歲曰駒。

    ”以上引出二廢即躄浮圖及病顙之駒。

     〔一二〕若是句:謂這是怎麽回事? 〔一三〕爲:治。

    爲浮圖道者,治佛教的人,當佛弟子的人。

     〔一四〕都邑之會:即都會,大城市。

    師:法師。

    和尚的尊稱。

     〔一五〕律:戒律。

    敕戒:告誡。

    女釋者:女佛徒,尼姑。

     〔一六〕優遊:閑暇自得貌。

     〔一七〕師道:當法師的本領。

     〔一八〕少而二句:謂小時候腿就瘸了,一天天加重。

    劇:甚。

     〔一九〕扶服二句:謂爬行前進,腳不能走路。

    扶服(púfú):爬行,同“匍匐”。

    輿曳(yè):章士釗言:言車載,或與後世乘肩輿相類。

    子厚《茅簷下始栽竹》詩“江風忽已暮,輿曳還相追”,此在當時,或仍是人獸相雜之代步法。

     〔二〇〕未嘗二句:章士釗雲:“文意謂:師未嘗勉強步行訪人,亦未嘗以人或獸相助代步,妄行造請。

    ” 〔二一〕側匿:躲藏,避人。

    愧恐:羞愧恐懼。

    殊甚:很,極。

     〔二二〕他:其他。

    悉:全部。

    以故:以某種原因。

    去:離開。

     〔二三〕倀倀(chāng):無所適從貌。

    《荀子·修身》:“人無法則倀倀然。

    ”注:“無所適貌,言不知所措履。

    ”師:學,動詞。

     〔二四〕遂:於是。

    相與:互相,共同。

    出:請出。

     〔二五〕盥濯句:謂爲他洗澡。

    盥(guàn):洗手。

    濯(zhuó):洗。

     〔二六〕執輿:拉車。

     〔二七〕前驅:在前開路。

     〔二八〕被:同“披”。

    導:前導。

     〔二九〕怵惕(chùtì):恐懼。

    疾視:顧視迅疾貌。

    引:引導其前。

    翼:輔翼。

    兩旁護衞。

    《詩·生民·行葦》:“以引以翼。

    ” 〔三〇〕師:教。

     〔三一〕餽(kuì):贈送,此作奉獻解。

     〔三二〕時:時常。

    巾:手巾。

    帨(shuì):佩巾,古代婦女用以擦拭不潔,在家掛於門右,外出繫於身左。

     〔三三〕洋洋:得意貌。

     〔三四〕舉莫句:意謂一切皆按常規禮節侍奉躄浮圖。

    舉:皆,全。

    章士釗雲:“‘踰’是誤字,當作‘渝’。

    渝,變也。

    《詩》:‘舍命不渝。

    ’” 〔三五〕且:將近。

     〔三六〕玄:黑色。

    厖(máng):雜色。

     〔三七〕異技:特殊技能。

    硿(kōng):闊大貌。

     〔三八〕齒:並列。

     〔三九〕食斥句:謂把它排斥到别的食槽飼養。

    食(sì):同“飼”,喂。

    斥棄:排斥。

    皁(zào):槽子。

     〔四〇〕恒少句:謂常吃不飽。

     〔四一〕屏立:被排斥孤立一旁。

    擯辱:被排斥受侮辱。

     〔四二〕掣(chè)頓:牽制困頓。

    異甚:特别嚴重。

     〔四三〕披耳:耷(dā)拉耳朵。

     〔四四〕懸涎(xián):口水。

    屬:連。

     〔四五〕伍:夥伴。

     〔四六〕會:逢。

    今刺史:指崔能。

    元和九年黔州觀察使崔能坐爲南蠻所攻,陷郡邑,貶永州刺史。

    禦史中丞,官名。

    《舊唐書·職官志三》:“禦史臺,大夫一員,中丞二員。

    大夫、中丞之職掌持邦國刑憲典章,以肅正朝廷。

    中丞爲之貳。

    ”蒞(lì):到。

    吾邦:我們這地方,指永州。

     〔四七〕屏棄:放棄不用。

    駟:古代四馬駕車曰駟。

    羣駟,所有車馬。

    舟以:“以舟”的倒置,用船。

    泝:逆流而上。

    江:指湘江。

    自黔州至永州皆水道,故屏騎登舟。

    曰泝江者,乃溯湘江而南也。

     〔四八〕無以句:謂沒有馬駕車。

     〔四九〕廄人:養馬人。

    鹹:都。

    秣(mò):喂。

    飾:裝飾。

     〔五〇〕他馬句:謂其它的馬都産於巴僰一帶,軀體矮小。

    巴:地名,今四川東部。

    僰(bó):古代西南地區少數民族名。

    庳(bēi):矮。

    狹:小。

     〔五一〕無可句:謂沒有能配給刺史拉車的。

    當:適合。

     〔五二〕燥土:乾燥之地。

    廡(wǔ):堂下周圍的廊房。

     〔五三〕薦之二句:謂給它鋪上席子,套上絲繮繩。

    薦(jiàn):鋪墊。

    之:它,指馬。

    縻(mí):束縛,此指套上。

    絲:絲做的繮繩。

     〔五四〕剔:梳篦。

    蚤鬋(zǎojiǎn):削馬蹄,剪鬃毛。

    《禮記·曲禮下》:“不蚤鬋,不祭食。

    ”疏:蚤謂除陳爪,鬋謂剪鬣。

     〔五五〕惡(è):污垢。

    洟(yí):鼻液。

     〔五六〕莝(cuò):鍘碎。

    雕胡:草名,菰。

     〔五七〕秣(mò):喂牲口。

    萁(qí):豆稭,豆莖。

     〔五八〕錯貝句:謂雕刻的貝殼鑲滿了馬肚帶。

    錯:刻飾,雕飾。

    《史記·趙氏家》:“夫剪髮文身,錯臂左衽,甌越之民也。

    ”索隱:“錯臂亦文身,謂以丹青錯畫其臂。

    ”貝:貝殼。

    鱗:像魚鱗一樣排列。

    纕(xiāng):馬肚帶。

     〔五九〕鑿金:雕刻的黃金裝飾品。

    文:裝飾,動詞。

    羈:馬籠頭。

     〔六〇〕絡:繫。

    和鈴:繫在馬頭上的一對鈴。

     〔六一〕纓:系。

    動詞,與上句“絡”同義。

    綏(suí):上車時拉手所用的繩索。

    《論語·鄉黨》:“升車,必正立、執綏。

    ”疏:“綏者,挽以上車之索也。

    ” 〔六二〕或:有的人。

    膏:油脂,此作塗油解。

    鬣(liè):馬頸上的毛。

     〔六三〕劘(mó):磨,削。

    此指刮毛。

    脽(shuí):屁股。

     〔六四〕禦夫:駕車人。

    飾:裝飾,打扮。

    持:握,謂手持繮繩。

     〔六五〕除道:修路。

    《國語·周語中》:“九月除道。

    ”注:“除道所以便旅行。

    ”履:踏。

     〔六六〕立之句:謂讓馬車停在水邊。

    涯:水邊。

     〔六七〕幢(chuáng):古代一種旌旗。

    旟(yú):繪有鳥隼圖像的旗。

    《周禮·春官·司常》:“鳥隼爲旟。

    ”幢旟,指儀仗隊的各類旗幟。

    羅:列。

     〔六八〕蓋:車上的傘。

    杠蓋,傘柄和傘。

    《宋書·禮志五》:“又漢制,唯賈人不得乘車馬,其餘皆乘之矣。

    除吏赤蓋杠,餘則青蓋杠雲。

    ” 〔六九〕千夫:秦漢時武功爵秩名。

    《史記·平準書》:“諸買武功爵官首者試補吏,先除;千夫如五大夫。

