(二)漢魏西晉文人樂府詩

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的遊樂反襯死亡的被棄。

    中四句借太陽出沒比喻死者不複生。

    末四句慨歎人生短促,自古皆然,“亦曠達,亦悲痛”。

     [2]“生時”四句:前二句以“遊國都”之盛,襯托“棄中野”之悲;後二句以“朝”對“暮”,以“高堂”對“黃泉”。

    用意相同,而前二句泛指,後二句專指出殡之日。

     [3]虞淵:日落之處。

    《淮南子·天文訓》:“日入于虞淵之汜。

    ”懸車:挂起車來,即停車,不再乘坐。

    這二句以日沒比喻人生必然要死。

     [4]造化:天地化生萬物。

    這二句說天地變化,造物主雖然有神明也不能使我久存。

     [5]“形容”二句:這是說人生于世,容顔日趨衰老,齒發日益脫落,表明這是無可避免的自然規律。

     從軍行[1] (魏)左延年[2] 苦哉邊地人,一歲三從軍。

    三子到燉煌,二子詣隴西。

    五子遠鬥去,五婦皆懷身[3]。

     *** [1]《從軍行》:據《樂府詩集》引《古今樂錄》所載宋齊間人王僧虔說,西晉時荀勖所錄的《從軍行》,即用左延年這首《苦哉》。

    後來陸機、顔延之的拟作,似皆模仿左延年此首。

    但這一首在《樂府詩集》中并非作正文收入,而是從《樂府廣題》中轉引的。

    據《初學記》卷二十二載有左延年《從軍詩》曰:“從軍何等樂,一驅乘雙駁。

    鞍馬照人白,龍骧自動作。

    ”這雖不一定是全文,卻也說明左延年的《從軍行》大約不止一首。

    不過對曆代詩人影響較大的,隻有此首。

    如杜甫《石壕吏》“三男邺城戍”以下一段,顯然受此詩影響。

     [2]左延年:籍貫不詳,據《晉書·樂志》記載,他曾經于三國魏黃初(220—226)、太和(227—232)年間任樂官,參加制定樂律的問題。

    他現存作品中還有《秦女休行》一首,和本詩一樣,都較質樸,近于民歌。

     [3]懷身:懷孕。

     秦女休行[1] (魏)左延年 始出上西門[2],遙望秦氏廬。

    秦氏有好女,自名為女休。

    休年十四五,為宗行報雠。

    左執白楊刃,右據宛魯矛[3]。

    雠家便東南,仆僵秦女休[4]。

    女休西上山,上山四五裡。

    關吏呵問女休[5]。

    女休前置詞:平生為燕王婦,于今為诏獄囚[6]。

    平生衣參差,當今無領襦[7]。

    明知殺人當死。

    兄言怏怏,弟言無道憂[8]。

    女休堅詞:“為宗報仇死不疑。

    ”殺人都市中,徼我都巷西[9]。

    丞卿羅東向坐,女休凄凄曳梏前[10]。

    兩徒夾我持刀,刀五尺馀,刀未下,朣胧擊鼓赦書下[11]。

     *** [1]《秦女休行》:此詩與晉傅玄同題所記龐娥事大略相同。

    詩中所述故事在當時可能相當流行。

    但說“平生為燕王婦”,不知是何代事,疑為民間故事,未必真為“燕王婦”。

     [2]上西門:洛陽城西頭從南數起第三個城門,亦稱闾阖門。

     [3]白楊刃:即白羊子刀。

    一說白亮而尖利形為柳葉。

    宛魯矛:古代有名的矛。

    一說宛(今河南南陽)所産。

     [4]“雠家”二句:雠家見秦女休來,便逃向東南,但仍倒斃于秦女休之手。

    後一句是倒裝句,言為秦女休所“仆僵”。

     [5]呵:責問。

     [6]燕王婦:燕王妻,不詳為何代。

    诏獄囚:皇帝欽定獄案的囚犯。

     [7]參差:不齊,這裡指多。

    襦:短襖。

     [8]怏(yànɡ鞅)怏:不高興。

    無道憂:沒有可憂之理。

    這二句是說兄怕殺人有罪,弟則以報仇為無罪。

     [9]徼(jiào較):捉拿。

     [10]曳(yè業):拖着。

    梏(ɡù顧):古代木制的手铐。

     [11]朣胧(tónɡlónɡ童龍):形容鼓聲。

     吳鼓吹曲[1](十二首選二) (吳)韋昭[2] 漢之季[3] 漢之季,董卓亂。

    桓桓武烈應時運[4]。

    義兵興,雲旗建。

    厲六師,羅八陣。

    飛鳴镝[5],接白刃。

    輕騎發,介士奮。

    醜虜震,使衆散[6]。

    劫漢主,遷西館[7]。

    雄豪怒,元惡偾[8]。

    赫赫皇祖功名聞。

     秋風[9] 秋風揚沙塵,寒露沾衣裳。

    角弓持弦急:鸠鳥化為鷹[10]。

    邊垂飛羽檄[11],寇賊侵界疆。

    跨馬披介胄[12],慷慨懷悲傷。

    辭親向長路,安知存與亡。

    窮達固有分,志士思立功。

    思立功,邀之戰場。

    身逸獲高賞,身沒有遺封[13]。

     *** [1]《吳鼓吹曲》:三國時吳國的《鼓吹曲》,凡十二首。

    文體與《魏鼓吹曲》很相像,大約是吳國統治者知道缪襲所作後,命令韋昭仿作的。

    其中二首述孫權父孫堅事,第三首以下述孫權事。

    可能作于孫權死去(252)以前或以後不久。

     [2]韋昭(214—273):字弘嗣,吳郡雲陽(今江蘇丹陽)人。

    三國吳學者,文學家。

    初為吳丞相掾,遷太子中庶子,曾作《博弈論》。

    孫皓時,官至侍中,以規谏得罪,下獄死。

    曾注《國語》傳世。

    《隋書·經籍志》謂梁代有《韋昭集》二卷,佚。

     [3]《漢之季》:漢獻帝初平元年(190),各地将領起兵讨伐董卓時,孫堅曾率兵與董卓作戰。

    董卓曾要求與孫堅聯和,孫堅不許。

    後董卓退兵,孫堅率先進入洛陽。

     [4]桓桓:威嚴的樣子。

    武烈:即孫堅。

    孫權稱帝,追尊孫堅為武烈皇帝。

    應時運:謂應天命而興起。

     [5]鳴镝:響箭。

     [6]使衆散:按:董卓是自動撤軍,并未被擊潰。

    詩中故意誇大孫堅戰功。

