(二)漢魏西晉文人樂府詩

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力拔山操[1] (漢)項籍[2] 力拔山兮氣蓋世,時不利兮骓不逝[3]。

    骓不逝兮可奈何,虞兮虞兮奈若何[4]。

     *** [1]《力拔山操》:此詩見《史記·項羽本紀》,未提到彈琴,可能是後人譜為琴曲。

     [2]項籍(前232—前202):字羽。

    下相(今江蘇宿遷)人。

    楚将項燕之孫。

    二十四歲(前209)起兵于吳,擊敗秦軍主力。

    後被漢高祖劉邦擊敗,自殺于烏江(今安徽和縣東北)。

     [3]骓(zhuī錐):青白雜色的馬。

    項籍有馬名“烏骓”,當指此。

     [4]虞:指項籍寵姬虞姬。

     大風歌[1] (漢)劉邦[2] 大風起兮雲飛揚,威加海内兮歸故鄉,安得猛士兮守四方。

     *** [1]《大風歌》:此歌為劉邦統一天下後回到故鄉沛(今江蘇沛縣)時作。

     [2]劉邦(前256—前195):字季,即漢高祖。

    沛縣豐邑中陽裡(今江蘇豐縣)人。

    前209年,起兵反秦,率兵攻入關中,被封漢王,據巴蜀漢中。

    後出兵統一關中,出關擊敗項羽,統一中國,于公元前202年稱帝,成為西漢王朝的建立者。

     鴻鹄歌[1] (漢)劉邦 鴻鹄高飛,一舉千裡。

    羽翮已就,橫絕四海[2]。

    橫絕四海,當可奈何。

    雖有矰繳,尚安所施[3]。

     *** [1]《鴻鹄歌》:此歌始見《史記·留侯世家》。

    據說劉邦想廢太子盈(惠帝)而立戚夫人子趙王如意,後見太子有“商山四皓”(東園公、甪裡先生、绮裡季、夏黃公等四個隐逸的賢士)輔佐,就打消了主意,戚夫人失望哭泣,劉邦說:“你為我跳楚舞,我為你唱楚歌。