    ”索隱:“千夫,武功十一等,爵第七。

    五大夫,舊二十等,爵第九也。

    言千夫爵秩比於五大夫。

    ”此指武士。

    翼衞:兩側護衞。

     〔七〇〕當道句:謂在大路上奔馳。

    上馳:《漢書·禮樂志》天馬:“籋浮雲,晻上馳。

    ”注:“師古曰:晻音烏感反,言晻然而上馳。

    ” 〔七一〕抗首:昂頭。

    臆:胸。

    出臆:露出前胸。

    震奮:同“振奮”。

    遨嬉:遨遊嬉戲。

     〔七二〕若有知:似乎有人的知覺。

    宜:應該。

    以上二十二句中的絲、洟、萁、羈、綏、脽、持、涯(音沂)、隨、馳、嬉十一字皆葉韻。

    以上記叙起用躄浮圖、病顙之駒的原因和過程。

     〔七三〕是則二句:謂這些就是如此,您要教導我什麽呢?叟(sǒu):對老年男子的敬稱。

    何以:“以何”的倒置。

     〔七四〕進:前。

    十年:宗元永貞元年十一月道貶永州司馬,明年春至永州,是年改元元和,本文作於元和九年,計十年。

     〔七五〕軼(yì):超過。

     〔七六〕膻(shān):羊臊味。

    此泛指臭味。

    香:香氣。

     〔七七〕溢:滿而外流。

     〔七八〕盈:滿。

    憲章:典章制度。

     〔七九〕包今句:謂通曉古今。

    包:包羅。

    統:總。

     〔八〇〕進退:行止。

    齊:正。

    良:賢。

    以上六句的香、章、良葉韻。

     〔八一〕廢:被貶黜。

    復:起復,再被任用,指返歸朝廷。

     〔八二〕曾:乃。

    不若:比不上。

    猶:還。

    有遭:有遭遇,走運。

     〔八三〕朽人:老朽之人,黧老自謙之詞。

    不識:不明白。

    惑:疑問。

    質:請教。

     〔八四〕過:錯。

     〔八五〕彼:他們。

    乎:在於。

     〔八六〕病乎德:病在德上,指政治上。

    此句爲反語。

     〔八七〕遭:逢,幸運。

    遭其無:幸運在於缺乏其類的時候。

     〔八八〕洎(jì):及。

    四方:指全國各地。

    林立:人多如森林之立。

    猷(yóu):計謀。

    川行:如河水一樣流淌。

    林立、川行,均比喻人才衆多。

     〔八九〕羣談:聚在一起高談闊論。

    角:鬥。

    列坐:一排排坐在一起。

    英:特殊的才能。

     〔九〇〕披華:披着文彩。

    發輝:發出光輝。

    揮喝:指揮命令。

     〔九一〕育德:養成德行。

    馳聲:追逐聲譽。

     〔九二〕丱(guàn)角:束髮成兩角。

    羈貫:與“羈丱”同,成童。

     〔九三〕排廁句:謂像魚一樣一排排連貫而來,極言其多。

     〔九四〕一位:一個官位。

    事:爲也。

    百事交并:謂有無數鑽營者互相競争。

     〔九五〕倚:立。

    駢(pián)倚:並排而立。

    懸足:提起腳跟。

     〔九六〕曾不句:謂仍不能通達,快意。

    曾:仍。

    逞(chēng):通、快。

    以上十四句的行、英、霆、聲、征、并、逞七字皆葉韻。

     〔九七〕乏:缺少。

     〔九八〕以:因爲。

    伏:指貶謫。

    焉:於此。

     〔九九〕豈躄句:謂怎敢希冀有跛和尚和病馬那種幸運呢? 〔一〇〇〕叟之二句:謂老人的話失誤,是明顯的了。

    不要再加重我的罪過。

    過:失誤。

    昭昭:明白,明顯。

    重(chóng):加。

     〔一〇一〕籲(xū):嘆息。

    諭:明白。

     〔一〇二〕拱揖:拱手作揖。

    旋:轉身而去。

     〔一〇三〕爲:替。

    病:苦,此指惋惜。

    以上寫作者對黧老的答話。

     【評箋】 宋·黃震雲:“《答問》及《起廢答》自傷不復用。

    《起廢》謂躄浮圖、病顙駒皆廢十年而有遭,子厚之廢亦十年。

    ”(《黃氏日抄》卷六十) 清·林紓雲:“《答問》及《起廢答》皆解嘲語。

    《答問》之文,不及《進學解》之恢張。

    《起廢答》略趣,然駡世太酷。

    文語語皆柳州本色,惟狃於數見,故亦平易視之。

    ”(《韓柳文研究法·柳文研究法》) 章士釗雲:“柳集中此類騷體文字不一,而韓集中祇有《進學解》一篇,可以爲比。

    吾觀王文祿《竹下寤言》,有論韓柳者一則如下:‘韓退之學不如柳深,柳子厚氣不如韓達;韓詩優於文,柳文優於詩;韓不能賦,柳辭賦之才也。

    柳非黨伾文,伾文援柳爲重;韓之求薦,可恥尤甚於柳;世以成敗論人,是以知柳者少也。

    ’右寥寥不足一百字,頗能櫽括韓柳兩公一生。

    ”釗又案:“儲同人者,時俗選家也,一讀斯篇,即謂此固小文,亦入西漢,雖一粗略估量,究不得以僞選手而貶厥值。

    ”(《柳文指要》上·卷十五) 段太尉逸事狀〔一〕 太尉始爲涇州刺史時〔二〕,汾陽王以副元帥居蒲〔三〕,王子晞爲尚書,領行營節度使,寓軍邠州〔四〕,縱士卒無賴〔五〕。

    邠人偷嗜暴惡者,卒以貨竄名軍伍中〔六〕,則肆志,吏不得問〔七〕。

    日羣行丐取於市〔八〕,不嗛,輒奮擊折人手足,椎釜鬲甕盎盈道上〔九〕,袒臂徐去〔一〇〕,至撞殺孕婦人〔一一〕。

    邠寧節度使白孝德以王故,戚不敢言〔一二〕。

     太尉自州以狀白府〔一三〕,願計事〔一四〕,至則曰:“天子以生人付公理〔一五〕,公見人被暴害,因恬然〔一六〕,且大亂,若何〔一七〕?”孝德曰:“願奉教〔一八〕。

    ”太尉曰:“某爲涇州甚適,少事〔一九〕,今不忍人無寇暴死,以亂天子邊事〔二〇〕。

    公誠以都虞候命某者,能爲公已亂,使公之人不得害〔二一〕。

    ”孝德曰:“幸甚!”如太尉請〔二二〕。

     既署一月〔二三〕,晞軍士十七人入市取酒,又以刃刺酒翁,壞釀器〔二四〕,酒流溝中。

    太尉列卒取十七人〔二五〕,皆斷頭注槊上,植市門外〔二六〕。

    晞一營大譟,盡甲〔二七〕。

    孝德震恐,召太尉曰:“將奈何?”太尉曰:“無傷也。

    請辭於軍〔二八〕。

    ”孝德使數十人從太尉,太尉盡辭去,解佩刀,選老躄者一人持馬〔二九〕,至晞門下〔三〇〕。

    甲者出〔三一〕,太尉笑且入曰:“殺一老卒,何甲也?吾戴吾頭來矣。

    ”甲者愕〔三二〕。

    因諭〔三三〕曰:“尚書固負若屬耶〔三四〕?副元帥固負若屬耶?奈何欲以亂敗郭氏?爲白尚書〔三五〕,出聽我言。

    ”晞出,見太尉,太尉曰:“副元帥勳塞天地,當務始終〔三六〕。

    今尚書恣卒爲暴〔三七〕,暴且亂,亂天子邊,欲誰歸罪〔三八〕?罪且及副元帥〔三九〕。

    今邠人惡子弟以貨竄名軍籍中,殺害人,如是不止,幾日不大亂〔四〇〕?大亂由尚書出,人皆曰,尚書倚副元帥不戢士〔四一〕,然則郭氏功名其與存者幾何〔四二〕?”言未畢,晞再拜〔四三〕曰:“公幸教晞以道〔四四〕,恩甚大,願奉軍以從〔四五〕。

