(二)漢魏西晉文人樂府詩

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重基:指丘山。

    這兩句是寫喪家在出殡前的準備。

     [5]龍(huānɡ荒):畫有龍的車帷。

    廣柳:車名。

    “柳”是聚的意思,指聚有各種飾物的車。

     [6]矯:同“挢”,舉起。

    輕旗:指出殡時所用旗子,上面寫有死者姓名,官爵以為标志。

     [7]殡宮:死者殡殓停柩之處。

    嘈嘈:人聲喧鬧。

    中闱:即“闱中”。

    “闱”是喪事時所設帷幕,棺柩和死者家屬均在“闱中”。

    棺木将移向墓地,親屬在闱中号哭。

     [8]《薤露》:古代人送葬唱的挽歌,參見前《薤露》詩。

     [9]“死生”句:是說死生不同路,終當分别。

    祖載:“祖”本指出行時祭行道之神。

    “祖載”指上車出行。

    這裡是說死者終當運往墓地。

     [10]舍:設置。

    爵:古代的酒器。

    兩楹位:“楹”是柱子。

    孔子臨死前夢見自己坐于兩楹之間受祭奠。

    他認為殷代制度是設奠于兩楹之間,他自己是殷人後代,所以是将死之兆。

    這裡用此典故泛指設奠。

     [11](ér而):喪車。

    這句是說靈柩被裝上車。

     [12]飲餞:這裡代指用酒食祭奠。

    觞:酒器。

    這句是說死者享祭其實并不能飲食。

     [13]“出宿”句:意謂一去不能複返。

     [14]帷:帷帳。

    袵(rèn任):同“衽”。

    曠:空缺、消失。

    這兩句是寫死者影迹已經消失,與居宅分離。

     [15]周親:至親,關系密切的親屬。

    鹹奔湊:都趕來吊唁。

     [16]翼翼:壯健的樣子。

    軒:車。

    骎骎(qīn侵):馬跑得快的樣子。

    策:驅趕。

    素骐:白馬。

     [17]按辔:控制着馬慢慢地走。

    長薄:雜草叢生的長路。

    長夜台:指迷信所謂“陰間”。

     [18]榇(chèn稱):棺材。

    疇昔:過去。

     [19]三秋:代指生時的長期别離。

    《詩經·王風·采葛》:“一日不見,如三秋兮。

    ”這二句是說生時久别尚有相聚之日,死别就不堪設想了。

     [20]“殉殁”二句:意謂跟随而死很容易,但無益于救死者之亡。

     [21]“含言”二句:是說想緘口不言而仍哽咽不止;拭去淚水還是流淚不止。

     [22]“流離”二句:這二句寫親友悲思亡人,在會葬時心情凄苦。

     [23]素骖:指前往會葬者中親近者乘素車白馬。

    伫:等待。

    玄驷:四匹黑馬,指關系較疏者的車馬。

    骛:飛奔。

    飛蓋:指車蓋。

     [24]回遲:旋轉緩行。

    “哀鳴”二句:寫拉靈柩的車在馬的哀鳴中從殡宮出發,在野外悲傷地遲遲行進。

     [25]魂輿:魂車。

    古人出殡時,有一輛車陳放死者平時出行的用具,象征他的靈魂乘坐,叫魂車。

    “冠與帶”即死者平時所用。

     [26]“備物”二句:寫會葬者見到“魂車”中物品,宛如平日,而不見其人,但見銘旌飄垂。

     [27]徽:停止。

    軌:車。

    傾雲:低斜的雲。

    結:積聚。

    藹:同霭。

    帶雨的雲氣。

    這二句是用寫景來襯托出殡時的哀傷情調。

     [28]靈丘:魂魄歸宿的山丘,指墳地。

    駕:駕車。

    言:語助詞。

    這二句是說禦者驅車前往墓地,死者由此永逝。

     [29]重阜:重疊的山陵。

    崔嵬:高峻。

    玄廬:指墳墓。

    竄:藏。

    這二句是說墳墓位于重山之間。

     [30]旁薄:一作“磅礴”,充塞、充滿的意思。

    四極:指東西南北。

    這是說墓穴中設有山嶽江河等各種模型,來象征大地。

    “穹崇”句:這是指墓穴頂部繪有天象,象征天空。

    這是古代貴族墓葬的制度。

     [31]陰溝:即指墓穴中所挖象征江河的溝。

    湧:漲潮。

    天井:即墓穴頂部所繪天象。

    這兩句是設想死者有知在墓穴中的感受。

     [32]廣霄:一作“圹宵”。

    按:“廣霄”應指墓穴中所畫天象,在死者眼中遼闊的天空怎能再明亮。

    “圹宵”應指墓穴在封土以後,再不見天日,猶如長夜。

    二說皆可通。

     [33]四民:士農工商稱“四民”,這裡代指人類。

     [34]“金玉”二句:這是說人活着時可以佩挂金玉,死後連鴻毛也舉不起來。

     [35]飨(xiǎnɡ響):以酒食款待人。

    這句是說死者肌膚被蝼蟻所食。

    妍骸:好看的軀體。

    夷泯:消失。

     [36]壽堂:壽穴,即墓室。

    魑魅(chīmèi癡昧):山林中的鬼怪。

    這二句是說死者在冥中隻能與鬼怪為友。

     [37]拊(fǔ撫):拍打。

    荼毒:苦難。

    這兩句寫死者在冥間的痛苦心情。