     [7]“劫漢主”二句:指董卓迫脅漢獻帝西遷長安。

     [8]偾(fèn忿):本意為跌倒。

    這裡指董卓之死。

    董卓退至長安後,被王允用計讓呂布把他殺死。

     [9]《秋風》:這是《吳鼓吹曲》的第五首,以代《漢铙歌》的《擁離》。

    此詩歌頌吳國軍人立功邊境的壯心,頗有後來邊塞詩的意味。

    此詩文體基本上屬于五言,和《魏鼓吹曲》第八首《平南荊》十分相似。

     [10]鸠鳥化為鷹:比喻柔弱的人變為剛強。

    《禮記·月令》說“仲春之月”(陰曆二月),“鷹化為鸠”。

    鄭玄注:“鸠,播谷也。

    ”《世說新語·方正》:“雖陽和布氣,鷹化為鸠”即此意。

    本詩反其意而用之。

     [11]羽檄:告急的公文。

    古代有緊急軍情,寫在一尺二寸木簡上,插上羽毛,以示須火急遞送。

     [12]介:铠甲。

    胄(zhòu晝):盔,古人作戰時帶的帽子。

     [13]身逸:指戰士平安回家。

    遺封:指朝廷撫恤陣亡将士,以封爵賞賜遺屬。

    這兩句是鼓勵人們勇敢作戰。

     豫章行苦相篇[1] (西晉)傅玄[2] 苦相身為女,卑陋難再陳[3]。

    男兒當門戶,堕地自生神。

    雄心志四海,萬裡望風塵。

    女育無欣愛,不為家所珍[4]。

    長大逃深室,藏頭羞見人,垂淚适他鄉,忽如雨絕雲[5]。

    低頭和顔色,素齒結朱唇[6]。

    跪拜無複數,婢妾如嚴賓。

    情合同雲漢,葵藿仰陽春[7]。

    心乖甚水火,百惡集其身[8]。

    玉顔随年變,丈夫多好新。

    昔為形與影,今為胡與秦。

    胡秦時相見,一絕逾參辰[9]。

     *** [1]《豫章行苦相篇》:《相和歌辭·清調曲》之一。

    據《樂府詩集》卷三十四引《古今樂錄》載王僧虔語,謂“《荀錄》所載古《白楊》一篇,今不傳”。

    疑不傳者是曲調,但“晉樂所奏”《豫章行·白楊》一首,雖文字殘缺,當載《樂府詩集》中。

    《白楊》内容為樹木生豫章山中,為人砍伐,建造舟船、宮室,使枝葉與根分離。

    其後曹植曾拟作兩首,講古人窮達的事。

    傅玄這首則寫封建社會婦女受歧視的情況及其悲慘命運。

    文字質樸,多用白描手法。

     [2]傅玄(217—278):字休奕,北地泥陽(今陝西耀縣)人。

    三國時仕魏為郎中,曆弘農太守、典農校尉等官,封鹑觚男。

    司馬炎代魏,進封子爵,官至太仆、司隸校尉,曾多次上奏政事,著有《傅子》及《傅子集》五十卷,今佚。

    明人輯有《傅鹑觚集》。

    他擅長樂府,拟作樂府詩甚多,詩風較質樸,多保存民歌色彩,内容偏于哀惋,反映的社會現實較廣。

     [3]苦相:作者虛拟的人名,借此表示婦女的苦難。

    卑陋:當指地位卑微。

     [4]“男兒”六句:寫當時男子出生時即被重視,父母就希望他能立下大志,建功萬裡。

    這種重男輕女的思想,早在《詩經·小雅·斯幹》中就有男子生下來即望其“朱芾斯皇,室家君王”;生了女子卻隻說“無非無儀,唯酒食是議,無父母诒罹”的思想。

    傅玄生在魏晉時代對此表示不滿,頗具卓見。

     [5]“垂淚”句:指長大後遠嫁到異地。

    “忽如”句:比喻女子出嫁後,像雨滴從雲層中落下,從此成了别家的人。

     [6]“素齒”句:寫女子出嫁後不敢随便說話。

    牙齒藏在唇内,形容其不敢啟齒。

     [7]雲漢:銀河。

    這裡借喻天上的牛郎織女星。

    這兩句比喻女子如和丈夫情投意合,也如牛郎織女,不能常聚,而且女子之對丈夫,也隻是如葵藿的仰望陽光,尊卑懸絕。

     [8]心乖:指男子變了心。

    這兩句是說一旦男子變心,各種罪名都強加到女子身上。

     [9]胡:北方少數民族。

    秦:指漢族。

    胡與秦言地域、種族不同。

    參辰:指天上的參星和商星。

    這兩個星一個升起時,另一個就降落,不能同時見于天空。

    故以此比喻不相見。

    《文選》陸士龍(雲)《答兄機詩》五臣呂向注:“商,辰星也。

    ” 董逃行曆九秋篇[1] (西晉)傅玄[2] 曆九秋兮三春,遺貴客兮遠賓[3],顧多君心所親。

    乃命妙妓才人,炳若日月星辰[4]。

    (其一)序金罍兮玉觞,賓主遞起雁行,杯若飛電絕光[5]。

    交觞接卮結裳,慷慨歡笑萬方。

    (其二)奏新詩兮夫君,爛然虎變龍文,渾如天地未分[6]。

    齊讴楚舞紛紛,歌聲上激青雲。

    (其三)窮八音兮異倫,奇聲靡靡每新,微披素齒丹唇。

    逸響飛薄梁塵,精爽眇眇入神[7]。

    (其四)坐鹹醉兮沾歡,引樽促席臨軒,進爵獻壽翻翻[8]。

    千秋要君一言[9],願愛不移若山。

    (其五)君恩愛兮不竭,譬若朝日夕月,此景萬裡不絕。

    長保初醮結發,何憂坐生胡越[10]。

    (其六)攜弱手兮金環,上遊飛閣雲間,穆若鴛鳳雙燕[11]。

    還幸蘭房自安,娛心樂意難原[12]。

    (其七)樂既極兮多懷,盛時忽逝若頹,寒暑革禦景回[13]。

    春榮随風飄摧,感物動心增哀。

    (其八)妾受命兮孤虛[14],男兒堕地稱姝[15],女弱難存若無。

    骨肉至親更疏,奉事他人托軀。

    (其九)君如影兮随形,賤妾如水浮萍,明月不能常盈。

    誰能無根保榮,良時冉冉代征。

    (其十)顧繡領兮含輝,皎日回光則微[16],朱華忽示漸衰。

    影欲舍形高飛,誰言往思可追[17]。

    (其十一)荠與麥兮夏零,蘭桂踐履逾馨,祿命懸天難明。

    妾心結意丹青,何憂君心中傾[18]。

    (其十二) *** [1]《董逃行曆九秋篇》:《董逃行》,本《相和歌辭·清調曲》。

    《後漢書·五行志》雲:“靈帝中平中,京都歌曰:‘承樂世董逃,遊四郭董逃,蒙天恩董逃,帶金紫董逃,行謝恩董逃,整車騎董逃,垂欲發董逃,與中辭董逃,出西門董逃,瞻宮殿董逃,望京城董逃,日夜絕董逃,心摧傷董逃。