    ”顧叱左右曰:“皆解甲,散還火伍中〔四六〕,敢譁者死〔四七〕!”太尉曰:“吾未晡食〔四八〕,請假設草具〔四九〕。

    ”既食〔五〇〕,曰:“吾疾作〔五一〕,願留宿門下。

    ”命持馬者去,旦日來〔五二〕。

    遂卧軍中〔五三〕。

    晞不解衣,戒候卒擊柝衞太尉〔五四〕。

    旦,俱至孝德所,謝不能,請改過〔五五〕。

    邠州由是無禍〔五六〕。

     先是,太尉在涇州,爲營田官〔五七〕,涇大將焦令諶取人田〔五八〕,自占數十頃,給與農〔五九〕,曰:“且熟,歸我半〔六〇〕。

    ”是歲大旱,野無草,農以告諶。

    諶曰:“我知入數而已〔六一〕,不知旱也。

    ”督責益急。

    農且飢死,無以償,即告太尉〔六二〕。

    太尉判狀辭甚巽〔六三〕,使人求諭諶〔六四〕。

    諶盛怒,召農者曰:“我畏段某耶?何敢言我〔六五〕!”取判鋪背上〔六六〕,以大杖擊二十,垂死,輿來庭中〔六七〕。

    太尉大泣曰:“乃我困汝〔六八〕。

    ”即自取水洗去血,裂裳衣瘡〔六九〕,手注善藥〔七〇〕,旦夕自哺農者,然後食〔七一〕。

    取騎馬賣,市穀代償〔七二〕,使勿知〔七三〕。

    淮西寓軍帥尹少榮〔七四〕,剛直士也,入見諶,大駡曰:“汝誠人耶〔七五〕?涇州野如赭〔七六〕,人且飢死,而必得穀〔七七〕,又用大杖擊無罪者。

    段公,仁信大人也〔七八〕,而汝不知敬。

    今段公唯一馬,賤賣市穀入汝,汝又取不恥〔七九〕。

    凡爲人,傲天災、犯大人、擊無罪者,又取仁者穀,使主人出無馬〔八〇〕,汝將何以視天地,尚不愧奴隸耶〔八一〕?”諶雖暴抗〔八二〕,然聞言則大愧流汗,不能食,曰:“吾終不可以見段公。

    ”一夕自恨死〔八三〕。

     及太尉自涇州以司農徵〔八四〕,戒其族:過岐,朱泚幸緻貨幣,慎勿納〔八五〕。

    及過,泚固緻大綾三百匹〔八六〕,太尉壻韋晤堅拒,不得命〔八七〕。

    至都,太尉怒曰:“果不用吾言〔八八〕!”唔謝曰:“處賤,無以拒也〔八九〕。

    ”太尉曰:“然終不以在吾第〔九〇〕。

    ”以如司農治事堂,棲之梁木上〔九一〕。

    泚反〔九二〕,太尉終〔九三〕,吏以告泚〔九四〕,泚取視,其故封識具存〔九五〕。

     太尉逸事如右〔九六〕。

     元和九年月日,永州司馬員外置同正員柳宗元謹上史館〔九七〕。

    今之稱太尉大節者,出入〔九八〕,以爲武人一時奮不慮死,以取名天下〔九九〕,不知太尉之所立如是〔一〇〇〕。

    宗元嘗出入岐、周、邠、斄間〔一〇一〕,過真定,北上馬嶺,歷亭鄣堡戍〔一〇二〕,竊好問老校退卒〔一〇三〕,能言其事。

    太尉爲人姁姁,常低首拱手行步〔一〇四〕,言氣卑弱,未嘗以色待物〔一〇五〕,人視之,儒者也。

    遇不可,必達其志,決非偶然者〔一〇六〕。

    會州刺史崔公來,言信行直〔一〇七〕,備得太尉遺事〔一〇八〕,覆校無疑〔一〇九〕。

    或恐尚逸墜,未集太史氏〔一一〇〕,敢以狀私於執事〔一一一〕。

    謹狀〔一一二〕。

     〔一〕元和九年(八一四)作於永州。

    段太尉:段秀實,字成公,唐汧陽(今陝西汧陽縣)人。

    兩《唐書》皆有傳。

    太尉,官名,唐最高武官官銜。

    秀實生前未任太尉。

    德宗建中四年(七八三),朱泚反,段秀實與之鬥争,被殺害。

    興元元年(七八四),德宗追贈太尉。

    本文“太尉”爲追稱。

    逸事:同“軼事”,指散逸之事。

    狀:行狀,古代文體。

    逸事狀,行狀的變體,祇録逸事,其人所共知者,如世系、爵裡、享年及世所流傳之事蹟皆不録。

    徐師曾《文體明辨序説》:“行狀……蓋具死者世系、名字、爵裡、行治、壽年之詳,或牒考功太常使議謚,或牒史館請編録,或上作者乞墓誌碑表之類皆用之。

    而其文多出於門生故吏親舊之手,以謂非此輩不能知也。

    其逸事狀,則但録其逸者,其所已載不必詳焉。

    乃狀之變體也。

    ”宗元並非段秀實親故部舊門生,段死時,宗元僅十二歲。

    宗元此狀全爲彰明正義,以供史官採録,曾將此狀寄給史官韓愈,有《與史官韓愈緻段秀實太尉逸事書》。

     〔二〕涇州:今甘肅涇川縣一帶。

    世綵堂本孫汝聽注:“大曆十二年,邠寧節度使白孝德薦秀實爲涇州刺史。

    ”按:據《唐方鎮年表》卷一:代宗廣德二年(七六四)及永泰元年(七六五)白孝德在邠寧節度使任;大曆元年(七六六)已由馬璘接任;大曆三年,罷邠寧節度使,邠寧割隸朔方節度,大曆十四年始復置邠寧慶節度使;大曆三年至十三年,郭子儀爲朔方軍篩度使。