    ”于是作此歌。

     [2]翮(hé合):鳥的翅膀。

    “橫絕”句:指飛越天下。

     [3]矰(zēnɡ增):古代射鳥用的帶繩的箭。

    繳(zhuó灼):系在箭上的絲繩。

    “尚安”句:還有什麼用。

     安世房中歌[1](十七章) (漢)唐山夫人[2] 大孝備矣,休德昭清[3]。

    高張四縣[4],樂充宮庭[5]。

    芬樹羽林,雲景杳冥[6]。

    金支秀華,庶旄翠旌[7]。

     《七始》《華始》,肅倡和聲[8]。

    神來宴娭,庶幾是聽[9]。

    粥粥音送,細齊人情[10]。

    忽乘青玄,熙事備成[11]。

    清思眑眑,經緯冥冥[12]。

     我定曆數,人告其心。

    敕身齊戒,施教申申[13]。

    乃立祖廟,敬明尊親。

    大矣孝熙,四極爰辏[14]。

     王侯秉德,其鄰翼翼,顯明昭式[15]。

    清明鬯矣[16],皇帝孝德。

    竟全大功,撫安四極。

     海内有奸,紛亂東北[17]。

    诏撫成師,武臣承德。

    行樂交逆,《箫》《勺》群慝[18]。

    肅為濟哉,蓋定燕國[19]。

     大海蕩蕩水所歸,高賢愉愉民所懷。

    大山崔,百卉殖[20]。

    民何貴,貴有德。

     安其所,樂終産[21]。

    樂終産,世繼緒。

    飛龍秋[22],遊上天。

    高賢愉,樂民人。

     半草葽,女羅施[23]。

    善何如,誰能回[24]。

    大莫大,成教德。

    長莫長,被無極。

     雷震震,電燿燿[25]。

    明德鄉[26],治本約[27]。

    治本約,澤弘大。

    加被寵,鹹相保[28]。

    德施大,世曼壽[29]。

     《都荔》《遂芳》,《窅窊》桂華[30]。

    孝奏天儀[31],若日月光。

    乘玄四龍,回馳北行。

    羽旄殷盛,芬哉芒芒[32]。

    孝道随世,我署文章[33]。

     馮馮翼翼,承天之則[34]。

    吾易久遠[35],燭明四極。

    慈惠所愛,美若休德[36]。

    杳杳冥冥,克綽永福[37]。

     硙硙即即,師象山則[38]。

    烏呼孝哉,案撫戎國[39]。

    蠻夷竭歡,象來緻福[40]。

    兼臨是愛,終無兵革。

     嘉薦芳矣,告靈飨矣[41]。

    告靈既飨,德音孔臧[42]。

    惟德之臧,建侯之常[43]。

    承保天休,令問不忘。

     皇皇鴻明,蕩侯休德[44]。

    嘉承天和,伊樂厥福[45]。

    在樂不荒,惟民之則。

     浚則師德,下民鹹殖[46]。

    令問在舊,孔容翼翼[47]。

     孔容之常,承帝之明。

    下民之樂,子孫保光[48]。

    承順溫良,受帝之光。

    嘉薦令芳,壽考不忘。

     承帝明德,師象山則。

    雲施稱民[49],永受厥福。

    承容之常,承帝之明。

    下民安樂,受福無疆。

     *** [1]《安世房中歌》:“房中歌”是祭神樂曲,周代稱“房中樂”,秦代改名“壽人”,漢高祖劉邦時,又命唐山夫人作《房中祠樂》,至惠帝二年(前193),命樂府令夏侯寬配上管樂器演奏,更名為《安世樂》。

    據《漢書·禮樂志》說,這種樂曲用的是“楚聲”,因為劉邦本是楚人。

    這種樂曲是帝王祭祀天地和祖先的樂歌。

    從商周時代起已經産生,《詩經》中的《商頌》和《周頌》就是這種樂曲的起源。

     [2]唐山夫人:生平不詳,隻知道是劉邦的姬妾。

     [3]休德:美德。

    昭:明。

     [4]“高張”句:屋子的四牆都高挂着鐘磬等樂器。

    “縣”,通“懸”。

     [5]“樂充”句:樂聲充滿宮廷中。

     [6]芬:同“紛”,衆多。

    樹:樹立樂舞用的羽毛。

    “雲景”句:指羽毛等禮器衆多,如雲彩一樣廣大深遠。

     [7]“金支”句:指用金鑄花形的旗竿。

    “庶旄”句:指旗杆上挂着用翠鳥羽毛制成的旗子。

     [8]《七始》、《華始》:樂曲名。

    “肅倡”句:歌者恭敬地唱出諧和的歌聲。

     [9]娭(xī溪):遊戲。

    “庶幾”句:希望能來聽這音樂。

     [10]粥粥(yù玉):恭敬恐懼的樣子。

    音送:以樂送神。

    “細齊”句:細微地感動人使之整齊嚴肅。

     [11]“忽乘”句:指神乘着青雲和黑雲登天而去。

    熙:同“禧”,福。

    這句說求福之事已完成。

     [12]眑眑:(yǎo咬):深遠幽靜的樣子。

    “經緯”句:經天緯地的心思已上達遙遠的上天。

     [13]齊:“齋”的假借字。

    “敕身”句:命令自身敬慎地齋戒靜心。

    申申:一再告戒。

     [14]辏:同“臻”,到達,這句說誠心到達四極。

     [15]秉:執行。

    鄰:近臣。

    翼翼:謹慎。

    式:法度。

     [16]鬯(chànɡ唱):同“暢”,暢達。