    ’案:‘董’謂董卓也,言雖跋扈縱其殘暴,終歸逃竄至于滅族也。

    ”李賢注引《風俗通》還講到了董卓禁絕此歌的事。

    黃節先生《漢魏樂府風箋》卷三引吳旦生說,以為“樂府原題謂《董逃行》,作于漢武之時。

    蓋武帝有求仙之興,董逃者,古仙人也”。

    但後人所作《董逃行》,内容各各不同,今存古辭《董逃行》(“吾欲上谒從高山”)一首,内容為求仙,或與吳旦生說相近。

    至于以“董逃”為指董卓事,當出附會,不可信。

    至于傅玄的《曆九秋篇》,寫的是婦女自恐年老色衰,被丈夫遺棄的心情。

    與求仙及董卓事皆無關系。

     [2]傅玄:逯欽立《先秦漢魏晉南北朝詩》雲:“《詩紀》作《董逃行曆九秋篇》十二首。

    六言。

    并注雲:‘《玉台新詠》以前十首作梁簡文帝。

    今從樂府并為玄詩。

    ’《選詩拾遺》曰:‘《樂錄》雲傅玄作。

    據《文選注》引之,以為漢古辭也。

    ’”但今所見各本《玉台新詠》均未将前十首與後二首分開;亦不言前十首為梁簡文帝作。

    吳兆宜注謂“一本以前十首作簡文帝”,疑是明代有此種版本。

    又,《選詩拾遺》據《文選注》謂漢代古辭說。

    按:《文選》卷二十二沈約《宿東園》詩注引《古董逃行》雲:“年命冉冉我遒。

    ”與此詩“良時冉冉代征”文字不同,且“征”字與上文“盈”字為韻,恐《文選注》所引佚句,并非出于本詩。

    故仍作傅玄詩。

     [3]九秋、三春:皆指較長的時間,“九”與“三”皆非确數,詳見清汪中《釋三九》。

    遺:一作“分遣”。

    按:“遺”一音“随(suí)”,作“謙以下人”解,似與文義較近。

     [4]“乃命”二句:意謂“妙妓才人”容貌豔麗,光彩照人,如同“日月星辰”。

     [5]“賓主”二句:意謂賓主在宴會上依次起身敬酒,彼此都很快地喝幹,酒壺(罍)和酒杯(觞)傳遞得飛快,猶如閃電一樣。

    “雁行”:謂有次序而行。

     [6]“奏新詩兮”句:奏,進獻。

    這句說向夫君進獻新詩。

    “爛然”句:《周易·革卦·象傳》:“大人虎變,其文炳也。

    ”班固《東都賦·寶鼎詩》:“煥其炳兮被龍文。

    ”這句是說“新詩”的文采絢爛。

    “渾如”句:這句是說夫君渾然不悟。

     [7]逸響:飄逸超群的樂聲。

    薄:迫,近。

    飛薄梁塵:形容樂聲美妙動人。

    《藝文類聚》卷四十三引劉向《别錄》雲:“漢興以來,善雅歌者,魯人虞公,發聲清哀,蓋動梁塵。

    ”精爽:這裡指音樂的神妙。

    眇眇:指精微。

     [8]促席:古人席地而坐,把坐席互相移近。

    曰“促席”。

    翻翻:意同“翩翩”,往來的樣子。

     [9]要:約的意思。

    這句說要求你永久記住一句話。

     [10]初醮結發:醮(jiào較),古代婚禮時,雙方父親各自給新郎和新娘斟酒。

    結發:古人成年時要結發。

    相傳為蘇武所作的《留别妻》詩:“結發為夫妻”。

    這句是說希望丈夫長保新婚時的感情。

    胡越:本指遠在南方(越)和北方(胡)的少數民族地區。

    這裡代指恩情隔絕。

     [11]穆:和好。

     [12]原:推究、測度。

     [13]革禦:指改變節令。

    景:指太陽。

    回:轉向。

     [14]孤虛:古代人迷信某些時日出生的人,命屬“孤”、“虛”,就命運不好。

     [15]姝:各本一作“珠”,一作“殊”。

    按此詩文義,似作“殊”為佳。

    《詩經·小雅·斯幹》寫到“乃生男子”時雲“其泣喤喤,朱芾斯皇,家家君王”,正指“男兒堕地稱殊”。

    “殊”,有特出之意。

    《樂府古辭·陌上桑》:“皆言夫婿殊”。

     [16]“顧繡領”二句:是說繡衣領子上被陽光照射發出光輝,但太陽下山後光彩就減弱,形容年光消逝,容貌即随着衰歇。

     [17]“影欲”二句:這兩句承上“君如影兮随形”而來,以“影”喻夫,以“形”自喻。

    往思,指往日情義。

     [18]丹青:指女子的心意如圖畫(丹青)一樣清楚明白。

    傾:傾斜。

    這裡指變心。

     秋胡行[1](二首選一) (西晉)傅玄 其二 秋胡納令室[2],三日官他鄉。

    皎皎潔婦姿,泠泠守空房[3]。

    燕婉不終夕,别如參與商[4]。

    憂來猶四海,易感難可防。

    人言生日短,愁者苦夜長。

    百草揚春華,攘腕采柔桑[5]。

    索手尋繁枝,落葉不盈筐[6]。

    羅衣翳玉體,回目流采章[7]。

    君子倦仕歸,車馬如龍骧[8]。

    精誠馳萬裡,既至兩相忘。

    行人悅令顔,借息此樹旁。

    誘以逢卿喻,遂下黃金裝[9]。

    烈烈貞女忿,言辭厲秋霜。

    長驅及居室,奉金升北堂。

    母立呼婦來,歡情樂未央。

    秋胡見此婦,惕然懷探湯[10]。

    負心豈不漸,永誓非所望[11]。

    清濁為異源,凫鳳不并翔[12]。

    引身赴長流[13],果哉潔婦腸。

    彼夫既不淑,此婦亦太剛。

     *** [1]《秋胡行》:《相和歌辭·清調曲》之一。

    此曲大約即由“秋胡戲妻”故事得名,但古辭已佚。

    曹操、曹丕等人所作,隻是仿其曲調,内容與秋胡無關。