    又《通鑑》代宗廣德二年十一月:“涇州刺史段秀實自請補都虞候,孝德從之。

    ”則事在廣德二年,孫注誤。

     〔三〕邠陽王:即郭子儀,唐名將,平安史之亂,功居第一,肅宗上元三年(七六二),封邠陽王。

    副元帥,代宗廣德二年(七六四)正月,授郭子儀關内河東副元帥、河中節度等使,駐軍蒲州。

    蒲,蒲州,唐河中府治所,在今山西永濟縣。

     〔四〕王子晞(xī):“邠陽王之子郭晞”的省稱。

    郭晞,郭子儀第三子,善戰,隨父平安史,有戰功,官至禦史中丞,此時官左散騎常侍。

    死後贈兵部尚書。

    本文稱“尚書”乃追稱。

    領:任。

    行營:指副元帥郭子儀的行營。

    寓軍:臨時駐軍。

    邠(bīn)州:今陝西彬縣。

    按:代宗廣德二年(七六四)八月,回紇、吐蕃十萬兵馬進犯邠州,時郭子儀由河中府入朝,即遣其子郭晞領兵萬人救邠州。

    邠寧節度使白孝德與郭晞閉城拒守。

    回紇、吐蕃同時犯長安,爲郭子儀所退,圍邠之敵亦退,郭晞因駐軍邠州(事詳《通鑑》卷二百二十三)。

     〔五〕縱:放任不管束。

    無賴:蠻橫不法。

     〔六〕邠人二句:謂輕薄、貪婪、殘暴、兇惡的當地不法分子,大都行賄加入郭晞軍籍。

    偷:薄。

    嗜:貪婪。

    卒:舊注:“一本作率。

    ”可從。

    率:大都。

    貨:財貨。

    以貨,用錢,指賄賂。

    竄名:列名。

    軍伍中:軍隊中。

     〔七〕肆志:肆意胡爲。

    吏:指地方官吏。

    問:過問,問罪。

     〔八〕丐取:求取,指強行勒索。

    市:市場。

    下文“市”字同。

     〔九〕嗛(qiè):通“慊”,滿足,滿意。

    輒:便。

    奮擊:用力打。

    椎(chuí):以物擊。

    釜(fǔ):鍋。

    鬲(lì):三足鼎。

    甕(wèng):腹大口小的陶器,用以盛水或酒,今所謂罈子。

    盎(àng):瓦盆。

    盈:滿。

     〔一〇〕袒(tǎn):露。

    袒臂,挽起袖子。

    徐去:慢慢離去。

     〔一一〕撞:衝打。

    殺:死。

     〔一二〕邠寧二句:謂節度使白孝德懼怕郭子儀的權勢,不敢懲處郭晞士卒。

    邠:邠州。

    寧:寧州,治所在今甘肅寧縣,南與邠州接壤,西與涇州接壤。

    中唐邠寧節度使轄三州。

    《元和郡縣圖志》卷三關内道邠州:“今爲邠寧節度使理所,管州三:邠州,寧州,慶州。

    ”白孝德:人名,李光弼部將,有軍功。

    據《通鑑》卷二百二十三:代宗廣德元年(七六三)孝德在鄜延節度使任,廣德二年九月已在邠寧節度使任。

    王:指郭子儀。

    故:原因。

    戚:憂愁。

    言:過問。

    以上叙郭晞縱任士卒殘害邠州百姓,節度使白孝德懼怕郭子儀而不敢過問。

     〔一三〕自州:從涇州。

    狀:官府向上級陳事的公文。

    白:禀告。

    府:白孝德節度官府,此指白孝德。

    按:涇州屬涇原節度使統轄(見《元和郡縣圖志》卷三),並不屬白孝德統轄。

    據《通鑑》卷二百二十三:前此一年(廣德元年)十月,吐蕃陷長安,代宗逃至陝州(今河南陝縣),郭子儀光復長安,“鄜延節度判官段秀實説節度使白孝德引兵赴難,孝德即日大舉,南趣京畿,與蒲、陝、商、華合勢進擊。