     長歌行[1] (西晉)陸機 逝矣經天日,悲哉帶地川[2]。

    寸陰無停晷,尺波豈徒旋[3]。

    年往迅勁矢,時來亮急弦[4]。

    遠期鮮克及,盈數固希全[5]。

    容華夙夜零,體澤坐自捐[6]。

    茲物苟難停,吾壽安得延。

    俛仰逝将過,倏忽幾何間。

    慷慨亦焉訴,天道良自然[7]。

    但恨功名薄,竹帛無所宣[8]。

    迨及歲未暮,長歌乘我閑[9]。

     *** [1]《長歌行》:這是陸機拟《相和歌辭·平調曲》中古辭“青青園中葵”而作。

    《樂府詩集》卷三十引《樂府廣題》認為此詩言人命短促,應當乘閑長歌,與古辭意合。

     [2]“逝矣”句:是說每天由東向西經天運行的太陽,使時間日益流失。

    “悲哉”句:是說萦帶大地的河川日夜流逝,一去不返,所以可悲。

     [3]晷(ɡuǐ鬼):日影,時間。

    這兩句是承上二句而來,說短短的光陰從不停留,尺寸的波浪豈能自動回流。

     [4]“年往”二句:是說歲月的過去和到來猶如強弓硬箭的迅速。

     [5]遠期:久遠的年命。

    鮮克及:很少能達到。

    盈數:這裡指百歲之期。

    希:少。

    這句是說人很少能活到百歲。

     [6]“容華”二句:是說人的容顔早晚在凋損,體力和精神也無故而自動消耗。

     [7]茲物:這裡指年命。

    俛仰:低頭擡頭之間,喻其短促。

    焉訴:從何訴說。

    這六句是說年命本難停留,壽命難于延長,瞬間即逝。

    對此怨憤也無用,這是自然規律。

     [8]竹帛:竹簡和帛是紙張發明以前寫書所用,這裡代指史冊。

    宣:這裡指記載、流傳。

    這二句說但恨未立功名,不能留名青史。

     [9]迨(dài代)及:“迨”也是及的意思,這裡指及時。

    歲未暮,年歲尚未晚。

    這兩句是說趁着年歲尚未遲暮,發為長歌來表達自己的情志。

     短歌行[1] (西晉)陸機 置酒高堂,悲歌臨觞。

    人壽幾何,逝如朝霜[2]。

    時無重至,華不再揚。

    以春晖,蘭以秋芳[3]。

    來日苦短,去日苦長[4]。

    今我不樂,蟋蟀在房[5]。

    樂以會興,悲以别章[6]。

    豈曰無感,憂為子忘[7]。

    我酒既旨,我肴既臧[8]。

    短歌有詠,長夜無荒[9]。

     *** [1]《短歌行》:這首陸機的拟作,主要是感歎人生短促,當及時行樂。

    有些句子似有意效法曹操之作。

    但由于二人身分不同,所以雖也叙友情,卻無曹操那種建功立業的雄心。

    但辭藻顯得更為華美。

    所以《文選》兼取二首,不為無故。

     [2]“置酒”四句:是說因人壽短促,雖臨觞作樂,也隻能悲歌慷慨,難以忘憂。

     [3]華不再揚:指花不能再開放。

    :一種水草,春天生長。

    這四句用植物的隻能一時美好比喻人生無常。

     [4]來日:指自己一生剩下的日子。

    去日:指已過去的日子。

     [5]“今我”二句:借用《詩經·唐風·蟋蟀》:“蟋蟀在堂,歲聿其莫。

    今我不樂,日月其除。

    ”《詩經》原意在教人及時依禮制适當取樂,陸機亦取此意。

     [6]“樂以”二句:說因與友人相會而樂,以分别而悲哀。

     [7]“豈曰”二句:是說哪裡會沒有感觸,隻是因見到您(朋友)而忘卻憂煩了。

     [8]旨:美好。

    臧:好。

    這兩句原出《詩經·小雅·弁(kuǐbiàn傀變)》。

    隻是改“爾”為“我”。

     [9]“短歌”二句:意思說吟詠短歌,及時取樂而不緻荒亂。

    與《詩經·蟋蟀》中的“好樂無荒”同意。

     苦寒行[1] (西晉)陸機 北遊幽朔城,涼野多險艱[2]。

    俯入穹谷底,仰陟高山盤[3]。

    凝冰結重澗,積雪被長巒[4]。

    陰雲興岩側,悲風鳴樹端。

    不睹白日景,但聞寒鳥喧。

    猛虎憑林嘯,玄猿臨岸歎。

    夕宿喬木下,慘慘恒鮮歡。

    渴飲堅冰漿,饑待零露餐。

    離思固已久,寤寐莫與言[5]。

    劇哉行役人,慊慊恒苦寒[6]。

     *** [1]《苦寒行》:此詩為拟曹操之作。

    故亦稱《北上行》。

    但詩中寫的是旅途之苦,與曹操之寫行軍不完全一樣,但辭藻更豐繁富。

     [2]幽朔城:指北方。

    《文選》李善注引《尚書·堯典》:“宅朔方曰幽都。

    ”按:幽州、朔方皆取此意。

    涼野:寒涼之地。

     [3]穹谷:高峻的山谷。

    盤:安穩的山石。

     [4]巒:山岡。

     [5]寤寐:猶言日夜。

     [6]慊慊(qiàn歉):不滿。

     折楊柳行[1] (西晉)陸機 邈矣垂天景,壯哉奮地雷[2]。

    隆隆豈久響,華華恒西[3]。

    日落似有竟,時逝恒若催。

    仰悲朗月運,坐觀璇蓋回[4]。

    盛門無再入,衰房莫苦闿[5]。

    人生固已短,出處鮮為諧[6]。

    慷慨惟昔人,興此千載懷[7]。