    現今所見樂府詩中詠秋胡故事的,以傅玄此首為最早。

    此詩據《樂府詩集》卷三十六所載,凡二首,但《玉台新詠》隻采第二首(題為《和班氏詩》),其實傅詩确以第二首為好,所以選取此首。

    此詩與後來顔延之的《秋胡行》各有所長,但顔詩似更細緻而華麗,所以《文選》僅取顔作,而顔詩傳誦程度也超過了此詩。

     [2]令:善,美好。

    室:妻室。

     [3]皎皎:潔白。

    潔婦:貞潔的婦女。

    泠泠(línɡ鈴):清涼。

    這裡引申為寂寞凄涼。

     [4]燕婉:指夫妻恩愛。

    參與商:天上的兩顆星,參星出現時,商星就見不到,反之亦然。

    古人常用此表示闊别。

     [5]攘腕:伸出手腕。

    柔桑:柔嫩的桑葉。

    《詩經·豳風·七月》:“爰求柔桑。

    ” [6]不盈筐:不滿筐。

    《詩經·周南·卷耳》:“不盈傾筐。

    ” [7]翳(yì益):遮蓋。

    采章:文采。

    此處形容目光的娟好。

     [8]龍骧(xiānɡ襄):像龍飛騰一樣快。

     [9]逢卿喻:據《列女傳》載,秋胡曾對妻子說“力田不如逢少年,力桑不如見公卿”。

    遂下黃金裝:指取下行裝中的黃金相贈。

     [10]惕(tì替):小心謹慎。

    探湯:手伸進燙水中。

    比喻戒懼之意。

     [11]“永誓”句:誓稱不敢抱這希望。

     [12]“凫鳳”句:清吳兆宜《玉台新詠注》以為“凫”當作“枭”,其實不必改字。

    “凫”是野鴨,不足與鳳凰相比。

     [13]長流:河水。

     飲馬長城窟行[1] (西晉)傅玄 青青河邊草,悠悠萬裡道。

    草生在春時,遠道還有期。

    春至草不生,期盡歎無聲[2]。

    感物懷思心,夢想發中情[3]。

    夢君如鴛鴦,比翼雲間翔。

    既覺寂無見,曠如參與商[4]。

    河洛自用固,不如中嶽安[5]。

    回流不及反,浮雲往自還[6]。

    悲風動思心,悠悠誰知者。

    懸景無停居,忽如馳驷馬[7]。

    傾耳懷音響[8],轉目淚雙堕。

    生存無會期,要君黃泉下[9]。

     *** [1]《飲馬長城窟行》:這首傅玄的拟作,顯然是取古辭《飲馬長城窟行》的用意,與陳琳之作不同。

    在《樂府詩集》所錄的後人拟作中,效法古辭的較少。

    傅玄的樂府詩中,寫婦女生活的較多,此詩亦屬這一類。

    詩中“曠如參與商”下面,《玉台新詠》卷二所錄,多出“夢君結同心,比翼遊北林;既覺寂無見,曠如商與參”四句。

    但意思與前四句重複。

    今從《樂府詩集》。

     [2]“遠道”句:去遠處的人本來約定歸期。

    聲:音訊。

    這四句是說正如春天一到,草就會生長,到了約定的日期本想征人就會歸來。

    誰知征人到期不歸;正如春天到了草不生長一樣不可理解。

     [3]“夢想”句:因心中想念而發于夢想。

     [4]參與商:見前《豫章行苦相篇》注〔9〕。

     [5]“河洛”二句:河洛指黃河與洛水,這兩條河雖長存不變,但水還是流動的,不及中嶽(嵩山)這樣安穩不變。

     [6]回流:旋轉的流水。

    反:同“返”。

    這兩句說旋渦的水雖回轉仍流去不歸,倒不如浮雲,飄走了有時還能飄回來。

     [7]懸景:挂在天上的太陽。

    忽如馳驷馬:像奔馳的馬那樣迅速流逝。

     [8]懷音響:懷念其人的聲音,實即想念他。

     [9]黃泉下:指死後。

    這四句說側着耳朵聽征人歸來的音訊,卻無所聞,傷心落淚。

    預料活着無法相見,隻能期待死後相見。

     放歌行[1] (西晉)傅玄 靈龜有枯甲,神龍有腐鱗[2]。

    人無千載壽,存質空相因[3]。

    朝露尚移景,促哉水上塵[4]。

    丘冢如履綦,不識故與新[5]。

    高樹來悲風,松柏垂威神[6]。

    曠野何蕭條,顧望無生人。

    但見狐狸迹,虎豹自成群。

    孤雛攀樹鳴,離鳥何缤紛[7]。

    愁子多哀心,塞耳不忍聞。

    長嘯淚雨下,太息氣成雲[8]。

     *** [1]《放歌行》:《相和歌辭·瑟調曲》之一。

    據《樂府詩集》引《歌錄》,則此曲實即《孤兒行》的别名。

    這首傅玄的拟作是哀歎人生短促,對死者表示哀悼,與《孤兒行》不大一樣。

    至于後來鮑照等人的《放歌行》,寫的又是仕途中人對待官爵的問題,與此詩也不相同。

     [2]“靈龜”句:指蔔筮用的靈龜已隻剩枯甲,言其已死。

    “神龍”句:也是說龍亦有死。

    腐鱗就是死的意思。

     [3]質:指軀體。

    司馬遷《報任安書》:“若仆大質已虧損矣。

    ”因:依也。

    這句說軀體雖暫時存在,也隻是徒然寄托着一樣。

     [4]移景:日光移動。

    這兩句說朝露尚待太陽移照到那裡才消失,而人生卻如水上的塵土一樣瞬間就落入水中。

     [5]履:鞋。

    綦(qí其):鞋帶。

    這兩句說冢墓相連,如同鞋與鞋帶那樣緊挨着,分辨不出新墳與舊墳。

     [6]“松柏”句:松柏本是古人種在墳地上的樹木,大風吹來,更顯出死亡的恐怖。

     [7]離鳥:離群的鳥。

    缤紛:繁亂。

     [8]太息:同“歎息”。