     [17]“海内”二句:指高祖五年(前202)臧荼(tú圖)叛亂。

     [18]“行樂”二句:指制定新樂,教化流行。

    從逆的人聽了《箫》(舜的樂曲)《勺》(周代樂曲)受感動改惡從善。

    “交”,同“教”。

    慝(tè忒):奸邪。

    這裡指有罪的人。

     [19]燕國:臧荼曾封燕王。

     [20]崔:高。

    百卉:各種植物。

    殖:繁生。

     [21]“安其所”二句:指萬物各得其所,終生安樂。

     [22]秋:飛的樣子。

     [23]葽(yāo腰):盛長。

    女羅:即女蘿,草名,即菟絲。

    施:指女蘿的藤附于大樹上。

     [24]回:這裡指違反。

     [25]燿燿(yào藥):光亮。

     [26]明德鄉:指明德行的方向。

     [27]治本約:治國的根本很簡約。

     [28]“加被寵”二句:說人們受皇帝恩寵,都能自保。

     [29]曼:延長。

     [30]《都荔》、《遂芳》:鄭文先生《漢詩選箋》認為是兩個曲名。

    《窅窊(yǎowā咬窪)》:鄭文先生認為也是曲名。

     [31]“孝奏”句:以孝道進獻上天的面前。

     [32]芬哉:繁盛的樣子,“芬”同“紛”。

    芒芒:廣遠的樣子。

     [33]随世:繼世不衰。

    署:表明。

     [34]馮馮(pínɡ憑):盛滿的樣子。

    翼翼:衆多的樣子。

    “承天”句:禀承上天的法則。

     [35]易:同“埸”(yì繹):疆土。

     [36]若:順行。

     [37]“杳杳”句:深廣久遠。

    綽:延長。

     [38]硙硙(wèi畏):堆積很高的樣子。

    即即:充實的樣子。

    師象:效法。

    山則:像高山那樣。

     [39]案:同“按”。

     [40]象:即“象胥”,指翻譯。

     [41]薦:進獻的貢品。

    飨:指神來享用。

     [42]臧:善。

     [43]建侯:分封諸侯。

     [44]皇皇:同“煌煌”。

    鴻:大。

    鴻明:弘大光明。

    “蕩侯”句:指天下蕩平,實是皇帝的美德。

    侯:《爾雅·釋诂》:伊、維,侯也。

    “維”通“惟”,是的意思。

     [45]伊:是。

     [46]浚則:深深地效法。

    師:衆多。

    殖:繁育。

     [47]令問在舊:從過去起就有美好的聲望。

    孔容:美好的容姿。

     [48]保光:保其光寵。

     [49]稱:合。

    這句意謂如雲一樣布施恩德,适合民意。

     戚夫人歌[1] (漢)戚夫人 子為王[2],母為虜。

    終日舂薄暮,常與死為伍[3]。

    相離三千裡,當誰使告汝。

     *** [1]《戚夫人歌》:戚夫人是漢高祖劉邦的寵妾,劉邦死後,被呂後所囚禁,罰她舂米,最後将她殺死。

     [2]子為王:指戚夫人所生子趙王劉如意,亦被呂後所殺。

     [3]“常與”句:經常有死的危險。

    伍:伴。

     耕田歌[1] (漢)劉章[2] 深耕穊種,立苗欲疏[3]。

    非其種者[4],鋤而去之。

     *** [1]《耕田歌》:呂後專權時,劉章入宮侍宴,呂後叫他作酒吏。

    他請求作《耕田歌》,見呂氏的人有醉後逃亡的,立即拔劍斬殺。

     [2]劉章(前200—前178):漢高祖孫,齊悼惠王肥子。

    封朱虛侯,在平呂氏之亂中與陳平、周勃合作有功。

     [3]穊(jì寄):稠密。

    這兩句說耕田要深,下種要密,但插秧要疏。

     [4]非其種者:指非劉氏的人,亦即呂氏的人。

     瓠子歌[1](二首) (漢)劉徹[2] 其一 瓠子決兮将奈何,皓皓旰旰兮闾殚為河[3]。

    殚為河兮地不得甯,功無已時兮吾山平[4]。

    吾山平兮钜野溢[5],魚沸郁兮柏冬日[6]。

    延道弛兮離常流[7],蛟龍騁兮方遠遊。

    歸舊川兮神哉沛,不封禅兮安知外[8]。

    為我謂河伯兮何不仁[9],泛濫不止愁吾人。

    桑浮兮淮泗滿,久不反兮水維緩[10]。

     其二 河湯湯兮激潺湲[11],北渡迂兮浚流難[12]。

    搴長茭兮沉美玉[13],河伯許兮薪不屬[14]。

    薪不屬兮衛人罪[15],燒蕭條兮噫乎何以禦水[16]。

    頹林竹兮揵石菑[17],宣房塞兮萬福來[18]。

     *** [1]《瓠子歌》:漢武帝元封二年(前109),漢武帝發動人員二萬修複瓠子堤防。

    瓠子堤在今河南濮陽縣南,黃河故道南岸。

    堤修好後,築宣房宮,并作二詩紀功。

    《樂府詩集》卷八十四作為《雜歌謠辭》。

     [2]劉徹(前156—前87):即漢武帝。

    景帝子,前140年繼位。

    在位時對内實行罷黜百家,獨尊儒術的政策;對外北擊匈奴,南平閩越、東瓯與南越,開通西域和西南夷,對中國統一作出了貢獻,但加重了人民負擔,晚年激起人民反抗,他頗有自悔之意。