    升龍悲絕處,葛藟變條枚[8]。

    寤寐豈虛歎,曾是感與摧[9]。

    弭意無足歎[10],願言有馀哀。

     *** [1]《折揚柳行》:這首陸機的拟作,主要是感歎人生的短促及對禍福的憂慮。

    他生當西晉後期政權動亂,變故不斷發生之際,因此流露了這種憂生之嗟。

     [2]邈(miǎo渺):遠。

    景:太陽。

    奮地雷:指震動大地的雷聲。

     [3]隆隆:指雷。

    揚雄《解嘲》:“隆隆者絕。

    ”華華:指光華耀人的太陽。

    (tuí頹):下墜。

     [4]璇蓋:古人用璇(美玉)作為觀察天象的渾天儀,稱“璇玑”。

    璇蓋即渾天儀象征天空的部分。

    這裡指天象。

    回:循環。

     [5]闿(kǎi凱):開。

    這兩句說盛的時機無法再次來到,衰運的來到也不必悲歎。

     [6]鮮(xiǎn險):少。

    諧:和諧合意。

     [7]“慷慨”二句:意為追念古人的事迹,興起了對千古史事的感歎。

     [8]升龍:用《史記·封禅書》中典故,說黃帝後來成了仙,天上下來一條龍,黃帝就騎龍上天而去,群臣想攀龍跟着上天,不成,就對天号哭。

    這裡代指君主死去。

    葛藟:同“葛累”,即葛藤。

    條枚:樹的枝幹。

    《詩經·大雅·旱麓》:“莫莫葛累,施于條枚。

    豈弟君子,求福不回。

    ”這兩句是說一旦舊的君主死去,原來依附他的臣子就會轉而去依附新主,正如葛藤到原來纏繞的樹傾倒以後,又會改去纏别的樹。

    這裡暗用《詩經》後二句的意思,對這種現象表示不滿。

    從這兩句看,陸機這首詩與他的《豪士賦序》頗有共通的思想。

     [9]“寤寐”句:意思說睡着了也在歎息,這并非無因。

    曾是:竟這樣。

     [10]弭:止息。

     猛虎行[1] (西晉)陸機 渴不飲盜泉水,熱不息惡木陰[2]。

    惡木豈無枝,志士多苦心[3]。

    整駕肅時命,杖策将遠尋[4]。

    饑食猛虎窟,寒栖野雀林[5]。

    日歸功未建,時往歲載陰[6]。

    崇雲臨岸駭,鳴條随風吟[7]。

    靜言幽谷底,長嘯高山岑[8]。

    急弦無懦響,亮節難為音[9]。

    人生誠未易,曷雲開此襟[10]。

    眷我耿介懷,俯仰愧古今[11]。

     *** [1]《猛虎行》:這是陸機拟古辭而作,其旨趣與古辭略同。

    其中“饑食”二句,即化用古辭原文。

    但這首詩辭藻繁富華美,與古辭的簡短質樸很不一樣。

    從詩的内容看來,雖屬拟古之作,卻頗有真情實感。

    疑為他入洛後在仕途上遭受一些挫折之後感憤而發。

     [2]“渴不飲”句:據《文選》李善注引《屍子》,講到孔子路過名為盜泉之水,口渴卻不飲這水,因為名稱不好。

    “熱不息”句:據《文選注》載,江邃《文釋》曾引《管子》佚文,說正直自重的人不到惡木下面乘涼,何況跟惡人相處。

    這兩句都是強調自尊自愛。

     [3]“惡木”二句:是說惡木當然也有枝葉可以遮陰,但有志之士有他自守志節的苦心。

     [4]“整駕”二句:意思說整頓車馬以恭奉當時君主的命令,持着馬鞭将赴遠地。

    這二句疑即指奉召入洛。

     [5]“饑食”二句:這兩句用古辭原文而删去二“不”字,反用其意,疑指陸機在趙王倫執政時曾任相國參軍,趙王倫篡位時又任中書郎之事。

     [6]日歸:指時光流失。

    歲載陰:古人以秋冬為一年之陰,這裡用一年将盡喻自己年歲已将老。

     [7]崇雲:高雲。

    駭:興起。

    鳴條:樹枝在風中發出的聲響。

    這兩句寫蕭瑟景象以襯托自己的心情。

     [8]“靜言”二句:“靜言”二字語出《詩經·邶風·柏舟》:“靜言思之。

    ”這裡以此表示在幽谷中深思自己的出處,感憤而上到高山上長嘯。

    “岑”是高而小的山峰。

     [9]急弦:調得很緊的琴弦。

    懦響:低沉的音響。

    亮節:堅貞誠信的節操。

    這兩句說正如緊的琴弦不會發出低下之音一樣,抱忠信之節的人言必慷慨激昂,所以說“難為音”。

     [10]襟:胸襟。

    這二句說人生實在不易,為什麼要啟出行的心思呢? [11]眷:眷顧。

    耿介:正直獨立的樣子。

    這二句是說想起我平生正直獨立的志節,卻去出仕,實在有愧古代聖賢的教訓。

     從軍行[1] (西晉)陸機 苦哉遠征人,飄飄窮四遐[2]。

    南陟五嶺巅,北戍長城阿[3]。

    谿谷深無底,崇山郁嵯峨[4]。

    奮臂攀喬木,振迹涉流沙[5]。

    隆暑固已慘,涼風嚴且苛。

    夏條焦鮮藻,寒冰結沖波[6]。

    胡馬如雲屯,越旗亦星羅[7]。

    飛鋒無絕影,鳴镝自相和[8]。

    朝餐不免胄[9],夕息常負戈。

    苦哉遠征人,拊心悲如何。

     *** [1]《從軍行》:此首亦見《文選》。

    詩的内容顯然受左延年影響。

    後來顔延之也有一首《從軍行》,則幾乎全仿此篇。

     [2]飄飄:指行蹤飄飖不定。