    ”則一年前段秀實本爲白孝德部下,未幾,遷涇州刺史,至是,秀實以舊部屬上狀孝德自薦也。

    涇州在邠州西北一百八十裡。

     〔一四〕計事:議事,指商議郭晞士卒不法事。

     〔一五〕生人:生民,百姓。

    付:交給。

    公:對對方的敬稱。

    理:治,治理。

     〔一六〕因:仍然。

    恬然:安閑貌。

     〔一七〕且:將要。

    若何:怎麽辦。

     〔一八〕奉教:意謂請指教。

     〔一九〕某:自稱。

    甚適:很舒適、清閑。

    少事:公事少。

     〔二〇〕人:百姓。

    寇:敵寇,唐稱異族入侵爲寇,此指吐蕃、回紇。

    無寇暴死,無吐蕃入寇,百姓卻慘死。

    邊:邊境。

    安史之亂前,唐西境達鹹海,北境達安加拉河;安史之亂起,吐蕃乘機侵掠唐地,今甘肅以西盡爲所陷,並屢入侵邠、寧、慶、原、涇等州,故邠寧節度使所轄地實爲邊境。

    邊事,邊防。

     〔二一〕都虞候:掌斥候伺姦,軍中執法官。

    以都虞候命某,命我任都虞候。

    爲(wèi):替。

    已:止,制止。

    不得害:不遭傷害。

     〔二二〕如:從,同意。

    請:請求。

    以上叙段秀實自薦爲都虞候。

     〔二三〕既署:已經代理。

    此指以涇州刺史代理都虞候。

     〔二四〕釀器:指盛酒器。

     〔二五〕列卒取:指帶領士兵捕捉。

     〔二六〕注:屬,附着。

    槊(shuò):長矛。

    植:豎立。

     〔二七〕大譟(zào):喧嚷騷動。

    甲:披鎧甲,披甲即備戰。

     〔二八〕無傷:無妨礙,沒關係。

    請:請允許。

    辭:解釋。

    軍:指郭晞軍營。

     〔二九〕老躄(bì)者:又老又跛的士卒。

    躄,跛。

    持馬:牽馬。

     〔三〇〕門下:轅門前。

     〔三一〕甲者句:謂披甲士兵出轅門。

     〔三二〕愕:驚訝。

     〔三三〕諭(yù):開導,説明。

     〔三四〕尚書:指郭晞。

    固:難道。

    負:辜負。

    若屬:你們這些人。

     〔三五〕爲白:替我禀告。

     〔三六〕勳:功勞。

    塞:充滿。

    務始終:力求有始有終。

     〔三七〕恣卒爲暴:放縱士卒作惡。

    恣(zì):放任,放縱。

     〔三八〕欲誰歸罪:“欲歸罪誰”的賓語提前句,意謂罪將歸於誰? 〔三九〕罪且句:謂罪將及於郭子儀身上。

    按:郭子儀令郭晞率兵萬人赴邠,助白孝德禦吐蕃,參見注〔四〕。

    若晞軍逼反邠民,乃郭晞之罪,必牽連郭子儀,秀實故雲。

     〔四〇〕幾日句:謂不亂還能有幾天。

     〔四一〕倚:倚仗。

    戢(jí):禁止,管束。

    士:士兵。

     〔四二〕其與:《左傳·襄公二十九年》:“是盟也,其與幾何?”楊伯峻注:“即‘其幾何歟’之變句。

    ”依此説,本句爲“郭氏功名其存者幾何與(歟)?”的變句,意謂郭家功名還能剩多少呢?幾何:多少。

     〔四三〕再拜:拜而又拜,表示恭敬的禮節。

     〔四四〕以道:用大義。

     〔四五〕願奉句:謂願率全軍聽您指教。

     〔四六〕火伍:隊列。

    《新唐書·兵志》:“府兵十人爲火,火有長。

    ”《管子·小匡》:“五人爲伍。

    ” 〔四七〕譁:指吵嚷。

     〔四八〕晡(bū)食:吃晚飯。

    晡,申時,相當於下午三時至五時。

     〔四九〕請假句:意謂請讓我吃頓便飯。

    假:借。

    設:置放。

    草具:粗糙簡單的食具。

     〔五〇〕既食:吃過飯。

     〔五一〕疾作:病發了。

     〔五二〕旦日:明天。

     〔五三〕卧:睡。

     〔五四〕戒:命令。

    候卒:負責巡邏警衞的士兵。

    柝(tuò):巡夜時敲打的梆子。

     〔五五〕謝:謝罪。

    不能:無能。

    請:請求準許。

     〔五六〕由是:從此。

    以上叙段秀實懲治不法士卒,並規勸郭晞,邠州從此安寧。

     〔五七〕先是:在此之前,指任涇州刺史之前。

    營田官:白孝德任邠寧節度使,段秀實代理支度、營田副使(見《新唐書·段秀實傳》)。

     〔五八〕焦令諶(chén):人名,馬璘的部將。

    取:奪占。

    人田:民田,百姓的土地。

     〔五九〕給與農:佃給農民耕種。

     〔六〇〕且熟二句:謂將來糧熟,給我一半。

     〔六一〕入數:按數交糧。

     〔六二〕且飢三句:謂農民快要餓死,沒有糧交,就將此事告段秀實。

     〔六三〕判狀:判案的判決書。

    辭:措詞。

    巽(xùn):通“遜”,委婉,恭順。

     〔六四〕諭:曉釋,代爲求情。

     〔六五〕言我:告我。

     〔六六〕判:判狀。

     〔六七〕垂:接近,快要。

    輿:擡。

    庭:段秀實的府庭。

     〔六八〕乃我句:是我讓你受苦。

    困:苦,痛。

     〔六九〕裂:撕開。

    衣(yì):包紮。

    瘡:傷。

     〔七〇〕手注:親手敷。

    注:附着,敷。

     〔七一〕哺:喂。

    食:(自己)吃飯。

     〔七二〕市:買。

    代:替(農民)。

     〔七三〕使勿知:謂不讓焦令諶知道。

     〔七四〕淮西句:淮南道治揚州,淮西指淮南道西部的申州(今河南信陽市)、光州(今河南潢川縣)、黃州(今湖北新洲縣)、安州(今湖北安陸縣)一帶。

    代宗時吐蕃騷擾西北邊境,常調外鎮兵馬防衞,臨時駐軍,而稱寓軍。

    淮西寓軍,指臨時駐軍涇州的淮西部隊。

    帥:主帥。

    尹少榮:人名,未詳其人。

     〔七五〕誠:真,真是。

     〔七六〕野如赭(zhě):意謂大旱,禾苗不生,唯紅土而已。

    野,原野。

    赭,紅土。

     〔七七〕而:汝。

     〔七八〕仁信句:謂是仁義真誠、品行高尚的人。

    大人:德行高尚的人。

    《易·乾》:“夫大人者,與天地合其德。

    ” 〔七九〕取不恥:收取而不知恥。

     〔八〇〕凡爲六句:例數焦的過錯。

     〔八一〕汝將二句:謂你有何資格活在人間,還不如奴隸嗎?視天地:謂仰視天,俯視地,活在人間。

    愧奴隸:意謂不如奴隸。

     〔八二〕抗暴:強橫兇暴。

     〔八三〕自恨死:代宗大曆八年(七七三)十月,焦令諶任涇原節度使馬璘的兵馬使(見《通鑑》卷二百二十四)。

    宗元謂死(於廣德年間),或據傳聞之誤。

    以上寫段秀實爲一普通農民解難。

     〔八四〕及太句:及,到,等到。

    代宗大曆十一年(七七六),涇原節度使馬璘病卒,段秀實以行軍司馬知節度事。

    次年九月,授涇原節度使,鎮涇州(事見《通鑑》卷二百二十五)。

    德宗建中元年(七八〇)二月,段秀實以直言觸怒吏部侍郎楊炎,時楊炎獨任朝政,徵秀實爲司農卿(事見《通鑑》卷二百二十六)。

     〔八五〕戒其四句:戒其族,告誡家族中人。

    過岐(qí):路過岐州時。

    岐州治所在今陝西鳳翔縣。

    朱泚(cǐ):人名。

    朱泚曾任幽州節度使,盧龍、隴右節度使。

    《通鑑》卷二百二十五:“大曆十四年六月,以泚爲鳳翔尹。

    ”緻:贈送。

    勿納:不要接受。

    按:段秀實對朱泚有戒心,故不準受禮。

     〔八六〕綾:絲織品。

     〔八七〕韋晤:人名,段之婿。

    不得命:謂不得朱泚收回成命。

     〔八八〕果:果然,果真。

    用:聽從。

     〔八九〕謝:謝罪。

    處賤:(我的)官位低。

    無以拒:意謂無法拒絶。

     〔九〇〕以:以(之),把它。

    在:放在。

    吾第:我家。

     〔九一〕如:(送)往。

    司農治事堂:司農卿衙公堂。

    棲之:把它放在。

     〔九二〕泚反:德宗建中四年(七八三)八月,李希烈(反叛的藩鎮軍閥)兵圍襄城(今湖北襄樊市),九月,詔涇原節度使姚令言往救,姚率兵五千,至長安,士兵嘩變,德宗逃往鹹陽,又逃奉天(今河南縣名),姚遂反,擁立朱泚,時朱泚以太尉閑居長安,泚乃自立爲大秦皇帝,後又改國號爲漢。