     [3]皓皓旰旰(ɡàn贛):形容水勢兇猛。

    闾:民戶。

    殚:盡。

     [4]吾山:即魚山,在今山東東阿。

     [5]钜野:澤名,在今山東巨野北。

     [6]沸郁:衆多的樣子。

    柏:同“迫”,迫近。

     [7]延道:當從《漢書》作“正道”,正常的水道。

    弛:毀壞。

     [8]“歸舊川兮”句:使水歸故道是由于神力的弘大。

    “不封”句:不因為行封禅禮,又還能是什麼原因?封,登泰山祭天;禅,在梁甫(泰山下小山)祭地。

     [9]河伯:黃河之神。

     [10]桑:亭名,在今江蘇沛縣境。

    這兩句說永久不歸正道,使水的綱維(常理)松弛廢壞了。

     [11]湯湯(shānɡ傷):水大的樣子。

    潺湲(chányuán讒源):波浪。

     [12]北渡:向北流。

    迂:曲折而遠。

     [13]搴(qiān骞):拔取。

    長茭(jiāo郊):竹繩。

     [14]不屬(zhǔ囑):供應不上。

     [15]衛人罪:濮陽一帶,春秋時屬衛國,所以說“薪不屬兮衛人罪”。

     [16]燒蕭條:指柴草缺乏,百姓把草都燒盡,地裡一片蕭條。

     [17]頹:這裡指砍伐。

    揵(jiàn建):當從《史記》作“楗”,堵塞。

    石菑(zī滋):“菑”同“椔”,直立而枯死的樹木。

    這裡是指石柱。

    石柱直立,如同枯木。

     [18]宣房:宣房宮,漢武帝在決口堵塞後,建立宣房宮以紀功。

    塞:指瓠子缺口堵塞。

    萬福來:祝頌之辭。

     李夫人歌[1] (漢)劉徹 是邪非邪,立而望之,偏何姗姗其來遲[2]。

     *** [1]《李夫人歌》:漢武帝寵幸的妃子李夫人死,武帝想念她。

    有個方士說能召來李夫人鬼魂。

    漢武帝信了,據說曾望見她而作詩。

     [2]偏:同“翩”,搖動的樣子。

    姗姗(shān珊):行走遲緩的樣子。

     秋風辭[1] (漢)劉徹 秋風起兮白雲飛,草木黃落兮雁南歸。

    蘭有秀兮菊有芳,懷佳人兮不能忘[2]。

    泛樓船兮濟汾河,橫中流兮揚素波。

    箫鼓鳴兮發棹歌[3],歡樂極兮哀情多。

    少壯幾時兮奈老何。

     *** [1]《秋風辭》:據《文選》所載序雲:“上行幸河東,祠後土,顧視帝京,欣然中流,與群臣飲燕,上歡甚,乃自作《秋風辭》。

    ”按:此序實出《漢武故事》。

    逯欽立先生推測此辭作于元鼎四年(前113)秋天。

     [2]蘭有秀:當指秋蘭開花。

    “秀”是“開花”。

    佳人:有人認為指寵姬李夫人,因為漢武帝作有《悼李夫人賦》,未知确否。

     [3]棹(zhào趙)歌:船上人搖動槳時唱的歌。

     李延年歌[1] (漢)李延年 北方有佳人,絕世而獨立。

    一顧傾人城,再顧傾人國。

    甯不知傾城與傾國,佳人難再得。

     *** [1]《李延年歌》:李延年,漢代中山(今河北中部)人,李延年作歌,其妹因此受漢武帝寵幸。

    延年因此受寵官至協律都尉。

     李陵歌[1] (漢)李陵[2] 徑萬裡兮渡沙漠,為君将兮奮匈奴[3]。

    路窮絕兮矢刃摧,士衆滅兮名已[4]。

    老母已死,雖欲報恩将安歸。

     *** [1]《李陵歌》:此詩見《漢書·李廣蘇建傳》,乃李陵送蘇武歸漢時作。

     [2]李陵(?—前74):字少卿,隴西成紀(今甘肅秦安人),武帝天漢二年(前99),率五千兵攻匈奴,戰敗投降,死于匈奴中。

    後來相傳他與蘇武贈答的詩,皆僞托,不可信,隻有這首見《漢書》,确為李陵作。

     [3]奮匈奴:出死力打擊匈奴。

     [4](tuí頹):毀壞。

     烏孫公主歌[1] (漢)劉細君 吾家嫁我兮天一方,遠托異國兮烏孫王。

    穹廬為室兮旃為牆[2],以肉為食兮酪為漿。

    居常土思兮心内傷,願為黃鹄兮歸故鄉。

     *** [1]《烏孫公主歌》:漢武帝以江都王建之女細君嫁西域烏孫王,公主作歌自悼。

    歌見《漢書·西域傳》。

     [2]穹廬:帳幕。

    旃:同“氈”。

     武溪深行[1] (漢)馬援[2] 滔滔武溪一何深[3]。

    鳥飛不度,獸不敢臨。

    嗟哉武溪多毒淫[4]。

     *** [1]《武溪深行》:武溪指今湖南西部武陵山一帶的武水。

    此詩是馬援率兵鎮壓當地少數民族時所作。

     [2]馬援(前14—後49):字文淵,扶風茂陵(今陝西興平)人。

    漢光武的将軍,在平隗嚣、平羌亂、南征交阯中立過功勳,後在進攻武陵少數民族時得病死。

     [3]滔滔(tāo濤):形容水大。

     [4]嗟哉:可歎。

    毒淫:毒氣和邪惡。

     五噫歌[1] (漢)梁鴻[2] 陟彼北邙兮[3],噫。

    顧瞻帝京兮[4],噫。

    宮阙崔嵬兮[5],噫。

    民之劬勞兮[6],噫。

    遼遼未央兮,噫[7]。

     *** [1]《五噫歌》:此詩見《後漢書·逸民·梁鴻傳》。

    從梁鴻生活的時代看,尚屬東漢的興盛時代,但統治者的奢侈已很嚴重,此詩為刺時而作。

     [2]梁鴻:字伯鸾,扶風平陵(今陝西鹹陽西北)人,父梁讓,王莽時卒于北地(今甘肅慶陽附近)。

    當時梁鴻尚幼。

    東漢初到太學求學,在上林苑牧豬。

    後回家鄉,娶孟光為妻,孟光時年三十,夫妻隐居山中。

    不久,乃出關往東方,過洛陽,作《五噫詩》。

    漢章帝聽到了很不高興,下令訪查,他變姓名避居今山東一帶,最後到了吳地。

    後卒于吳。

     [3]北邙(mánɡ芒):北邙山,在河南洛陽市北。

     [4]帝京:指洛陽。

     [5]崔嵬(wéi圍):高大。

     [6]劬(qú渠)勞:疲勞。

     [7]遼遼未央:長長地沒完。

     同聲歌[1] (漢)張衡[2] 邂逅承際會,得充君後房[3]。

    情好新交接,恐栗若探湯[4]。

    不才勉自竭,賤妾職所當。

    綢缪主中饋,奉禮助蒸嘗[5]。

    思為苑蔽席,在下蔽匡床[6]。

    願為羅衾帱[7],在上衛風霜。

    灑掃清枕席,鞮芬以狄香[8]。

    重戶結金扃,高下華燈光。

    衣解巾粉禦,列圖陳枕張[9]。

    素女為我師[10],儀态盈萬方。

    衆夫希所見,天老教軒皇[11]。

    樂莫斯夜樂,沒齒焉可忘。

     *** [1]《同聲歌》:取《周易·乾·文言》“同聲相應”之意。

    這首詩是寫女子自幸得嫁滿意的丈夫,表示願意盡婦職,希望能永得恩愛。

    前人有以為是托男女以比喻君臣的,可備一說。

     [2]張衡(78—139):字平子。