    四遐:四方的遠處。

     [3]五嶺:即今南嶺山脈,在今江西、湖南和廣東、廣西交界處。

    阿:曲折的地方。

     [4]郁:茂盛,這裡借以指高大。

    嵯峨(cuóé矬俄):指山深而又高。

     [5]振迹:舉步。

    流沙:沙漠。

     [6]鮮:少。

    藻:文采。

    “夏條”句:此句說南方酷熱,夏天樹木被曬得幹枯,很少光采。

    “寒冰”句:形容北邊嚴寒,連急流也凝冰。

     [7]胡馬、越旗:代指敵軍。

    雲屯、星羅:形容其衆多。

     [8]鳴镝:響箭。

    “飛鋒”二句:極寫刀光劍影不絕,箭如雨下,聲響不斷。

     [9]免胄(zhoù軸):脫下頭盔。

     豫章行[1] (西晉)陸機 泛舟清川渚,遙望高山陰[2]。

    川陸殊途軌,懿親将遠尋[3]。

    三荊歡同株,四鳥悲異林[4]。

    樂會良自古,悼别豈獨今。

    寄世将幾何,日昃無停陰[5]。

    前路既已多,後途随年侵。

    促促薄暮景,亹亹鮮克禁[6]。

    曷為複以茲,曾是懷苦心。

    遠節嬰物淺,近情能不深[7]。

    行矣保嘉福,景絕繼以音[8]。

     *** [1]《豫章行》:這首陸機的拟作,是寫離别之情和悲歎人命短促、好景不常。

    後來謝靈運也有一首,用意與此相仿。

     [2]陰:山的北面叫陰。

    這兩句是說行者即将出發,登舟時遙望山的北面,即所要去的遠處。

     [3]川陸:指水路和陸路。

    懿親:關系最近的親戚。

    尋:找尋。

     [4]三荊:一株三枝的荊樹,常用以喻指同胞兄弟。

    《文選》李善注引《古上留田行》:“出是上獨西門,三荊同一根生。

    ”這裡是指出行者和送别的懿親本是同一祖先所出。

    “四鳥”句:據《文選》李善注,此句用《孔子家語》載顔淵語說“回聞完山之鳥生四子焉,羽翼既成,将分乎四海,其母悲鳴而送之,哀聲有似于此”雲雲。

    這裡借喻離别之情。

     [5]日昃(zè仄):太陽過午後偏西。

     [6]促促:形容短促。

    亹亹(wěi委):時光流失的樣子。

     [7]遠節:遠大的志節。

    嬰:受外物的牽累。

    近情:情志短淺。

     [8]景:同“影”。

    這句是說影響雖已遠去,還可通音訊。

     董逃行[1] (西晉)陸機 和風習習薄林[2],柔條布葉垂陰。

    鳴鸠拂羽相尋,倉鹒喈喈弄音[3],感時悼逝傷心。

    日月相追周旋,萬裡倏忽幾年。

    人皆冉冉西遷[4],盛時一往不還,慷慨乖念凄然[5]。

    昔為少年無憂,常怪秉燭夜遊[6]。

    翩翩宵征何求[7],于今知此有由,但為老去年遒[8]。

    盛固有衰不疑,長夜冥冥無期[9]。

    何不驅馳及時,聊樂永日自怡[10],赍此遺情何之[11]。

    人生居世為安,豈若及時為歡。

    世道多故萬端,憂慮紛錯交顔[12],老行及之長歎。

     *** [1]《董逃行》:這一首《董逃行》主要是寫人生短促,當及時行樂,内容與“古辭”及傅玄之作不同,但它亦用六言句,而且每五句寫一層意思,同時轉韻,與傅玄之作在形式上相同,可能當時的《董逃行》曾采用過這種形式。

     [2]習習:和煦舒暢的樣子。

    薄:迫近,這裡指吹向。

     [3]倉鹒:鳥名,即黃莺。

     [4]冉冉:漸漸地。

     [5]乖念:想到與自己意志相反。

     [6]“常怪”句:暗用《古詩十九首·生年不滿百》“晝短苦夜長,何不秉燭遊”典故。

     [7]翩翩:快速地行走。

    宵征:夜間出行。

    這句是說不了解人們為什麼要夜間迅速趕路。

     [8]遒(qiú酋):盡。

     [9]長夜:指人死之後。

    這句是說死後永無所知。

     [10]永日:整天。

     [11]赍(jī稽):懷抱着。

    遺情:指遺忘情欲的去向。

     [12]“憂慮”句:指憂慮交錯縱橫地出現在臉上。

    形容憂慮之多。

     長安有狹斜行[1] (西晉)陸機 伊洛有歧路,歧路交朱輪[2]。

    輕蓋承華景,騰步蹑飛塵[3]。

    鳴玉豈樸儒,馮轼皆俊民[4]。

    烈心厲勁秋,麗服鮮芳春[5]。

    餘本倦遊客,豪彥多舊親[6]。

    傾蓋承芳訊:“欲鳴當及晨[7]。

    守一不足矜,歧路良可遵[8]。

    ”規行無曠迹,矩步豈逮人[9]。

    投足緒已爾,四時不必循[10]。

    将遂殊塗軌,要子同歸津[11]。

     *** [1]《長安有狹斜行》:這是陸機的拟作,雖用漢樂府舊題,寫的卻是西晉的洛陽,并且是自抒懷抱之作。

    《樂府詩集》卷三十四引《樂府解題》謂:“晉陸機《長安狹斜行》雲‘伊洛有歧路,歧路交朱輪’,則言世路險狹邪僻,正直之士無所措手足矣。

    ”傅剛先生則認為此詩表現了陸機思想的轉變,他雖明知“賈谧之門是歧路”,但為了建功立業,不妨選擇另一條道路,來達到目的(詳見《漢魏六朝詩鑒賞辭典》第379—381頁,上海辭書出版社本)。