     〔九三〕太尉終:朱泚以段秀實久失兵權,必怨唐,乃召之議事,秀實以笏擊朱泚,中額,流血灑地。

    泚狼狽走脫,秀實被殺(與上句注均見《通鑑》卷二百二十八)。

     〔九四〕告泚:指告泚秀實將其所贈綾置於司農治事堂樑上事。

     〔九五〕故封:舊時的封條。

    識(zhì):通“誌”,題字。

    以上叙段秀實不受朱泚厚禮。

     〔九六〕如右:如上文。

    古人作文,由右向左直行書寫。

     〔九七〕永州句:永州司馬員外置同正員,宗元當時官職全稱。

    員外置:唐太宗時規定全國官員共七百三十員,此爲定員,定員之外,稱“員外置”。

    同正員,地位待遇與正員同。

    上:上呈。

    史館:官修史書的機構。

     〔九八〕出入:《新唐書·柳宗元傳》作“大抵”,作“大抵”則屬下句。

    《唐文粹》無此二字。

     〔九九〕奮不慮死:奮不顧死,指笏擊朱泚而遇害事。

    取名:博取名譽。

     〔一〇〇〕所立:素來的立身之道。

     〔一〇一〕嘗:曾經。

    出入:指往來。

    岐:見注〔八五〕。

    周:周朝的都城,原在岐,故稱岐周。

    斄(tái):音義皆同“邰”,在今陝西武功縣境内。

     〔一〇二〕真定:疑爲“真寧”之誤,真寧:唐寧州真寧縣,即今甘肅正寧縣。

    寧州在涇州東一百五十裡、慶州南一百三十裡、邠州北一百四十裡(見《元和郡縣圖志》卷三寧州“八到”注),屬邠寧節度使轄區。

    馬嶺:在今甘肅慶陽縣西北,唐縣名。

    《元和郡縣圖志》卷三關内道慶州馬領縣:“本漢舊縣……義寧二年,於今縣理北十裡百家堡置馬領縣,屬弘化郡,以縣西一裡有馬領坂,因名。

    ”“嶺”與“領”通用。

    馬領縣在真寧縣西北,不足二百裡,故曰“過真定(寧),北上馬嶺。

    ”歷:經過。

    亭:邊防哨所。

    鄣:同“障”,防禦工事。

    堡:堡壘。

    戍:戍所,崗哨所。

    按:此二句中真寧、馬嶺及上句所列地名均爲肅、代宗朝吐蕃、回紇屢屢騷擾之地,即段秀實曾任職的抗敵前綫。

     〔一〇三〕竊(qiè):自謙之詞,私下。

    校:軍中低級官吏。

    退卒:退役士兵。

    德宗貞元十年(七九四),柳宗元曾往邠州軍中探望叔父,去段秀實之死僅隔十一年。

     〔一〇四〕太尉二句:謂段秀實爲人和氣,常低頭走路,擡頭見人即拱手。

    姁姁(xǔ):和悅貌。

     〔一〇五〕色:怒色,厲色。

    待物:接人待物。

     〔一〇六〕不可:不平之事。

    達其志:達到糾正不公的目的。

    決非偶然:指擊朱泚的義舉不是偶然衝動。

     〔一〇七〕崔公:崔能。

    元和九年,崔能任永州刺史(參見《起廢答》注〔四六〕)。

    言信:説話真實可靠。

    行直:行爲正直。

     〔一〇八〕備:全面而詳盡。

     〔一〇九〕覆校:覆核校對。

     〔一一〇〕逸墜:遺失,指文中所叙諸事。

    集:收集採録。

    太史氏:古史官稱太史。

     〔一一一〕狀:指本文。

    私:以私人身份送達。

    執事:舊時書信中用於對方的敬稱,此狀實際是送給韓愈的。

    見注〔一〕。

     〔一一二〕以上寫收集遺事過程及撰文目的,並補叙段秀實爲人外柔内剛的性格。

     【評箋】 清·沈德潛雲:“凡逸事三:一寫其剛正,一寫其慈惠,一寫其清節,段段如生。

    至於以笏擊賊,此緻命大節,人人共喻,不慮史官之遺也。

    後劉昫撰《唐書》,仍不採所上之狀,至宋祁始補入之。

    ”(《唐宋八家文鈔》卷九) 清·愛新覺羅弘曆雲:“世謂柳宗元記段秀實、曾鞏記顔真卿,皆不以一死重其平生,以爲具眼定論。

    然兩作自是不同,秀實武人,宗元恐後世以其奮笏擊朱泚爲出於一時激烈所爲,沒其平日慈惠忠清可以當大事之學識,故特著其逸事,以傳後世。

    若顔真卿之大節,卓卓震耀耳目,其不靳以一死重者,夫人知之,不待鞏言,非若秀實之傳於今,實宗元表章之之力也。

    ”(《唐宋文醇》評語卷五十六南豐曾鞏文《撫州顔魯公祠堂記》) 清·趙翼雲:“《段秀實傳》,《新書》增郭晞軍士縱暴,秀實斬十七人,及大將焦令諶責農租,秀實賣馬代償,令諶愧死二事,皆《舊書》所無。

    按:此出柳宗元所記《段太尉逸事狀》。

    謂之逸事,必是國史所本無者。

    宗元蓋嘗見國史本傳,故另作狀以著之。

    ”(《陔餘叢考》卷十二) 清·蔡世遠雲:“段公忠義明決,叙得懔懔有生氣。

    文筆酷似子長,歐蘇亦未易得此古峭也。

    先殺十七人,而後見晞,事似太爽快,近危道,公蓋知晞可與言者,又不如此而先見晞,恐不足以弭之,然公是時義激於中,生死總不計及。

    不然,笏擊逆泚,豈自分不死耶?”(《古文雅正評語》卷九) 以上永州編年文。

     鶻説〔一〕 有鷙曰鶻者,穴于長安薦福浮圖有年矣〔二〕。

    浮圖之人室宇于其下者,伺之甚熟〔三〕,爲餘説之曰:“冬日之夕,是鶻也,必取鳥之盈握者完而緻之〔四〕。

    以燠其爪掌,左右而易之〔五〕。

    旦則執而上浮圖之跂焉,縱之〔六〕,延其首以望,極其所如往,必背而去焉〔七〕。

    苟東矣,則是日也不東逐〔八〕,南北西亦然〔九〕。

    ” 嗚呼!孰謂爪吻毛翮之物而不爲仁義器耶〔一〇〕?是固無號位爵祿之欲,裡閭親戚朋友之愛也〔一一〕,出乎鷇卵〔一二〕,而知攫食決裂之事爾〔一三〕,不爲其他〔一四〕。

    凡食類之飢,唯旦爲甚〔一五〕,今忍而釋之,以有報也〔一六〕。

    是不亦卓然有立者乎〔一七〕?用其力而愛其死,以忘其飢,又遠而違之〔一八〕,非仁義之道耶〔一九〕?恒其道,一其志,不欺其心,斯固世之所難得也〔二〇〕。

     餘又疾夫今之説曰〔二一〕:“以喣喣而嘿,徐徐而俯者,善之徒〔二二〕;以翹翹而厲,炳炳而白者,暴之徒〔二三〕。

    ”今夫梟鵂,晦於晝而神於夜〔二四〕;鼠不穴寢廟,循牆而走〔二五〕,是不近於喣喣者耶〔二六〕?今夫鶻,其立趯然〔二七〕,其動砉然〔二八〕,其視的然〔二九〕,其鳴革然〔三〇〕,是不亦近於翹翹者耶〔三一〕?由是而觀其所爲,則今之説爲未得也〔三二〕。