    這兩句寫心懷愁思的人見此景象十分傷心。

     白楊行[1] (西晉)傅玄 青雲固非青,當雲奈白雲。

    骥從西北馳來,吾何憶。

    骥來對我悲鳴,舉頭氣淩青雲,當奈此骥正龍形。

    踠足蹉跎長坡下[2]。

    蹇驢慷忾[3],敢與我争馳[4]。

    踯躅鹽車之中[5],流汗兩耳盡下垂。

    雖懷千裡之逸志,當時一得施。

    白雲彯彯[6],舍我高翔。

    青雲徘徊,戢我愁啼[7]。

    上眄增崖[8],下臨清池。

    日欲西移,既來歸君,君不一顧。

    仰天太息,當用生為青雲乎。

    飛時悲當奈何耶!青雲飛乎! *** [1]《白楊行》:《相和歌辭·瑟調曲》之一。

    這首詩是借千裡馬不為人知之苦暗喻不得志。

    此詩取義自賈誼《吊屈原賦》“骥垂兩耳服鹽車兮”典。

     [2]踠(wǎn宛):屈曲。

     [3]慷忾(kài慨):同“慷慨”,這裡指激昂。

     [4]我:指骥。

     [5]踯躅(zhízhú職燭):徘徊不進。

     [6]彯彯(piāo飄):同“飄飄”。

     [7]戢(jí集):停止。

     [8]眄(miàn面):看。

    增崖:同層崖,即高的山崖。

     怨歌行朝時篇[1] (西晉)傅玄 昭昭朝時日,皎皎最明月[2]。

    十五入君門,一别終華發[3]。

    同心忽異離,曠如胡與越[4]。

    胡越有會時,參辰遼且闊[5]。

    形影無仿佛,音聲寂無達。

    纖弦感促柱,觸之哀聲發[6]。

    情思如循環,憂來不可遏。

    塗山有馀恨[7],詩人詠《采葛》[8]。

    蜻蛚吟床下[9],回風起幽闼[10]。

    春榮随路落,芙蓉生木末[11]。

    自傷命不遇,良辰永乖别。

    已爾可奈何[12],譬如纨素裂。

    孤雌翔故巢,星流光景絕。

    魂神馳萬裡,甘心要同穴[13]。

     *** [1]《怨歌行朝時篇》:此詩顯然取班婕妤《怨歌行》而加以發揮。

    但寫的是民間棄婦的生活。

    “朝時篇”當取首句中二字作為篇名。

     [2]朝時:早上。

    這兩句用日月的光明形容自己的心迹。

     [3]華發:同“花發”,即初生白發。

     [4]曠:遠隔。

     [5]參辰:指參星與辰星,兩星此升彼落,永不相遇。

     [6]纖弦:纖細的琴弦。

    這兩句意指彈琴時扣動接近琴柱處,聲音顯得急促,因此使人悲怆。

     [7]塗山:據說禹娶于塗山氏,禹因出門治水,塗山氏想念他,派妾在塗山之陽等他,作歌雲:“候人兮猗。

    ”見《呂氏春秋·音初》。

     [8]采葛:語出《詩經·王風·采葛》:“被采葛兮,一日不見,如三月兮。

    ” [9]蜻蛚(jīnɡliè精列):蟋蟀。

     [10]回風:旋轉的風。

     [11]春榮:春天的花。

    芙蓉:荷花。

    木末:樹頂上。

    屈原《九歌·湘君》:“搴芙蓉兮木末。

    ” [12]已爾:完了。

     [13]要:約。

    同穴:死後合葬。

     秦女休行[1] (西晉)傅玄 龐氏有烈婦,義聲馳雍涼[2]。

    父母家有重怨,仇人暴且強。

    雖有男兄弟,志弱不能當。

    烈女念此痛,丹心為寸傷[3]。

    外若無意者,内潛思無方。

    白日入都市,怨家如平常[4]。

    匿劍藏白刃,一奮尋身僵[5]。

    身首為之異處,伏屍列肆旁[6]。

    肉與土合成泥,灑血濺飛梁。

    猛氣上幹雲霓,仇黨失守為披攘[7]。

    一市稱烈義,觀者收淚并慨忼。

    百男何當益,不如一女良。

    烈女直造縣門,雲父不幸遭禍殃。

    今仇身以分裂,雖死情益揚。

    殺人當伏法,義不苟活隳舊章[8]。

    縣令解印绶,令我心傷不忍聽[9]。

    刑部垂頭塞耳,令我吏舉不能成[10]。

    烈著希代之績[11],義立無窮之名。

    夫家同受其祚[12],子子孫孫,鹹享其榮。

    今我弦歌,吟詠高風,激揚壯發悲且清。

     *** [1]《秦女休行》:這是傅玄拟左延年《秦女休行》之作,疑龐娥是當時實有其人,因與秦女休故事相似,所以傅玄仿左詩另作此篇加以歌頌。

     [2]雍涼:古代的州名,即雍州和涼州。

    在今陝西、甘肅一帶。

     [3]丹心:紅心。

    寸傷:傷心而寸斷,形容痛苦。

     [4]無方:形容思慮之深。

    如平常:不防備,像往時一樣。

     [5]奮:勇猛一擊。

    尋:馬上。

    這句指龐娥奮身挺劍,怨家立即倒斃。

     [6]肆:店鋪。

     [7]幹:犯,直沖。

    披攘:同披靡,驚惶奔亂。

     [8]隳(huī揮):破壞。

     [9]绶:印帶。

    這兩句說縣令解去印绶,自稱不忍聽此事,表示不願把龐娥治罪。

     [10]舉:舉發犯人罪行。

     [11]希代:即“希世”,世所少有。

     [12]祚(zuò作):福佑。

     吳楚歌[1] (西晉)傅玄 燕人美兮趙女佳,其室則迩兮限層崖[2]。

    雲為車兮風為馬,玉在山兮蘭在野。

    雲無期兮風有止,思心多端兮誰能理。