     [2]伊洛:伊水和洛水,皆河南省的河流名,這裡代指洛陽。

    交:交錯來往。

    朱輪:達官的車輛。

    古代達官貴人乘坐的車輛,在輪上塗飾紅漆,以示身份之高貴。

     [3]輕蓋:古代車的傘頂。

    華景:絢麗的太陽。

    “騰步”句:形容貴人們行路飛揚傲慢之态。

     [4]鳴玉:古代貴族身上都佩有玉器,走路時叮當作響。

    後來就用“鳴玉”來代指有官爵的人。

    樸儒:拙樸的儒者。

    馮轼:即憑轼。

    轼是古代車子上的橫木,可以倚憑。

    這裡代指乘車的人。

    俊民:俊傑之人。

     [5]“烈心”二句:是說那些來往于歧路上的貴人,意氣嚴厲,甚于深秋肅殺之氣;衣服華麗,比春光還鮮豔。

     [6]豪:豪傑。

    彥:美好的古人。

     [7]傾蓋:路上相遇。

    這二句是說:承蒙“豪彥”們好意相勸說,認為要建功立業就必須抓緊時間。

     [8]守一:堅持一種道理或原則。

    矜:取法。

    “歧路”句:是說不妨遵循歧路,以求達到目的。

     [9]曠:遠。

    逮:及。

    這兩句說規行矩步就無法趕上别人。

     [10]投足:插足,置身。

    緒:事,事實。

    這兩句說事實既已如此(指既已投身于仕途),就不必再像四時代序那樣遵循一定的規則。

     [11]要:約。

    津:津途,這裡指勢要之途。

    《古詩十九首·今日良宴會》:“何不策高足,先據要路津。

    ”這兩句是說不妨走歧路以達到先據要津的目的,這與走正路實為殊途同歸。

    語出《周易·系辭下》:“天下同歸而殊途,一緻而百慮。

    ” 塘上行[1] (西晉)陸機 江蓠生幽渚,微芳不足宣[2]。

    被蒙風雨會,移居華池邊[3]。

    發藻玉台下,垂影滄浪泉[4]。

    沾潤既已渥,結根奧且堅[5]。

    四節逝不處,繁華難久鮮[6]。

    淑氣與時殒,馀芳随風捐[7]。

    天道有遷易,人理無常全。

    男歡智傾愚,女愛衰避妍[8]。

    不惜微軀退,恒懼蒼蠅前[9]。

    願君廣末光,照妾薄暮年[10]。

     *** [1]《塘上行》:這首陸機的拟作,雖寫女子之憂慮色衰愛弛,與古辭内容相類,但陸機作為一個吳國舊臣的子孫,來到西晉做官,雖曾得成都王司馬穎信任,但終于受到讒毀,被司馬穎殺害。

    這詩恐亦有借女子口吻,以抒寫其憂生之嗟。

     [2]江蓠:一種香草。

    幽渚:幽靜的水邊。

    “微芳”句:微弱的香氣不足為大家所知曉。

     [3]“被蒙”二句:這兩句是說因遇風雨的際會,使江蓠的種子被移到了華池的邊上。

     [4]藻:文采,這裡指花朵。

    滄浪:發青的水色。

     [5]渥:充足的水分。

    奧:深。

     [6]“四節”句:四季的逝去不會停留。

    處:停留。

    鮮:鮮豔。

     [7]淑氣:溫和之氣。

    捐:抛棄,這裡指消散。

     [8]“男歡”二句:這兩句是說人們對男子總是喜歡有智慧的人而不喜歡愚笨的;對女子總是喜歡美貌的而不喜衰老的。

     [9]“恒懼”句:常常怕有進讒言的人來到你面前。

    “蒼蠅”是比喻進讒者。

    典出《詩經·小雅·青蠅》:“營營青蠅,止于榛。

    讒人罔極,構我二人。

    ” [10]末光:馀光。

    此處喻指恩愛。

    “願君”二句意謂延長你的恩愛,來愛及我的晚年。

     飲馬長城窟行[1] (西晉)陸機 驅馬陟陰山[2],山高馬不前。

    往問陰山候,勁虜在燕然[3]。

    戎車無停軌,旌旆屢徂遷[4]。

    仰憑積雪岩,俯涉堅冰川。

    冬來秋未反,去家邈以綿[5]。

    猃狁亮未夷,征人豈徒旋[6]。

    末德争先鳴,兇器無兩全[7]。

    師克薄賞行,軍沒微軀捐[8]。

    将遵甘陳迹,收功單于旃[9]。

    振旅勞歸去,受爵藁街傳[10]。

     *** [1]《飲馬長城窟行》:這首陸機的拟作主要是寫出兵征伐之事,但所寫長城的苦寒及征夫思歸之情,與陳琳的作品尚有一定的類似之處。

    陸機寫邊塞征人的詩還有《苦寒行》、《從軍行》等,但此首寫到了報國立功的意氣,和曹植的《白馬篇》、《雜詩》等相近,開了後來邊塞詩的先河。

     [2]陰山:即今陰山山脈,在内蒙古自治區西部。

     [3]候:邊塞前哨的軍吏。

    勁虜:強壯的敵人。

    燕然:山名。

    即今杭愛山,在蒙古人民共和國境。

    漢班固曾作《封燕然山銘》。

     [4]戎車:兵車。

    旌旆(pèi沛):旗子。

    徂:往,去。

    這兩句寫兵車不停前進,主将的營帳(軍旗即其标志)也不斷地遷徙。

     [5]“冬來”二句:意為冬日出征,至秋天尚未回歸,軍人去家日遠,道路漫長。

     [6]猃狁(xiǎnyǔn險允):古代北方的少數民族,即戰國以後的匈奴。

    亮:的确。

    夷:平。

    徒旋:白白地回軍。

     [7]末德:德行低下。

    古人認為對敵國應用仁義感化,不當訴諸武力,故稱用兵為“末德”。

    《莊子·天道篇》:“三軍五兵之運,德之末也。

    ”這兩句是說既已用兵,就得争先殺敵,手持兇器相遇,雙方總有一個要死傷。

     [8]師克:軍隊戰勝。

    薄賞行:對戰士進行微薄的賞賜。

    微軀捐:指戰士喪失了生命。

    這兩句是說戰勝了還有微薄的賞賜,軍隊潰滅,自己也無法求生。

    因此不得不争先。

     [9]甘陳:指西漢的甘延壽和陳湯。

    他們曾在西域擊殺匈奴首領郅支單于,平定康居等國。

    旃:同“氈”,帳幕。

    單于(chányú讒竽):匈奴族君主。

    “收功”句:指一直攻進單于帳幕,以立大功。

     [10]振旅:凱旋。

    藁街:漢代長安街名,是各國來長安朝見的使者住所,故亦成為異域的代名詞。

    藁街傳:即揚名異域。

     門有車馬客行[1] (西晉)陸機 門有車馬客,駕言發故鄉。