    孰若鶻者,吾願從之〔三三〕。

    毛耶翮耶,胡不我施〔三四〕?寂寥太清,樂以忘飢〔三五〕。

     〔一〕此篇以下至《封建論》,爲永州作而無可繫年之文(依施子愉《柳宗元年譜》)。

    鶻(hú,舊音gǔ):猛禽,屬鷙鳥類,能俯擊鳩鴿等小鳥而食之。

    一説鶻即隼。

    唐皇宮飼養獵鷹獵犬分雕、鶻、鷂、鷹、狗五坊(見韓愈《順宗實録》二)。

    説:古代文體。

    明吳訥《文章辨體序説》:“説者,釋也,述也,解釋義理而以己意述之也。

    ……魏晉六朝文載《文選》,而無此體,……至昌黎韓子,憫斯文日弊,作《師説》,抗顔爲學者師。

    迨柳子厚及宋室諸大老出,因各即事即理而爲之説,以曉當世,以開悟後學。

    ”此體實自韓愈、柳宗元始確立。

    以説爲題之文大至可分四類:一、就事論事,如韓愈《師説》。

    二、借題發揮,比附連類,由此出發而意實在彼,如本文。

    三、爲説理而虛構一神異故事,實屬寓言小品文,如宗元《謫龍説》。

    四、説理成分極微,以緻改變此體性質,如宗元《捕蛇者説》實録蔣氏三代生活遭遇,僅篇末發議論,實屬傳記文。

    故以説爲題之文,文體極難統一,應視具體内容而確定其文體性質。

     〔二〕有鷙二句:謂有隻叫鶻的鷙鳥在長安薦福寺内塔上穴居多年了。

    鷙(zhì):猛禽。

    穴:巢居。

    浮圖:塔。

    梵語音譯,也寫作“佛圖”、“浮屠”。

    《魏書·釋老志》:“凡宮塔制度,猶依天竺舊狀重構之,從一級至三五七九,世人相承謂之浮圖,或雲佛圖。

    ”薦(jiàn)福:寺名,又塔名。

    唐睿宗文明元年在長安城南建大佛寺。

    武則天天授元年改爲薦福寺。

    中宗景龍元年起塔,高十五層,塔因寺而得名。

    寺内原有歐陽詢所書薦福寺碑,後毀。

     〔三〕浮圖:一義爲塔,一義爲佛。

    佛圖之人:寺内僧人。

    其下:指塔下。

    伺:觀察。

     〔四〕爲餘説之:向我講起它。

    是:這。

    取:尋找。

    盈握:滿一把。

    完:完好無損。

    完而緻之,活捉回來。

     〔五〕以燠二句:謂用鳥暖它的爪掌,在兩隻爪掌中來回調換。

    燠(yù):暖。

    易:調換。

     〔六〕旦:清晨。

    執:抓住。

    跂(qǐ):童宗説注:“浮圖之跂,塔之最高處。

    ”縱之:放了它。

     〔七〕延其三句:謂鶻伸長脖子觀察鳥的去向,直至看不到爲止,然後必向相反的方向飛。

    延:伸長。

    首:頭,此指頸。

    極:指鶻的視力極限。

    如:《爾雅·釋詁》:“如,往也。

    ”所如往,去向。

    背:相背的方向。

    去:飛去。

     〔八〕苟東二句:謂如果鳥向東飛,鶻在這天就不往東飛捉食。

    苟:如果。

    逐:追,指追鳥。

     〔九〕亦然:也是這樣。

    以上記僧人所叙鶻捉鳥縱鳥的奇事。

     〔一〇〕孰謂句:誰説禽類就不能成爲仁義之物呢?吻:《説文》:“口邊也。

    ”翮(hé):《説文》:“羽莖也。

    ”指羽毛。

    口吻毛翮之物,指禽類。

     〔一一〕是固二句:謂這些禽類本來就沒有官職爵祿的欲望,和鄉鄰親戚的關係。

    固:本來。

    號位:官階職位。

    爵(jué):爵位。

    《禮記·王制》:“王者之制祿爵,公、侯、伯、子、男凡五等。

    ”祿:俸祿,官吏的俸給。

    裡:《周禮·地官·遂人》:“五家爲鄰,五鄰爲裡。

    ”閭(lǘ):古以二十五家爲閭。

     〔一二〕出乎句:謂從卵中孵化出來。

    鷇(gòu)卵:指剛出蛋殼的雛鳥。

    《國語·魯語》上:“鳥翼鷇卵,蟲舍蚳蝝。

    ”注:“生哺曰鷇,未乳曰卵。

    ” 〔一三〕攫(jué):抓取。

    決裂:撕碎。

    爾:而已,罷了。

     〔一四〕不爲句:謂不懂做别的事。

    言外之意,物類無知,與人不同。

    此句引出下文議論。

     〔一五〕食類:吃食物的鳥獸。

    旦:清晨。

     〔一六〕今忍二句:謂現在這隻鶻忍受着清晨的飢餓而放了鳥,是因爲要報答它用體溫暖了自己的爪掌。

    忍:忍飢。

    釋:釋放。

    有報:有所報答的事。

     〔一七〕是:這。

    卓然:特異不凡貌。

    立:樹立。

     〔一八〕用其三句:前兩個“其”字指鳥,後一“其”字指鶻。

    違:《説文》:“違,離也。

    ” 〔一九〕非……耶:不是……嗎?道:行爲。

     〔二〇〕恒其四句:謂鶻保持自己的行爲和心志永久不變,永不自欺,這本來是人世間所難找到的。

    恒:長久。

    一:專一。

    欺:自昧其心曰欺。

    以上贊揚鶻是仁義之物,其品質爲人世間所少有。

     〔二一〕餘又句:我又痛恨當今社會上那種説法。

    疾:憎恨。

    夫:那(種)。

     〔二二〕以喣三句:謂認爲那些和顔悅色、沉默寡言、躬身俯首者是善人。

    喣喣(xǔ):和悅貌。

    嘿(mò):閉口不講話。

    同“默”。

    徐徐:緩慢。

    俯:屈身,彎腰低頭。

    徒:類。

     〔二三〕以翹三句:謂認爲那些高亢猛烈爽朗率真者是暴徒。

    翹翹(qiáo):高貌。

    厲:猛烈。

    炳炳:光明。

    《廣雅·釋訓》:“炳炳,明也。

    ”白:坦白,率真。

     〔二四〕梟(xiāo):也作“鴞”,俗稱貓頭鷹、夜貓子,晝伏夜出。

    舊説梟食母,稱之爲不孝鳥。

    《説文》:“梟,不孝鳥也。

    日至捕梟磔之。

    ”鵂(xiū):鵂鶹,鴟鴞的一種。

    梟鵂,泛指貓頭鷹。

    晦:暗,這裏指看不見。

    神:有神,指眼明。

    《莊子·秋水》:“鴟鵂夜撮蚤,察毫末,晝出瞋目而不見丘山。

    ” 〔二五〕穴:穴居。

    《左傳·襄公二十三年》:“夫鼠晝伏夜動,不穴於寢廟,畏人故也。

    ”寢廟:宗廟是天子、諸侯祭祀祖先的處所。

    寢在後,廟在前,合稱寢廟。

    循牆:依牆。

    走:奔逃。

     〔二六〕是不句:謂梟鵂與鼠和人們所説的那種和顔悅色的善人不是很近似的嗎? 〔二七〕立:站立。

    趯(tì):跳。

    《説文》:“趯,踴也。

    ” 〔二八〕(huā):象聲詞,形容迅速動作的聲音。

     〔二九〕的(dí)然:明亮貌。

    《廣韻》:“的,明也,都歷切。

    ” 〔三〇〕革(jí):急。

    革然:指聲音急厲。

     〔三一〕是不句:謂鶻和人們所説的那種舉止高亢的暴徒不是很近似的嗎? 〔三二〕未得:意謂不正確。

     〔三三〕孰若二句:謂有誰的品德像鶻,我願跟隨他。

    孰:誰。

    從:跟隨。

     〔三四〕毛耶二句:謂爲何不給我插上羽毛,胡:何。

    施:給予。

     〔三五〕寂寥二句:謂使我能翺翔於寂靜的天空,心情愉悅可以忘卻飢餓。