    南陽西鄂(今河南南陽)人。

    東漢著名科學家、文學家。

    曾任郎中、太史令,遷侍中,出為河間相。

    他制造過地動儀,能測報地震;又善詩賦,所作《二京賦》、《四愁詩》等,均頗有名。

    明人輯有《張河間集》。

     [3]際會:機遇。

    “得充”句:意謂得以作你的妻室。

     [4]探湯:把手伸進滾開的水中,比喻戒懼之意。

     [5]綢缪:系好衣服的帶結。

    喻指整頓好儀表。

    主中饋:主管廚中飨客的菜肴。

    蒸嘗:祭祀。

    冬祭叫蒸,秋祭叫嘗。

     [6]苑蔽(ruò弱):細嫩的蒲草,可以作席。

    匡床:方正安适的床。

     [7]羅衾:綢做的被子。

    帱(chóu籌):床帳。

     [8]鞮(dī堤):古代一種皮制的鞋。

    狄香:外國來的香料。

    這句說為丈夫用狄香熏鞋。

     [9]“衣解”二句:這兩句說解衣就寝,按規定的樣式為丈夫整頓床鋪。

     [10]素女:天上的仙女。

     [11]天老:黃帝的七個輔臣之一。

    軒皇:即黃帝。

     羽林郎[1] (漢)辛延年[2] 昔有霍家奴,姓馮名子都[3]。

    依倚将軍勢,調笑酒家胡[4]。

    胡姬年十五,春日獨當垆[5]。

    長裾連理帶,廣袖合歡襦[6]。

    頭上藍田玉,耳後大秦珠[7]。

    兩鬟何窈窕,一世良所無[8]。

    一鬟五百萬,兩鬟千萬馀。

    不意金吾子,娉婷過我廬[9]。

    銀鞍何煜爚,翠蓋空踟蹰[10]。

    就我求清酒,絲繩提玉壺。

    就我求珍肴,金盤鲙鯉魚。

    贻我青銅鏡,結我紅羅裾[11]。

    不惜紅羅裂,何論輕賤軀[12]。

    男兒愛後婦,女子重前夫。

    人生有新故,貴賤不相逾。

    多謝金吾子,私愛徒區區[13]。

     *** [1]《羽林郎》:“羽林”是皇帝侍衛軍士之名,漢武帝置。

    “羽林郎”指羽林軍士。

    此詩疑為借西漢霍家(霍光家屬)事來諷刺東漢外戚的豪奴橫行。

     [2]辛延年:《樂府詩集》認為“後漢”人,生平不詳,當是東漢的樂官。

     [3]霍家奴:外戚霍氏的家奴。

    根據史籍記載,當時羽林軍應以“良家子”充選,詩中的“羽林郎”、“金吾子”當是客氣的尊稱。

    子都:古代美男子名。

    《詩經·鄭風·山有扶蘇》:“不見子都,乃見狂且。

    ” [4]“依倚”句:依靠将軍的權勢。

    按:霍光曾任大将軍。

    胡:古代稱少數民族及外國人為“胡”。

     [5]垆(lú盧):本指安放酒甕的土台子,引伸為酒店。

     [6]裾(jū居):衣襟。

    合歡襦(rú儒):繡有合歡花的短襖。

     [7]藍田玉:今陝西藍田古時産的玉非常著名。

    大秦珠:來自大秦(古羅馬帝國)的珠子。

    這兩名形容其首飾之珍貴。

     [8]鬟(huán桓):古代女子的發結。

    良:實在。

     [9]娉婷(pīnɡtínɡ乒庭):本形容女性姿态之美,這裡似借以形容男性(馮子都)。

     [10]煜爚(yùyuè育月):有光彩的樣子。

    翠蓋:用翠鳥羽毛裝飾的車蓋。

     [11]“結我”句:指馮子都把青銅鏡結在胡姬紅羅做的衣襟上。

     [12]“不惜”二句:寫胡姬生氣,不願接受,所以不怕撕壞衣襟,也不怕危險。

     [13]金吾子:“金吾”是執掌禁衛的官吏。

    “金吾子”即指羽林軍士。

    徒區區:雖表熱情,亦屬徒然。

     董嬌娆[1] (漢)宋子侯[2] 洛陽城東路,桃李生路旁。

    花花自相對,葉葉自相當。

    春風東北起,花葉正低昂。

    不知誰家子,提籠行采桑。

    纖手折其枝,花落何飄飏。

    請謝彼姝子[3],何為見損傷。

    高秋八九月,白露變為霜。

    終年會飄堕,安得久馨香。

    秋時自零落,春月複芬芳。

    何時盛年去,歡愛永相忘。

    吾欲竟此曲,此曲愁人腸。

    歸來酌美酒,挾瑟上高堂。

     *** [1]《董嬌娆》:“嬌娆”一作“嬌饒”。

    按:“嬌娆”為形容女子美貌之辭。

     [2]宋子侯:東漢人,生平不詳。

     [3]彼姝子:那美麗的女子。

     怨詩[1] (漢)阮瑀[2] 民生受天命[3],漂若河中塵。

    雖稱百齡壽,孰能應此身[4]。

    猶獲嬰兇禍[5],流落恒苦辛。

     *** [1]《怨詩》:這首《怨詩》是感歎人生的艱辛,和曹植《七哀詩》内容不同。

    《樂府詩集》把它和仿《七哀詩》的作品分開,另立一類。

     [2]阮瑀(?—212):字元瑜,東漢末陳留尉氏(今屬河南)人。

    “建安七子”之一,曾為曹操的記室,遷丞相倉曹掾屬。

    早卒。

    明人輯有《阮元瑜集》。

     [3]民生:即人生。

     [4]百齡:即百歲。

    這兩句說雖稱人生百年,其實誰能達到這年紀。

     [5]嬰:遭受。

     駕出北郭門行[1] (漢)阮瑀 駕出北郭門,馬樊不肯馳[2]。

    下車步踟蹰,仰折枯楊枝。

    顧聞丘林中,噭噭有悲啼[3]。

    借問啼者出(誰),何為乃如斯。

    親母舍我殁,後母憎孤兒。

    饑寒無衣食,舉動鞭捶施。

    骨消肌肉盡,體若枯樹皮。

    藏我空室中,父還不能知。

    上冢察故處,存亡永别離。

    親母何可見,淚下聲正嘶[4]。

    棄我于此間,窮厄豈有赀[5]。

    傳告後代人,以此為明規[6]。

     *** [1]《駕出北郭門行》:此詩疑亦即《驅車上東門行》,參看陸機《駕言出北阙行》注。

    這首詩寫的是後母虐待前妻孩子的事,手法純用白描,在“建安七子”中,阮瑀的成就似乎不在詩歌方面,而是以公文出名的。

    但這首詩卻是一首不朽之作。

     [2]樊:停滞不前。

     [3]噭噭(jiào叫):号呼的聲音。

     [4]嘶(sī斯):聲音嘶竭。

     [5]赀:财物。

     [6]明規:顯明的前鑒。

     從軍行(五首選二)[1] (漢)王粲[2] 其三 從軍征遐路,讨彼東南夷[3]。

    方舟順廣川,薄暮未安坻[4]。

    白日半西山,桑梓有馀晖[5]。

    蟋蟀夾岸鳴,孤鳥翩翩飛。

    征夫心多懷,悽怆令吾悲。

    下船登高防[6],草露沾我衣。

    回身赴床寝,此愁當告誰。

    身服幹戈事,豈得念所私。

    即戎有授命,茲理不可違[7]。

     王粲的《從軍詩》,本為五首,并非一時所作,第一首似為建安二十年(215)曹操出征關西,于次年春凱旋時作;第二至五首,則為建安二十一年(216)秋冬間曹操東征孫權時所作。