    念君久不歸,濡迹涉江湘[2]。

    投袂赴門塗,攬衣不及裳[3]。

    拊膺攜客泣,掩淚叙溫涼[4]。

    借問邦族間,恻怆論存亡[5]。

    親友多零落,舊齒皆凋喪[6]。

    市朝互遷易,城阙或丘荒[7]。

    墳壟日月多,松柏郁茫茫[8]。

    天道信崇替,人生安得長[9]。

    慷慨惟平生,俛仰獨悲傷[10]。

     *** [1]《門有車馬客行》:《相和歌辭·瑟調曲》之一。

    古辭已佚。

    《樂府詩集》卷四十引《古今樂錄》曰:“王僧虔《技錄》雲:《門有車馬客行》,歌東阿王《置酒》一篇。

    ”又引《樂府解題》雲:“曹植等《門有車馬客行》,皆言問訊其客,或得故舊鄉裡,或駕自京師,備叙市朝遷謝,親友凋喪之意也。

    ”按:曹植《置酒》,當即《箜篌引》,《樂府詩集》作《野田黃雀行》。

    今本《曹植集》有《門有萬裡客行》,内容與《樂府解題》所述不同,疑《樂府解題》有誤。

    但這首陸機之作,則确是這個内容。

     [2]濡迹:留下蹤迹。

    濡有沾濕意,因為是“涉江湘”,故用“濡”字。

     [3]投袂(mèi妹):甩下衣袖。

    赴門塗:趕出門口上路。

    攬衣:整一下衣服。

    這兩句是寫作者聽說有客人從故鄉來,趕快出去相見。

     [4]拊(fǔ府)膺:拍打胸部。

    掩淚:擦淚。

     [5]邦族:鄉國和宗族。

     [6]舊齒:故舊老人。

     [7]市朝:市集和朝堂。

    阙:宮門前的兩座高樓。

    城阙:代指建築物。

    丘荒:成了丘壟和荒地。

     [8]郁茫茫:茂盛的一大片。

    古人在墳地種松柏,所以“松柏郁茫茫”是寫墳墓日增。

     [9]崇替:盛衰。

    這兩句說天道還有盛衰,人生哪得久長。

     [10]俛仰:同“俯仰”,頃刻之間。

     梁甫吟[1] (西晉)陸機 玉衡固已骖[2],羲和若飛淩[3]。

    四運循環轉,寒暑自相承[4]。

    冉冉年時暮,迢迢天路征[5]。

    招搖東北指,大火西南升[6]。

    悲風無絕響,玄雲互相仍[7]。

    豐水憑川結,零露彌天凝[8]。

    年命特相逝,慶雲鮮克乘[9]。

    履信多愆期,思順焉足憑[10]。

    慷慨臨川響[11],非此孰為興。

    哀吟梁甫颠,慷慨獨撫膺[12]。

     *** [1]《梁甫吟》:這首陸機的《梁甫吟》是感歎歲月易過,人生短促,雖然行為正直,仍不免有種種憂患。

    後來如沈約等人的《梁甫吟》,多取此義。

    陸機的樂府詩,往往為後來謝靈運等人竭力模仿,這正是蕭統《文選》在“樂府”一類中取陸機之作最多的原因。

     [2]玉衡:北鬥七星的第五星。

    這裡代指鬥柄,北鬥的柄随着時節的變換,改變其所指方向。

    骖(cān參):駕三匹馬。

     [3]羲和:日神的禦者,這裡代指太陽。

    淩:升高。

     [4]四運:四季。

    承:接替。

     [5]冉冉:逐漸。

    迢迢:遙遠。

    天路:天象的運行。

    征:明證。

     [6]招搖:即北鬥第七星,又名“建星”。

    招搖指向東北,時節是農曆十二月。

    大火西南升:大火星從西南方升起。

    農曆六月時,大火星在南方正中,入秋後就轉向西南角,暑氣退去。

    這兩句寫時節變換的迅速。

     [7]仍:接連不斷。

     [8]豐:大。

    憑:滿。

    彌:滿,遍。

     [9]特:但,隻管。

    慶雲:本指一種祥瑞的雲氣。

    這裡似僅指雲。

    這兩句說歲月隻管流失,而人要乘雲升仙卻很難。

     [10]履信:實行忠信的道理。

    愆期:本指失期。

    《詩經·衛風·氓》:“匪我愆期。

    ”這裡似指與期望的相反。

    “思順”句:想按正道而行卻又哪能靠得住。

     [11]臨川響:指孔子在水邊上的歎息。

    《論語·子罕》:“子在川上曰:逝者如斯夫,不舍晝夜。

    ” [12]颠:山頂。

    這兩句寫作者在梁甫山頂上想到這些,悲憤撫膺地歎息。

     駕言出北阙行[1] (西晉)陸機 駕言出北阙,踯躅遵山陵[2]。

    長松何郁郁,丘墓互相承[3]。

    念昔殂沒子,悠悠不可勝[4]。

    安寝重冥廬,天壤莫能興[5]。

    人生何期促,忽如朝露凝。

    辛苦百年間,戚戚如履冰[6]。

    仁智亦何補,遷化有明征[7]。

    求仙鮮克仙,太虛安可淩[8]。

    良會罄美服[9],對酒宴同聲[10]。

     *** [1]《駕言出北阙行》:據《藝文類聚》卷四十一引本詩前一首為古辭《驅馬上東門行》,後一首為鮑照《驅馬上東門行》(即《東門行》),而此詩首句有“驅車上東門”五字,疑此首即陸機拟《驅車上東門行》而作。

     [2]北阙:北面城樓,疑即指上東門,因上東門在洛陽東北角。

    遵:沿着。

     [3]郁郁:茂盛的樣子。

    承:連接。

     [4]殂(cú徂)沒子:已死的人。

    不可勝:指難以克制。

    這兩句說自己想起已死的人時,就悲傷不能自制。

     [5]重冥廬:非常昏暗的房舍,指墳墓中。

    天壤:天地。

    興:使之起身。

     [6]戚戚:形容憂傷之多。

    履冰:站在冰上,喻危險。

     [7]遷化:事物的變遷,這裡指死生。

     [8]太虛:天空。

    淩:登上。

    這句指成仙是不可能的。

     [9]罄(qìnɡ慶):用盡。

     [10]同聲:志向相同的人。

    語出《周易·乾·文言傳》:“同聲相應,同氣相求。

    ” 君子有所思行[1] (西晉)陸機 命駕登北山,延伫望城郭。

    廛裡一何盛,街巷紛漠漠[2]。

    甲第崇高闼,洞房結阿閣[3]。

    曲池何湛湛,清川帶華薄[4]。

    邃宇列绮窗,蘭室接羅幕[5]。

    淑貌色斯升,哀音承顔作[6]。