     *** [1]《吳楚歌》:《玉台新詠》卷九作《燕人美篇》;《樂府詩集》卷八十三作《吳楚歌》,以為是《雜歌謠辭》。

     [2]其室則迩:語出《詩經·鄭風·東門之(shàn善)》:“其室則迩,其人則遠。

    ”層崖:高的山崖。

     明月篇[1] (西晉)傅玄 皎皎明月光,灼灼朝日晖。

    昔為春蠶絲,今為秋女衣。

    丹唇列素齒,翠彩發蛾眉[2]。

    嬌子多好言,歡合易為姿。

    玉顔盛有時,秀色随年衰。

    常恐新間舊,變故興細微[3]。

    浮萍本無根,非水将何依。

    憂喜更相接,樂極還自悲。

     *** [1]《明月篇》:這首詩寫婦女擔心年老色衰。

     [2]翠彩:青色顔料,古人用以畫眉。

     [3]“變故”句:因小事而引起變故。

     輕薄篇[1] (西晉)張華[2] 末世多輕薄,驕代好浮華。

    志意既放逸,資财亦半奢。

    被服極纖麗,肴膳盡柔嘉。

    僮仆馀粱肉,婢妾蹈绫羅。

    文軒樹羽蓋,乘馬鳴玉珂[3]。

    橫簪刻玳瑁,長鞭錯象牙[4]。

    足下金履,手中雙莫邪[5]。

    賓從煥絡繹,侍禦何芳葩[6]。

    朝與金張期,暮宿許史家[7]。

    甲第面長街,朱門赫嵯峨。

    蒼梧竹葉清,宜城九醖醝[8]。

    浮醪随觞轉,素蟻自跳波[9]。

    美女興齊趙,妍唱出西巴[10]。

    一顧傾城國,千金不足多。

    北裡獻奇舞,大陵奏名歌[11]。

    新聲逾《激楚》,妙妓絕陽阿[12]。

    玄鶴降浮雲,魚躍中河[13]。

    墨翟且停車,展季猶咨嗟[14]。

    淳于前行酒,雍門坐相和[15]。

    孟公結重關,賓客不得蹉[16]。

    三雅來何遲,耳熱眼中花[17]。

    盤案互交錯,坐席鹹喧嘩。

    簪珥或堕落,冠冕皆傾邪。

    酣飲終日夜,明燈繼朝霞。

    絕纓尚不尤,安能複顧他[18]。

    留連彌信宿[19],此歡難可過。

    人生若浮寄,年時忽蹉跎。

    促促朝露期,榮樂遽幾何。

    念此腸中悲,涕下自滂沱。

    但畏執法吏,禮防且切磋[20]。

     *** [1]《輕薄篇》:這是揭露富貴人家的奢侈享樂生活之詩。

    西晉初年統治者安于逸樂享受,這在《晉書》和《世說新語》等書中多有記載。

    張華此詩寫的就是這一現實。

     [2]張華(232—300):字茂先,範陽方城(今河北固安人)。

    仕魏,為太常博士、中書郎等職,曾以《鹪鹩賦》為阮籍所稱賞。

    入晉,為中書令,力主滅吳。

    惠帝時官至司空,輔政,後為趙王司馬倫所害。

    著有《博物志》,明人輯有《張司空集》。

     [3]文軒:裝飾文采的車子。

    珂(kē苛):一種玉。

     [4]錯:鑲嵌。

     [5]金履:即以金箔裝飾的鞋。

    “”同“箔”。

    莫邪:寶劍名。

     [6]芳葩:體态豔麗,服飾華美。

     [7]金張:指西漢金日(mìdī密低),張安世二人,世代貴顯。

    許史:指西漢宣帝祖母史氏和妻族許氏,世代貴顯。

    這兩句是說輕薄子們來往于權貴、外戚之門。

     [8]蒼梧:郡名,在今廣西一帶。

    竹葉青:酒名。

    宜城:地名在今河南。

    九醖醝(cuō搓):酒名。

     [9]醪(láo牢):醇酒。

    素蟻:浮在酒上的白色渣滓。

     [10]西巴:今四川東部叫“巴”,當地歌曲很有名。

    因在巴山之西,故稱“西巴”。

     [11]北裡:商纣時有北裡之舞,是靡靡之音,見《史記·殷本紀》。

    大陵:據《史記·趙世宗》載,趙武靈王遊大陵,曾夢見一個女子唱歌。

     [12]《激楚》:古代曲名。

    陽阿:古代名娼。

     [13]玄鶴:據《韓非子·十過篇》載,晉平公使師曠奏樂,就有玄鶴飛來,後引來大風及災難。

    (xún浔):即“鲟”,魚名。

    這句用《荀子·勸學篇》“昔瓠巴鼓瑟而沉魚出聽”的典故。

     [14]墨翟:墨子。

    展季:即柳下惠。

    《墨子》有《非樂篇》;柳下惠據《毛詩·小雅·巷伯傳》載,他見女色而不動心。

    這裡反用其意,說墨翟和柳下惠都要停車欣賞、稱歎不已。

     [15]淳于:指戰國人淳于髡,《史記·滑稽列傳》載他曾向齊王講侍宴時“奉觞上壽”之語。

    雍門:據《說苑·善說篇》載,雍門君曾彈琴使孟嘗君大哭。

     [16]孟公:指西漢陳遵,字孟公,性嗜酒,請客時關了門,客人不醉不準回去。

    蹉:通過。

     [17]三雅:古代的爵杯。

    據《太平禦覽》卷八四五引曹丕《典論》說,劉表有三個爵杯,大的叫“伯雅”,中的叫“仲雅”,小的叫“季雅”。

    這兩句說喝醉了耳熱眼花。

     [18]絕纓:指楚莊王夜間飲酒,衛士調戲侍女,侍女摘去他的冠纓。

    事見《說苑》及《韓詩外傳》。

    尤:怪罪。

     [19]信宿:一宿叫宿,再宿叫信。

     [20]切磋:商讨,研究。

    這兩句是叫人好好考慮不要犯禮法。

     遊俠篇 (西晉)張華 翩翩四公子[1],濁世稱賢明。

    龍虎方交争,七國并抗衡[2]。

    食客三千馀,門下多豪英。

    遊說朝夕至,辯士自從橫[3]。