    寂寥:寂靜。

    太清:天空。

    以上以梟鵂、鼠和鶻爲例批駁當時流行的從表象看人的説法,寄託對世俗自欺其心者的憎惡之情。

     【評箋】 明·茅坤雲:“柳子疾世之獲其利而復擠之死者,故有是文,亦可以刺世矣。

    ”(《唐宋八大家文鈔·柳柳州文鈔》卷八) 清·柳愚雲:“餘讀柳子厚《鶻説》:‘冬日之夕,鶻必取鳥之盈握者完而緻之,以燠其掌,左右而易之,旦則縱之。

    ’後讀李北海《鶻賦》亦雲:‘嚴冬沍寒,烈風迅激,……營全鳩以自暖,罔害命以招益,信終夜而懷仁,仍詰旦而見釋。

    ’則北海已先言之矣。

    ”(《復小齋賦話》卷下) 清·林紓雲:“《鶻説》主報施言,正意尚不吐露。

    中間神光湧見處,在‘無位號爵祿之欲,裡閭親戚朋友之愛’,著一‘無’字,覺世之言,全不坐實。

    歸入‘出乎鷇卵’句,人不如鳥,在有意無意間點清,工夫又全在上句一個‘器’字,言‘毛翮之物’,原‘不爲仁義之器’。

    然無欲,則爲此不算沽名;無愛財,行此不爲徇私。

    區區以‘用其力之故,遂愛其死,忘其飢’,鶻之明道近理,乃出天然之鷇卵物,無其器而有其道,則明明爲人者愧死矣。

    駡到此處,以賤躐貴,以物淩人,亦可止矣,然未痛快也,率性再舉梟鼠一比。

    二物陰而嘿,鶻則陽而厲,厲則近盜。

    然鶻之所爲弗盜,去陰賊者,遠矣。

    仍是就鶻説鶻,不涉人事。

    末至毛翮不辭,但思奮乎太清,則憤世極矣。

    或言人有爲子厚所卵翼,而不知報,故斥爲鶻之不若,似亦有理。

    ”(《韓柳文研究法·柳文研究法》) 謫龍説〔一〕 扶風馬孺子言〔二〕:年十五六時,在澤州〔三〕,與羣兒戲郊亭上。

    頃然,有奇女墜地,有光曄然〔四〕,被緅裘白紋之裏〔五〕,首步搖之冠〔六〕。

    貴遊少年駭且悅之〔七〕,稍狎焉〔八〕。

    奇女頩爾怒曰〔九〕:“不可!吾故居鈞天帝宮〔一〇〕,下上星辰,呼噓陰陽〔一一〕,薄蓬萊,羞崑崙,而不即者〔一二〕。

    帝以吾心侈大〔一三〕,怒而謫來,七日當復〔一四〕。

    今吾雖辱塵土中〔一五〕,非若儷也〔一六〕。

    吾復,且害若〔一七〕。

    ”衆恐而退。

    遂入居佛寺講室焉〔一八〕。

    及期〔一九〕,進取杯水飲之,噓成雲氣〔二〇〕,五色翛翛也〔二一〕。

    因取裘反之〔二二〕,化爲白龍,徊翔登天〔二三〕,莫知其所終〔二四〕。

    亦怪甚矣〔二五〕。

     嗚呼!非其類而狎其謫,不可哉!孺子不妄人也〔二六〕,故記其説。

     〔一〕謫:貶降。

    謫龍,被貶謫的龍。

     〔二〕扶風:唐扶風縣,屬關内道鳳翔府岐州,治所在今陝西鳳翔縣。

    馬孺子:章士釗《柳文指要》上《體要之部》卷十六雲:“扶風馬孺子者何人也?作者既不説明,注家亦均不詳,獨陳少章考之如下:李習之有秘書少監馬公誌雲:公諱某,字盧符,九歲貫涉經史,師魯山令元德秀,魯山奇之,號公爲馬孺子,爲之著神驄贊,此孺子殆即是人,惜未詳其名也。

    但秘書殁於元和之季,年登八十,視柳子幾倍長矣,乃不舉其官,而仍孺子之名不改,豈以魯山之品目爲重,故不妨略其齒爵乎?”言:説。

     〔三〕澤州:唐澤州屬河東道,治所在今山西晉城縣。

     〔四〕頃然:過一會兒。

    墜:落。

    曄(yè)然:光彩奪目貌。

     〔五〕被緅句:謂身穿青赤色面、白花紋裏的皮衣。

    被(pī):同“披”。

    緅(zōu):青赤色絲織品。

    裏:衣衫裏子。

    《説文》:“裏,衣内也。

    ” 〔六〕首:頭戴着,用如動詞。

    步搖:古代婦女首飾。

    《釋名·釋首飾》:“步搖,上有垂珠,步則搖動也。

    ”步搖之冠,插有步搖的帽子。

     〔七〕貴遊少年:貴族子弟。

    參見《鈷鉧潭西小丘記》注〔三五〕。

    駭:吃驚。

     〔八〕稍:漸漸。

    狎(xiá):調戲。

     〔九〕頩(píng):變臉色。

    《廣韻》:“頩,斂容也。

    ”《文選》宋玉《神女賦》:“頩薄怒以自持兮,曾不可乎犯幹。

    ”注:“頩,怒色青貌。

    ” 〔一〇〕故居:本來住在。

    鈞天:天中央。

    《呂氏春秋·有始》:“中央曰鈞天。

    ”注:“鈞,平也,爲四方主,故曰鈞天。

    ”帝宮:天帝的宮殿。

     〔一一〕下上二句:謂往來於星辰之間,呼吸自然之氣。

     〔一二〕薄蓬三句:謂輕視蓬萊、崑崙,而不肯就居。

    薄:輕。

    蓬萊:古代傳説爲海中仙山。

    崑崙:傳説中的仙山。

    羞:羞辱。

    即:就。

     〔一三〕帝:天帝。

    侈大:大。

    此作高傲解。

     〔一四〕復:返歸。

     〔一五〕塵土:塵世,塵凡,即人間。

     〔一六〕非若句:謂我不是你們的配偶。

    若:你們(的)。

    儷(lì):配偶。

     〔一七〕且:將,要。

     〔一八〕佛寺:寺院。

    講室:講堂,佛家講經説法之堂舍。

     〔一九〕及期:到了日期,即上文“七日”。

     〔二〇〕噓成句:謂吐口中之水而成雲氣。

     〔二一〕五色:古以青黃赤白黑五色爲基本顔色。

    翛翛(xiāo):朱駿聲雲:脩脩,《詩·鴟鴞》:“予尾翛翛。

    ”傳:“敝也。

    ”形誤作翛。

    《荀子·儒效》:“脩脩兮,其用統類之行也。

    ”《注》:“脩脩,整齊之貌。

    ”(見《説文通訓定聲》) 〔二二〕反之:將裘翻過來,白裏朝外。

    反:翻。

     〔二三〕徊翔:盤旋飛翔。

     〔二四〕莫知句:謂誰也不知她飛到何處。

     〔二五〕怪甚:奇怪得很。

     〔二六〕不妄人:不亂説的人。

     【評箋】 清·林紓雲:“重要在‘非其類而狎其謫’句。

    想公在永州,必有爲人所侵辱者。

    文亦淺顯易讀。

    ”(《柳文研究法》) 章士釗雲:“謫龍説者,乃子厚有所爲而作,非戲謔也,己不虐人而見虐於人,因爲文以警之也。

    ……吾揣此文,子厚並非爲己而發,倘爲己也,則‘非其類而狎其謫’一語,直截道出,豈不淺露可笑?又吾揣子厚既非爲己,亦並不爲其他親友如崔簡一類人,以簡受謫即病殁,未聞以謫身膺何煎熬也。

    然則此文影何人乎?吾重思之,簡之兒女,柳氏之出,簡殁後,家口牒州安存,是簡雖未抵永州刺史任,而其子女流離楚地,諒爲時並非甚暫。

    其間大大可能,該子女輩受到當地不良待遇,因之子厚不得已而乞湖南李中丞委曲安輯之。

    觀其謝李啓中‘儻非至仁厚德,深加憫恤,則流散轉徙,期在須臾’雲雲,大抵隱含故實,辭非泛設。

    並子厚祭簡文所謂‘楚之南鬼不可交’,亦暗指遺族之受淩虐,而非本身與鬼有何交涉?尋子厚向視柳氏族望絶高,則凡柳氏所出,亦自不同例外,‘故居鈞天帝宮’,及‘非其類而狎其謫,不可哉!’等語,律之崔氏諸甥,了無不合。

    加以由此看來,故事本馬孺子,自鈞天謫降者爲少女,戲郊亭者爲羣兒種種,不僅毫不牽強,而且繩之崔氏子女,情景逼真。

    ”(《柳文指要》上《體要之部》卷十六) 觀八駿圖説〔一〕 古之書有記周穆王馳八駿升崑崙之墟者