    人生誠行邁,容華随年落。

    善哉膏粱士[7],營生奧且博。

    宴安消靈根,鸩毒不可恪[8]。

    無以肉食資,取笑葵與藿[9]。

     *** [1]《君子有所思行》:此曲似始于陸機,所以鮑照的拟作稱《代陸平原〈君子有所思〉》。

    今所見陸機、謝靈運、鮑照和沈約的詩都是講豪華的居室及美女侍奉都不能久,貪圖享樂對人有損,要忌盈滿、修德行才是君子所當思考的事。

     [2]廛(chán纏):人家的居室。

    漠漠:煙雲缭繞。

     [3]甲第:豪門的第宅。

    闼(tà踏):門。

    洞房:深廣的房間。

    阿(ē婀):屋的曲檐。

    阿閣:有曲檐的樓閣。

     [4]湛湛:清澈。

    華薄:叢生的花草。

     [5]邃(suì遂)宇:深幽的屋宇。

    绮窗:雕飾的窗戶。

    蘭室:芳香高雅的居室。

     [6]色斯:《論語·鄉黨》雲:“色斯舉矣,翔而後集。

    ”注:“馬(融)曰:見顔色不善,則去之。

    ”後以“色斯”代指離去。

    升:“舉”意。

    此句意謂美貌女子見主人顔色不對,起身離去。

    哀音:悲哀的音樂。

    古人的音樂以悲為美。

     [7]膏粱士:富貴的人。

     [8]靈根:生命之根本。

    鸩(zhèn振):毒酒。

    恪(kè客):遵守。

     [9]肉食:吃肉的人,指貴族。

    這兩句是說不要以高貴者的身份,行事取笑于吃葵(菜名)與藿(豆子)的平民。

    這是告誡的話。

     悲哉行[1] (西晉)陸機 遊客芳春林,春芳傷客心[2]。

    和風飛清響,鮮雲垂薄陰[3]。

    蕙草饒淑氣[4],時鳥多好音。

    翩翩鳴鸠羽,喈喈倉庚音[5]。

    幽蘭盈通谷,長莠被高岑[6]。

    女蘿亦有托,蔓葛亦有尋[7]。

    傷哉客遊士,憂思一何深。

    目感随氣草,耳悲詠時禽。

    寤寐多遠念,緬然若飛沉[8]。

    願托歸風響,寄言遺所欽[9]。

     *** [1]《悲哉行》:《樂府詩集》卷六十二引《歌錄》說是曹睿始作此曲。

    陸機拟作寫遊人目睹春景而産生的感歎,後來作者如謝靈運、謝惠連、沈約之作皆仿此意。

     [2]“春芳”句:指春天的花香反而引起了遊人的思鄉之情。

     [3]鮮雲:稀淡的雲。

    薄陰:輕微的蔭影。

     [4]淑氣:春天的祥和之氣。

     [5]鳴鸠羽:鳴鸠,鳥名。

    《禮記·月令》:“季春之月,鳴鸠拂其羽。

    ”喈喈(jiē皆):鳥聲。

    倉庚:鳥名,即黃莺。

     [6]莠(yǒu有):草名,俗稱狗尾巴草。

    岑:小而高的山。

     [7]女蘿:一種攀援樹木生長的植物。

    蔓葛:蔓生的葛,一種草本植物。

     [8]寤(wù悟):睡醒。

    寐(mèi妹):睡着。

    緬(miǎn免)然:遙遠。

    這兩句說自己與故鄉遠别,想起故鄉好比高飛與下沉那樣越來越遙遠。

     [9]歸風:吹向故鄉的風。

    遺(wèi慰):贈送。

    遺所欽:送信給我所敬重的人。

     齊讴行[1] (西晉)陸機 營丘負海曲,沃野爽且平[2]。

    洪川控河濟,崇山入高冥[3]。

    東被姑尤側,南界聊攝城[4]。

    海物錯萬類[5],陸産尚千名。

    孟諸吞楚夢,百二侔秦京[6]。

    惟師恢東表,桓後定周傾[7]。

    天道有疊代,人道無久盈。

    鄙哉牛山歎,未及至人情[8]。

    爽鸠苟已徂,吾子安得停[9]。

    行行将複去,長存非所營。

     *** [1]《齊讴行》:這首詩是寫齊地的風土。

    據《漢書·禮樂志》,漢代時就有唱齊歌的樂人六員。

    此詩可能是借齊讴來箴誡當時掌權的齊王司馬冏。

     [2]營丘:齊太公被封的地方,故地在今山東臨淄縣西北。

    負:背負。

    海曲:海邊。

    爽:即爽垲(kǎi凱),幹燥。

     [3]洪川:大河。

    高冥:天空。

     [4]姑尤:姑水和尤水。

    都在城陽郡(今山東青島市西)。

    聊:今山東聊城。

    攝:古地名,在今聊城東北。

     [5]錯:交錯。

     [6]孟諸:古大澤名,在今山東、河南交界處。

    楚夢:楚國的大澤雲夢,在今湖北南部及湖南北部一帶。

    司馬相如《子虛賦》:“吞若雲夢者八九。

    ”百二:《史記·高祖本紀》:“秦,形勝之國,帶河山之險,縣隔千裡,持戟百萬,秦得百二焉。

    ”“百二”指二萬人足當敵人百萬。

    齊地則據雲“得十二焉”,即二萬人足拒十萬。

    這裡用典略變其意。

     [7]惟師:指姜太公。

    《詩經·大雅·大明》:“維師尚父。

    ”“尚父”即太公。

    東表:《左傳·襄公二十九年》:吳季劄說齊國“表東海”,這裡用此典。

    桓後:指齊桓公。

    定周傾:扶助周朝的衰弱。

     [8]牛山歎:指齊景公登牛山,悲歎人要死亡。

    晏子進谏事。

    事見《左傳·昭公二十年》。

    至人:《莊子》中對高尚道德的人稱“至人”。

     [9]爽鸠:即爽鸠氏。

    傳說中古代的部族名。

    停:留下。

    這裡指長生不死。

     吳趨行[1] (西晉)陸機 楚妃且勿歎,齊娥且莫讴。

    四坐并清聽,聽我歌吳趨。

    吳趨自有始,請從阊門起[2]。

    阊門何嵯峨,飛閣跨通波[3]。

    重栾承遊極,回軒啟曲阿[4]。

    藹藹慶雲被,泠泠祥風過[5]。

    山澤多藏育,土風清且嘉。

    泰伯導仁風,仲雍揚其波[6]。

    穆穆延陵子,灼灼光諸華[7]。

    王迹陽九,帝功興四遐[8]。

    大皇自富春,矯手頓世羅[9]。

    邦彥應運興,燦若春林葩[10]。

    屬城鹹有士,吳邑最為多。

    八族未足侈,四姓實名家[11]。

    文德熙淳懿,武功侔山河[12]。