    這裡所選的是其中的第三首和第五首。

    前者寫出征軍士的戀土之情,歸結為應努力作戰以盡職責;後一首寫征途中所見各地殘破景象及谯郡(曹操故鄉今安徽亳縣)的盛況,顯然有歌功頌德的用意。

     其五 悠悠涉荒路,靡靡我心愁[8]。

    四望無煙火,但見林與丘。

    城郭生榛棘,蹊徑無所由[9]。

    萑蒲竟廣澤[10],葭葦夾長流。

    日夕涼風發,翩翩漂吾舟。

    寒蟬在樹鳴,鹳鹄摩天遊[11]。

    客子多悲傷,淚下不可收。

    朝入谯郡界,曠然消人憂[12]。

    雞鳴達四境,黍稷盈原疇[13]。

    館宅充廛裡[14],女士滿莊馗[15]。

    自非聖賢國,誰能享此休[16]。

    詩人美樂土[17],雖客猶願留。

     *** [1]《從軍行》:《相和歌辭·平調曲》之一。

    《樂府詩集》卷三十引《古今樂錄》載王僧虔《大明三年宴樂技錄》說到“平調”有七曲,其中有《從軍行》,所歌唱的是魏左延年的“苦哉”一篇。

    同書卷三十二也有類似說法,并引《樂府廣題》所載左延年詩即“苦哉邊地人,一歲三從軍”雲雲。

    按:左延年是三國魏人,時代晚于王粲。

    疑《從軍行》在漢時本有“古辭”,魏晉樂官舍“古辭”而以左詩入樂。

    至于王粲之作,《文選》作《從軍詩》,可能與曹植、陸機的一些詩一樣,本不配樂歌唱。

    郭茂倩隻是因王詩内容是從軍,遂編入樂府中。

    這隻要看陸機、顔延之所作《從軍行》起句都為“苦哉遠征人”,就可知二人所拟,皆為左詩,就可明白。

     [2]王粲(177—217):東漢末文學家,字仲宣,山陽高平(今山東鄒縣)人。

    漢末董卓之亂時,由長安逃奔荊州,投靠劉表。

    建安十三年(208),曹操南征荊州,王粲勸劉表子劉琮歸降。

    曹操用王粲為丞相掾,封關内侯。

    遷軍師祭酒。

    曹操為魏王,加侍中。

    卒于從征孫吳途中。

    王粲為建安七子之一,其詩賦被稱為“七子之冠冕”(《文心雕龍·才略》)。

    有集十一卷,佚,後人輯有《王粲集》。

     [3]遐:遠。

    東南夷:這裡指割據江南的孫吳政權。

     [4]方舟:兩船并排行駛。

    坻(chí池):水中高地。

    此句當指船未靠岸歇息。

    一說坻讀為(zhǐ紙),作“止息”解。

    但此處用平聲韻,疑當從前說。

    王粲《從軍詩》第一首:“酒肉踰川坻”,用韻亦屬平聲。

     [5]桑梓:樹木名,這裡泛指樹梢。

    馀晖:夕陽馀光。

     [6]防:堤岸。

     [7]即戎:參加軍隊。

    授命:獻出生命。

    這兩句是說雖有行役思鄉之念,終當勉力從事。

     [8]悠悠:漫長。

    靡靡:形容心中懷憂,行道遲緩。

    《詩經·王風·黍離》:“行邁靡靡。

    ” [9]蹊徑:道路。

    無所由:指荊棘遍地,無法通行。

     [10]萑(huán桓):蘆葦一類水草。

     [11]鹳(ɡuàn灌):鳥名。

    鹄(hú斛):鳥名。

    摩天,上擦青天,形容高飛。

     [12]曠然:心胸為之一暢。

     [13]原疇:田野。

     [14]廛(chán纏):古代一戶所居之室。

    裡:古代居民二十五戶為裡。

    “廛裡”:借指民居。

     [15]馗(kuí逵):四通八達的道路。

     [16]休:美好的生活。

     [17]“詩人”句:指《詩經·魏風·碩鼠》:“适彼樂土。

    ” 飲馬長城窟行[1] (漢)陳琳[2] 飲馬長城窟,水寒傷馬骨[3]。

    往謂長城吏,慎莫稽留太原卒[4]。

    “官作自有程,舉築諧汝聲[5]。

    ”男兒甯當格鬥死,何能怫郁築長城[6]。

    長城何連連,連連三千裡。

    邊城多健少,内舍多寡婦[7]。

    作書與内舍[8]:“便嫁莫留住。

    善事新姑嫜[9],時時念我故夫子。

    ”報書往邊地:“君今出語一何鄙。

    身在禍難中,何為稽留他家子[10]。

    ”“生男慎莫舉,生女哺用脯。

    君獨不見長城下,死人骸骨相撐拄[11]。

    ”“結發行事君,慊慊心意關[12],邊地苦,賤妾何能久自全[13]。

    ” *** [1]《飲馬長城窟行》:這首《飲馬長城窟行》,在《樂府詩集》中列于“古辭”及曹丕之作的後面。

    其實“古辭”雖為漢代作品,恐亦屬後官依聲配辭,并非此曲本辭(見前)。

    曹丕生卒年較陳琳為後,隻是做了皇帝,所以古人依慣例放在前面。

    至于陳琳這一首,應該最接近此曲本辭的内容。

    從《水經注·河水》所引《琴操》中所載“琴慎相和雅歌錄”的話看來,頗可以和此詩相印證。

    又同書引楊泉《物理論》所載秦代民歌,與本詩“生男”四句基本相同。

    因此陳琳此詩很可能是根據本辭内容加工改寫而成。

    後來陸機、沈約、楊廣諸人的拟作,亦大多受此詩影響。

     [2]陳琳(?—217):字孔璋,東漢末廣陵射陽(今江蘇淮安南)人。

    漢末曾為大将軍何進主簿。

    何進死後,投奔割據河北的袁紹。

    袁紹和曹操交戰時,曾代袁紹作檄讨伐曹操,加以醜诋。

    袁紹敗後,曹操愛其才,任以司空軍師祭酒,掌文書。

    後染疾卒。

    有集十卷,佚。

    明張溥輯有《陳記室集》。

     [3]“飲馬”句:《水經注·河水》曰:“今白道南谷口有長城,自城北出有高坂,旁有土穴出泉,挹之不窮。

    《歌錄》雲:‘飲馬長城窟’,信非虛言也。

    ”長城在北方,其水寒冷,故下句詩言“傷馬骨”。

     [4]長城吏:監督築長城的官吏。

    稽留:留住。

    太原卒:太原來的役夫,指本詩中男主人公。

     [5]官作:官府指派的工役。

    程:進度。

    築:砸打地基用的工具,亦即夯。

    “舉築”句:意為“舉起你手中工具,和别人唱的号子相配合!”這是“長城吏”的話。

     [6]怫(fú弗)郁:憂郁不樂。

     [7]健少:壯丁。

    内舍:家裡。

    寡婦:古人把丈夫外出、獨居的女子也叫寡婦。

     [8]“作書”句:指服役的人給家中妻子寫信,以下三句是信中的話。

     [9]新姑嫜(zhānɡ章):新的婆母。