    孟嘗出東關,濟身由雞鳴[4]。

    信陵西反魏,秦人不窺兵[5]。

    趙勝南詛楚,乃與毛遂行[6]。

    黃歇北适秦,太子還入荊[7]。

    美哉遊俠士,何以尚四卿。

    我則異于是,好古師老彭[8]。

     *** [1]四公子:指戰國時孟嘗君、平原君、信陵君和春申君。

     [2]七國:指戰國七雄。

     [3]從橫:指無拘束地逞其才能。

     [4]“孟嘗”句:指孟嘗君出函谷關,依靠門客學雞啼聲,關吏才開關放行。

     [5]“信陵”句:信陵君救趙後,留居趙國,後秦攻魏急,魏王召信陵君歸,秦兵不敢再伐魏。

     [6]趙勝:即平原君。

    秦兵攻趙都邯鄲,平原君至楚求救,靠毛遂說楚王,楚兵才出動。

    詛(zǔ阻):以禍福之言在神前相約結。

     [7]黃歇:即春申君。

    他曾遊說秦王,使楚太子得以還楚。

    荊:楚國别名。

     [8]老彭:古賢人名。

    《論語·述而》記孔子曾說“竊比我于老彭”的話。

     壯士篇[1] (西晉)張華 天地相震蕩,回薄不知窮[2]。

    人物禀常格,有始必有終[3]。

    年時俛仰過,功名宜速崇[4]。

    壯士懷憤激,安能守虛沖[5]。

    乘我大宛馬,撫我繁弱弓[6]。

    長劍橫九野,高冠拂玄穹[7]。

    慷慨成素霓,嘯吒起清風[8]。

    震響駭八荒,奮威曜四戎[9]。

    濯鱗滄海畔[10],馳騁大漠中。

    獨步聖明世,四海稱英雄。

     *** [1]《壯士篇》:這首詩表現了張華建功立業的雄心。

    屬《雜曲歌辭》。

     [2]“天地”二句:這兩句化用賈誼《鳥賦》中“萬物回薄兮,振蕩相轉”句意,是說天地間陰陽二氣互相振蕩,促使萬物循環變化,無有窮盡。

     [3]“人物”句:意思說人和事物天生有其通常的規律。

    “始”和“終”包括開端或出生及終了或死亡。

     [4]俛:同“俯”。

    “年時”句:人的一生轉瞬即會消逝。

    崇:高盛。

    “功名”句:應及早建立功名。

     [5]虛沖:虛靜恬淡。

     [6]大宛:漢時西域國名,出名馬,漢武帝派李廣利攻大宛,得良馬。

    繁(pó婆)弱:古代大弓。

     [7]九野:九天。

    長劍橫九野:此句化用宋玉《大言賦》“長劍耿耿倚天外”句意。

    玄穹:天空。

     [8]素霓:見前曹植《五遊》注〔3〕。

    吒(zhà詐):同“咤”,生氣大叫。

     [9]八荒:八方。

    四戎:四方各國。

     [10]“濯鱗”句:這句用《莊子·逍遙遊》和宋玉《對楚王問》中的大魚“鲲”(kūn昆)自比。

     王明君[1] (西晉)石崇[2] 我本漢家子,将适單于庭[3]。

    辭決未及終,前驅已抗旌[4]。

    仆禦涕流離,轅馬悲且鳴。

    哀郁傷五内,泣淚沾朱纓[5]。

    行行日已遠,遂造匈奴城。

    延我于穹廬,加我阏氏名[6]。

    殊類非所安,雖貴非所榮[7]。

    父子見陵辱,對之慚且驚[8]。

    殺身良不易,默默以苟生。

    苟生亦何聊,積思常憤盈[9]。

    願假飛鴻翼,棄之以遐征[10]。

    飛鴻不我顧,伫立以屏營[11]。

    昔為匣中玉,今為糞上英[12]。

    朝華不足歡,甘與秋草并[13]。

    傳語後世人,遠嫁難為情[14]。

     *** [1]《王明君》:《相和歌辭·吟歎曲》之一。

    “明君”即昭君。

    《文選》和《玉台新詠》所載,均附有序言說:“王明君者,本是王昭君,以觸文帝諱,故改之。

    匈奴盛,請婚于漢,元帝以後宮良家子明君配焉。

    昔公主嫁烏孫(指漢武帝以江都公主嫁西域烏孫國王),令琵琶馬上作樂,以慰其道路之思。

    其送明君,亦必爾也。

    其造新曲,多哀怨之聲,故叙之于紙雲爾。

    ”據說在漢代時本有舊曲,但晉樂所奏的這首歌辭是石崇所改寫的。

     [2]石崇(249—300):字季倫,勃海南皮(今屬河北)人。

    初任修武令,遷城陽太守、荊州刺史等職。

    因劫掠商人緻富,生活奢華,曾為西晉權臣賈谧的“二十四友”之一。

    後為趙王司馬倫所殺。

    有集六卷,今佚。

     [3]适:去往。

    單于(chányú蟬于):匈奴君主的名号。

    單于庭:單于會見各部首領及祭祠之處。

     [4]抗旌:舉起旗幟。

    “辭訣”二句:是說和相送者道别還未結束,前面開道的人已舉旗要出發了。

     [5]五内:五髒(zànɡ葬)。

    朱纓:紅色的系冠帶子。

    按:《玉台新詠》作“珠纓”,王昭君系女性,恐作“珠”更好。

     [6]穹廬:遊牧民族所住的帳蓬,如今蒙古包。

    阏氏(yānzhī煙支):匈奴君主的妻子稱“阏氏”。

     [7]殊類:不同的種族。

    這兩句說自己不能安于和不同種族的人共居,因此不以“阏氏”的尊号為榮。

     [8]“父子”二句:匈奴的習俗是父死後兒子以後母為妻。

    所以說父子都來淩辱自己,對此羞慚且驚懼。

     [9]“殺身”四句:是說自己下不了殺身的決心,隻能沉默苟求生存。

    但偷生亦非所甘願,常常積郁着悲憤。

     [10]遐征:往遠方去。