    禮讓何濟濟,流化自滂沱[13]。

    淑美難窮紀,商榷為此歌[14]。

     *** [1]《吳趨行》:這是吳人歌唱本地風土之歌。

    《樂府詩集》卷六十四說“趨,步也”,恐非。

    “趨”當是歌曲名。

    《宋書·樂志》講到《相和歌辭·大曲》說:“前有豔,後有趨。

    ”疑即指一種曲調。

     [2]阊門:蘇州城的西門。

     [3]通波:河流。

     [4]栾:梁上橫木。

    極:梁。

    這句形容阊門城樓的構造精緻。

    “回軒”句:曲折相連的窗子,開在樓閣的四周。

     [5]泠泠(línɡ鈴):聲音清越。

     [6]泰伯:吳國的建立者,周朝太王(文王的祖父)之長子。

    仲雍:太王次子。

    二人因避位以讓王季,逃到吳地。

     [7]穆穆:恭敬。

    延陵子:指春秋時吳國賢人公子季劄,他被封于延陵。

    灼灼:有光采。

    諸華:中原各國。

     [8]王迹:指東漢的皇統。

    :毀壞。

    陽九:古人認為“陽九”是厄運之年。

    《漢書·律曆志上》:“初入元,百六,陽九;……往歲四千五百六十,災歲五十七。

    ”這句指東漢衰亡。

    帝功:指孫權的功業。

    孫權谥為“吳大帝”。

    四遐:遙遠的四方。

     [9]富春:今浙江富陽。

    矯手:舉手。

    頓世羅:整治世上的倫綱。

     [10]邦彥:一國之美士。

    葩:花朵。

     [11]八族:指中原的陳、桓、呂、窦、公孫、司馬、徐、傅八族。

    四姓:指吳地的朱、張、顧、陸四姓。

     [12]熙:興盛。

    淳:平和樸厚。

    懿:美好。

    侔:等同。

     [13]濟濟:禮儀興盛的樣子。

    滂沱:充沛的樣子。

     [14]商榷:度量一個大概的情況。

     前緩聲歌[1] (西晉)陸機 遊仙聚靈族,高會曾城阿[2]。

    長風萬裡舉,慶雲郁嵯峨。

    宓妃興洛浦,王韓起太華[3]。

    北征瑤台女,南要湘川娥[4]。

    肅肅霄駕動,翩翩翠蓋羅[5]。

    羽旗栖瓊鸾,玉衡吐鳴和[6]。

    太容揮高弦,洪崖發清歌[7]。

    獻酬既已周,輕舉乘紫霞。

    總辔扶桑枝,濯足旸谷波[8]。

    清輝溢天門,垂慶惠皇家[9]。

     *** [1]《前緩聲歌》:曲名。

    《樂府詩集》卷六十五說到“緩聲”是說歌聲的速度較慢。

    後人又有《後緩聲歌》、《緩聲歌》等歌辭。

     [2]靈族:各方神仙。

    曾城:神話中昆侖墟的高城,凡九層,高萬裡以上,乃神仙所居。

    阿:山陵曲折處。

     [3]宓妃:洛水女神名。

    洛浦:洛水邊上。

    王韓:傳說中的仙人名。

    太華:山名,即華山。

     [4]瑤台女:即有娀(sōnɡ嵩)氏,商代祖先契(xiè瀉)的母親。

    《楚辭·離騷》:“望瑤台之偃蹇兮,見有娀之佚女。

    ”要:約。

    湘川娥:即湘君和湘夫人,堯女舜妻,死為湘水之神。

     [5]肅肅:謹慎的樣子。

    霄駕:在雲中行駛的車輛。

    翠蓋:以翠鳥羽裝飾的車蓋。

     [6]瓊鸾:美玉做的鈴。

    因制成鸾鳥狀,故用“栖”字。

     [7]太容:黃帝的樂官。

    揮高弦:指彈琴。

    洪崖:古代傳說中的仙人。

    見《神仙傳》。

     [8]總:聚束。

    辔:馬絡頭。

    這裡指拉起馬絡頭。

    扶桑:神木名。

    傳說日出其下。

    《離騷》:“飲餘馬于威池兮,總餘辔乎扶桑。

    ”旸(yánɡ楊)谷:神話中太陽洗澡的地方。

     [9]垂慶:神下降的吉慶。

     扶風歌[1] (西晉)劉琨[2] 朝發廣莫門,暮宿丹水山[3]。

    左手彎繁弱,右手揮龍淵[4]。

    顧瞻望宮阙,俯仰禦飛軒[5]。

    據鞍長歎息,淚下如流泉。

    系馬長松下,發鞍高嶽頭[6]。

    洌洌悲風起,泠泠澗水流[7]。

    揮手長相謝,哽咽不能言。

    浮雲為我結,飛鳥為我旋。

    去家日已遠,安知存與亡。

    慷慨窮林中,抱膝獨摧藏。

    麋鹿遊我前,猴猿戲我側。

    資糧既乏盡,薇蕨安可食。

    攬辔命徒侶,吟嘯絕岩中。

    君子道微矣,夫子故有窮[8]。

    惟昔李蹇期,寄在匈奴庭[9]。

    忠信反獲罪,漢武不見明。

    我欲竟此曲,此曲悲且長。

    棄置勿重陳,重陳令心傷。

     *** [1]《扶風歌》:晉懷帝永嘉元年(307),劉琨由洛陽前往并州治所晉陽(今山西太原)任刺史,此時黃河以北已幾經混戰,沿途荒涼。

    劉琨在詩中寫了心中的悲憤之情。

    本詩《樂府詩集》題為《扶風歌九首》,每四句為一首。

    《文選》合為一首,今從《文選》。

     [2]劉琨(271—318):字越石。

    中山魏昌(今河北無極)人。

    初任司隸中郎,曾參加賈誼的“二十四友”,後任并州刺史。

    北方淪陷後,他堅持與劉聰、石勒等少數民族軍閥鬥争,屢遭失敗,結果被鮮卑人段匹所害。

    明人輯有《劉越石集》。

     [3]廣莫門:洛陽城的北門有二,靠東的叫“谷門”,又稱“廣莫門”。

    丹水山:在今山西高平縣北。

     [4]繁弱:弓名。

    龍淵:寶劍名。

     [5]禦飛軒:駕着飛奔的車。

     [6]發鞍:卸下馬鞍。

    高嶽:高山。

     [7]洌洌(liè列):寒冷。

    泠泠(línɡ鈴):泉水聲。

     [8]微:衰弱。

    用《周易·否·象辭》“君子道銷”典。

    夫子:指孔子。

    《史記·孔子世家》載,孔子在魯國人獵到麒麟後說:“吾道窮矣!” [9]李蹇期:指李陵。

    李陵出征匈奴,兵敗不能及時歸來,故這裡稱“蹇期”。

    “蹇”通“愆”,即誤期。

    《周易·歸妹》:“歸妹愆期。

    ”