    故夫子:前夫的兒子。

     [10]鄙:這裡指愚蠢。

    這三句是妻答夫,意為“你的話太蠢了,他人也在禍難之中,誰會招留别家的孩子?” [11]舉:舉養。

    脯(fǔ輔):肉幹。

    “生男”四句:據《水經注·河水》引楊泉《物理論》,本秦代民歌,本詩隻是将原文的末二句“不見長城下,屍骸相支拄”改為七言。

    這種變種也許隻是陳琳所據與楊泉不同。

     [12]結發:剛成年時。

    行事君:這裡指就嫁了你。

    慊慊(qiè惬):指美滿。

    關:相連。

     [13]邊地苦:一本上有“明知”二字,意思更明白。

    這兩句是妻子自稱“我明知邊地很苦,你既生還無望,我也不會活多久。

    ” 定情詩[1] (漢)繁欽[2] 我出東門遊,邂逅承清塵[3]。

    思君即幽房,侍寝執衣巾[4]。

    時無桑中契,迫此路側人[5]。

    我即媚君姿[6],君亦悅我顔。

    何以緻拳拳,绾臂雙金環[7]。

    何以緻殷勤,約指一雙銀[8]。

    何以緻區區[9],耳中雙明珠。

    何以緻叩叩,香囊系肘後[10]。

    何以緻契闊,繞腕雙跳脫[11]。

    何以結恩情,佩玉綴羅纓[12]。

    何以結中心,素縷連雙針[13]。

    何以結相于,金薄畫搔頭[14]。

    何以慰别離,耳後瑇瑁钗。

    何以答歡悅,纨素三條裾[15]。

    何以結愁悲,白絹雙中衣。

    與我期何所,乃期東山隅。

    日旰兮不至,谷風吹我襦[16]。

    遠望無所見,涕泣起踟蹰。

    與我期何所,乃期山南陽。

    日中兮不來,飄風吹我裳。

    逍遙莫誰睹,望君愁我腸。

    與我期何所,乃期西山側。

    日夕兮不來,踯躅長歎息。

    遠望涼風至,俯仰正衣服。

    與我期何所,乃期山北岑[17]。

    日暮兮不來,凄風吹我衿。

    望君不能坐,悲苦愁我心。

    愛身以何為,惜我華色時。

    中情既款款,然後剋密期[18]。

    褰衣蹑花草[19],謂君不我欺。

    廁此醜陋質,徙倚無所之[20]。

    自傷失所欲,淚下如連絲。

     *** [1]《定情詩》:此詩始見《玉台新詠》,《樂府詩集》卷七十六作為《雜曲歌辭》收入。

    據該書引《樂府解題》說是女子私下愛上一個男子,脫下衣服、飾物來緻意,但男子卻失了約,女子于是感到懊喪悔恨。

    餘冠英先生據此說是要“鎮定其情”,所以稱“定情”。

    (《漢魏六朝詩選》第110頁)又《文選》曹植《洛神賦》李善注引此詩佚文有“何以消滞憂,足下雙遠遊”二句,逯欽立先生認為此詩收入《玉台新詠》時曾經删節,其說甚是。

     [2]繁(pó婆)欽(?—218):字休伯,颍川(今河南禹縣)人,曾為曹操掌書記。

     [3]清塵:車馬揚起的灰塵。

    這是用以代指對方。

    司馬相如《上書谏獵》:“犯屬車之清塵。

    ”李善注:“車塵,言清尊之意也。

    ” [4]“思君”二句:女子表示願在對方入室就寝時手持衣巾伺候。

     [5]桑中:《詩經·鄘風》篇名,寫男女約會之事。

    契:約會。

    “迫此”句:又怕路旁人看見。

     [6]媚:愛。

     [7]拳拳:眷戀不忘之意。

    绾(wǎn晚):纏繞。

     [8]“約指”句:套在手指上的一雙銀戒指。

     [9]區區:誠摯的心意。

     [10]叩叩:餘冠英先生釋為“誠也”,即真誠的心意。

    香囊:古人常在肘後挂香囊以添香氣。

     [11]契闊:偏義複辭,“契”指聚合,闊指分别。

    這裡指契,即親密之意。

    謝朓《拜中軍記室辭随王箋》:“契闊戎旃,從容語。

    ”跳脫:又作“條脫”,即钏(chuàn串),今名“镯子”。

     [12]“佩玉”句:佩玉上裝有絲制的帶子。

     [13]素縷:白線。

    連雙針:用雙針縫貫,象征同心相連。

     [14]相于:同“相與”,交好。

    “金薄”句:“搔頭”是一種首飾。

    用金薄(箔)裝飾的“搔頭”,形容珍貴。

     [15]條:餘冠英先生認為當讀為縧(tāo滔),指絲帶。

    三條裾:有三條絲帶的衣袍。

    按:《說文》:“裾,衣袍也。

    ”一本“裾”作“裙”,但宋刻《樂府詩集》及趙氏覆宋本《玉台新詠》均作“裾”。

    按:“裾”在魚部,與下句“衣”、“隅”古音通押,似較“裙”為妥。

     [16]旰(ɡàn幹):晚。

    谷風:山谷中的涼風。

     [17]岑:小而高的山。

     [18]款款:忠誠。

    剋(kè克):約定。

     [19]褰衣:挽起衣服。

    蹑:踩。

     [20]廁:置身于。

    徙倚:徘徊遲疑。

     薤露[1] (魏)曹操[2] 惟漢二十二世,所任誠不良[3]。

    沐猴而冠帶[4],知小而謀強[5]。

    猶豫不敢斷,因狩執君王[6]。

    白虹為貫日,己亦先受殃[7]。

    賊臣持國柄,殺主滅宇京[8]。

    蕩覆帝基業,宗廟以燔喪[9]。

    播越西遷移,号泣而且行[10]。

    瞻彼洛城郭,微子為哀傷[11]。

     *** [1]《薤露》:《薤露》本是漢《相和歌辭》,本為送葬的哀歌。

    曹操根據這個曲調,寫出了哀悼東漢亂亡的詩。

    詩中寫的是何進謀誅宦官及後來董卓脅迫漢獻帝西遷的事。

     [2]曹操(155—220):即魏武帝,字孟德,沛國谯(今安徽亳縣)人。

    三國魏政權的創立者,文學家。

    他初舉孝廉,任洛陽北部尉、頓丘令等官。

    後起兵于陳留,與各路刺史、太守共伐董卓,遂據有兖州。

    建安元年(196)率兵迎漢獻帝都許昌,逐步統一北方,掌握東漢政治大權,為丞相、魏王。

    曹丕代漢,追谥為魏武帝。

    曹操喜愛音樂,仿漢代樂府詩,作有許多名篇,又善于散文。

    有《魏武帝集》,已佚。

    今人輯有《曹操集》。

     [3]“惟漢”二句:漢朝從劉邦開始,西漢曆高、惠、文、景、武、昭、宣、元、成、哀、平十一世;東漢曆光武、明、章、和、殇、安、順、沖、質、桓、靈十一世,二者正好二十二世。