    這是寫昭君幻想乘鳥遠飛。

     [11]伫(zhù住):長時間站着。

    屏營:惶恐。

     [12]英:花。

     [13]“朝華”二句:是說昔日在漢的榮華已過去,情願像秋草一樣枯死。

     [14]“遠嫁”句:意謂遠嫁異鄉使人感情上難以自處。

     思歸引[1] (西晉)石崇 思歸引,歸河陽[2],假餘翼,鴻鶴高飛翔[3]。

    經芒阜,濟河梁[4],望我舊館心悅康。

    清渠激,魚彷徨,雁驚泝波群相将[5],終日周覽樂無方。

    登雲閣,列姬姜[6]。

    拊絲竹,叩宮商[7]。

    宴華池,酌玉觞。

     *** [1]《思歸引》:《文選》石崇《思歸引序》:“餘少有大志,誇邁流俗,弱冠登朝,曆位二十五年,年五十,以事去官。

    晚節更樂放逸,笃好林薮,遂肥遁于河陽别業。

    ”據此則此詩當作于石崇五十歲即惠帝元康八年(公元298年)左右。

    《思歸引》在《樂府詩集》中列入《琴曲歌辭》。

    《琴曲歌辭》是配合古琴演奏時唱的歌詞。

    在《樂府詩集》中凡四卷,收唐虞至隋唐琴曲,其中不少是僞托。

    其中有蔡琰《胡笳十八拍》一首,多數學者認為非蔡琰作,創作時代難定,故未錄。

     [2]河陽:在洛陽以北,黃河北岸。

     [3]假:借。

    這兩句說希望借來羽翼,像鴻鶴一樣飛回去。

     [4]濟河梁:渡過河橋。

     [5]群:指雁群。

    将:扶持。

     [6]姬姜:周代貴族多姓“姬”和“姜”,各國諸侯多娶這二姓。

    後來代指貴族名家婦女。

    這裡指侍妾。

     [7]拊(fǔ撫):拍。

    叩:拍打。

    宮商:本古代五音中的二音名,這裡指樂聲。

     挽歌[1](三首) (西晉)陸機[2] 其一 蔔擇考休貞,嘉命鹹在茲[3]。

    夙駕警徒禦,結辔頓重基[4]。

    龍被廣柳[5],前驅矯輕旗[6]。

    殡宮何嘈嘈,哀響沸中闱[7]。

    闱中且勿喧,聽我《薤露》詩[8]。

    死生各異倫,祖載當有時[9]。

    舍爵兩楹位[10],啟殡進靈[11]。

    飲餞觞莫舉[12],出宿歸無期[13]。

    帷袵曠遺影,棟宇與子辭[14]。

    周親鹹奔湊[15],友朋自遠來。

    翼翼飛輕軒,骎骎策素骐[16]。

    按辔遵長薄,送子長夜台[17]。

    呼子子不聞,泣子子不知。

    歎息重榇側,念我疇昔時[18]。

    三秋猶足收,萬世安可思[19]。

    殉殁身易亡,救子非所能[20]。

    含言言哽咽,揮涕涕流離[21]。

     其二 流離親友思,惆怅神不泰[22]。

    素骖伫軒,玄驷骛飛蓋[23]。

    哀鳴興殡宮,回遲悲野外[24]。

    魂輿寂無響,但見冠與帶[25]。

    備物象平生,長旌誰為旆[26]。

    悲風徽行軌,傾雲結流藹[27]。

    振策指靈丘,駕言從此逝[28]。

     其三 重阜何崔嵬,玄廬竄其間[29]。

    旁薄玄四極,穹崇效蒼天[30]。

    側聽陰溝湧,卧觀天井懸[31]。

    廣霄何廖廓,大暮安可晨[32]。

    人往有返歲,我行無歸年。

    昔居四民宅[33],今托萬鬼鄰。

    昔為七尺軀,今成灰與塵。

    金玉昔所佩,鴻毛今不振[34]。

    豐肌飨蝼蟻,妍骸永夷泯[35]。

    壽堂延魑魅,虛無自相賓[36]。

    蝼蟻爾何怨,魑魅我何親。

    拊心痛荼毒,永歎莫為陳[37]。

     *** [1]《挽歌》:陸機所作共三首。

    《文選》李善注本和《樂府詩集》都以“重阜何崔嵬”為第二首,而“流離親友思”為第三首;但《文選》六臣注本則以“流離親友思”列為第二首。

    胡克家《考異》雲:“案:尤(指尤袤)所見不同,以文義訂之,當例在上。

    且此句(指“流離親友思”)與第一首末句相承接,尤非,二本(袁本、茶陵本)是也。

    查《陸機集》及《詩紀》所載亦同六臣注本。

    按:這三首詩第一首寫出殡前及出殡路上;第二首寫在墓地會葬情景;第三首設想死者下葬後的感受和心情。

    這次序确較順,故從之。

     [2]陸機(261—303):字士衡,吳郡吳(今江蘇蘇州)人,三國時吳國大将陸遜之孫,陸抗之子。

    陸抗死後,他領父兵,為牙門将。

    晉武帝太康元年(280)滅吳,陸機退居家鄉,閉門讀書近十年。

    後被征至洛陽,為張華所賞識,曆任太子洗馬、著作郎等職。

    惠帝時,發生了“八王之亂”,陸機依附成都王司馬穎,被任平原内史。

    司馬穎派他率兵攻打長沙王司馬乂,在河橋戰敗,為司馬穎所殺。

    陸機詩文以辭藻華麗繁富為特色,與潘嶽齊名,是“太康文學”的代表作家。

    他的詩文據說在梁代有四十七卷,今佚。

    後人輯為十卷,今人金濤聲校點本又附有補遺三卷。

     [3]蔔:占蔔吉時。

    擇:選擇吉地。

    考:稽查。

    休:美好。

    命:同“名”。

    古代人婚喪等事都要求吉利,因此對“名”(時日、地名等)很重視。

    這兩句說經過占蔔擇定吉祥時地為死者下葬。

     [4]夙:清早。

    警:告誡。

    徒禦:為出殡駕車和服役的人。

    結辔:套好馬的籠頭和缰繩。

    頓:停止。