    這裡寫的是靈帝死後,大将軍何進因宦官專權亂政,計劃誅滅宦官,不成被殺之事。

    何進無才能,宦官蹇碩等又奸邪暴虐,所以說“所任誠不良”。

     [4]沐猴:即猕猴。

    冠帶:古代的官服。

    這句是說執政者猶如猕猴一樣無知。

     [5]“知小”句:沒有才能而想作大事業。

    這主要是說何進。

     [6]“猶豫”二句:指靈帝死後,何進謀誅宦官,并召董卓領兵入京。

    但猶豫不發,反被宦官所殺。

    于是朝臣袁術等起兵殺宦官,宦官劫少帝劉辯逃到洛陽以北的小平津。

    董卓入京,劫持少帝,專制朝政。

    狩:巡狩,指帝王出行。

    這裡是說少帝去小平津時,董卓劫持了他。

     [7]“白虹”句:據《續漢書·五行志》載,中平六年(189),曾出現“白虹貫日”的現象。

    古人迷信認為是後來朝廷大亂的預兆。

    己:指何進。

    先受殃:指何進被殺。

     [8]賊臣:指董卓。

    殺主:指董卓殺少帝。

    滅宇京:指董卓焚毀洛陽。

     [9]蕩覆:毀滅。

    宗廟:皇帝的祖廟。

    燔:焚燒。

     [10]播越:流離遷移。

    這兩句是寫初平元年(190),各州郡起兵讨伐董卓,董卓劫持獻帝西遷長安,并逼脅百官及居民西遷,被迫者号泣而行。

     [11]微子:殷末王族,纣的庶兄。

    周武王滅商,封微子于宋國,後微子朝周,路過朝歌,見殷商故都成了廢墟,長出麥子,作《麥秀之歌》。

    這二句是用這個典故代指哀悼洛陽被毀之情。

     蒿裡[1] (魏)曹操 關東有義士,興兵讨群兇[2]。

    初期會盟津,乃心在鹹陽[3]。

    軍合力不齊,躊躇而雁行[4]。

    勢利使人争,嗣還自相戕[5]。

    淮南弟稱号,刻玺于北方[6]。

    铠甲生虮虱,萬姓以死亡[7]。

    白骨露于野,千裡無雞鳴。

    生民百遺一,念之斷人腸。

     *** [1]《蒿裡》:這是曹操拟作的《相和歌辭·蒿裡》,《宋書·樂志》所載的就是這首。

    據《樂府詩集》卷二十七說是“魏樂所奏”。

    此詩主要寫袁紹起兵讨伐董卓,卻不全力進攻,反而互相争奪、混戰,使百姓大受禍殃。

     [2]“關東”句:指潼關以東的各州郡将領,尤其是其盟主袁紹。

    “興兵”句:指初平元年(190)袁紹等起兵讨伐董卓。

     [3]“初期”二句:是說袁紹等人本想起兵像周武王那樣在孟津(一作“盟津”)與諸侯會合,共誅兇逆。

    但其心卻想攻入鹹陽(長安),挾持天子以專朝政。

     [4]躊躇:猶豫不進。

    雁行:排列整齊而不進攻。

    這兩句是說各路兵馬心力不齊,沒有人肯先進擊。

     [5]“勢利”二句:寫各路兵馬都各懷私利,互相殘殺。

     [6]“淮南”句:指袁紹弟袁術在壽春(今安徽壽縣)自稱皇帝。

    “刻玺”句:指冀州刺史韓馥和袁紹合謀想立劉虞為帝,并刻作金玺。

     [7]“铠甲”二句:形容戰争不斷,士兵身上的铠甲長期不脫,因此長虱子,百姓們遭亂死亡。

     苦寒行[1] (魏)曹操 北上太行山,艱哉何巍巍[2]。

    羊腸坂诘屈,車輪為之摧[3]。

    樹木何蕭瑟,北風聲正悲。

    熊羆對我蹲,虎豹夾路啼。

    溪谷少人民,雪落何霏霏[4]。

    延頸長歎息,遠行多所懷。

    我心何怫郁[5],思欲一東歸。

    水深橋梁絕,中路正徘徊。

    迷惑失故路,薄暮無宿栖。

    行行日已遠,人馬同時饑。

    擔囊行取薪,斧冰持作糜[6]。

    悲彼《東山》詩,悠悠令我哀[7]。

     *** [1]《苦寒行》:《相和歌辭·清調曲》之一。

    “古辭”已佚,“晉樂所奏”即曹操此首和曹睿的《悠悠發洛都》二首。

    但“晉樂所奏”辭句略有不同,這裡用的是“本辭”。

     [2]太行山:縱貫今山西省直到河南北部的山脈。

    巍巍:高峻。

     [3]羊腸坂:在今河南修武以北,山西長治以南。

    此詩當為建安十年(205)袁紹降将高幹叛于并州,曹操出兵征伐經太行山時作。

    诘屈:彎曲。

     [4]霏霏:形容大雪的樣子。

     [5]怫(fú拂)郁:憂慮的樣子。

     [6]糜:粥。

     [7]《東山》詩:指《詩經·豳風·東山》,據《毛詩序》,為周公東征時軍人所作。

    詩中有“我徂東山,滔滔不歸”之句,形容久役不歸,所以這裡說“悠悠令我哀”。

     善哉行[1] (魏)曹操 自惜身薄祜,夙賤罹孤苦[2]。

    既無三徙教,不聞過庭語[3]。

    其窮如抽裂,自以思所怙[4]。

    雖懷一介志,是時其能與[5]?守窮者貧賤,惋歎淚如雨[6]。

    泣涕于悲夫,乞活安能睹[7]?我願于天窮[8],琅邪傾側左[9]。

    雖欲竭忠誠,欣公歸其楚[10]。

    快人由為歎,抱情不得叙[11]。

    顯行天教人,誰知莫不緒[12]。

    我願何時随[13],此歎亦難處。

    今我将何照于光曜,釋銜不如雨[14]。

     *** [1]《善哉行》:此曲據《宋書·樂志》及《樂府詩集》所載,曹操所拟的有兩首,一首為四言,一首為五言。

    今錄五言一首。

    此詩較有抒情意味,對了解曹操的身世有一定幫助。

    後來評者都認為是