(二)漢魏西晉文人樂府詩

關燈
“内痛父死,外悲君難”,是真性情的流露。

     [2]祜:福。

    夙:早年。

    罹:遭到。

     [3]三徙教:用《列女傳》記載孟子幼年時,母親為了讓他學好,曾三次遷居的典故。

    過庭語:《論語·季氏》載:有一次孔子曾獨自立于庭中,他兒子孔鯉走過,孔子問他“學過《詩》嗎”?回答說“沒有”,孔子說:“不學《詩》,無以言。

    ”第二次又這樣,孔子問“學過禮嗎”?回答說“沒有”,孔子又說:“不學禮,無以立”。

    這裡上一句說自己缺乏母親的教導,下一句說少了父親的教誨。

    借指曹操父親曹嵩為陶謙所害之事。

     [4]窮:極。

    這裡指痛苦無奈之極。

    怙(hù互):依靠。

    《詩經·小雅·蓼莪》:“無父何怙。

    ”這裡是說自己思念父親之死,痛苦如同肝腸抽裂。

     [5]一介志:用《孟子·萬章上》“非其義也,非其道也,一介不以與人,一介不以取諸人”典故。

    意思說,自己遭到了巨大的家禍,本應回家服喪,但事勢卻辦不到,因為漢獻帝正在遭難。

    所以下句說“是時其能與(欤)”。

     [6]“守窮者”句:處于這困苦之境者,本當辭官過貧賤生活。

    惋(wǎn碗):悲歎。

     [7]于:各本用繁體“於”字。

    按:“於”同“于”。

    《孟子·萬章上》“号泣于旻天”,指呼天而泣也。

    “于”即呼喊。

    “乞活”句:要求救活父親,他哪能活過來見到。

     [8]于:同上“泣涕于悲夫”的“于”字。

    天窮:黃節先生認為“疑‘天穹’之誤”。

     [9]“琅邪”句:琅邪位于今山東南部琅琊山一帶,曹操父曹嵩去官後回到家鄉谯,董卓亂時,避地琅邪,為陶謙殺害。

    琅邪近海,向左(東)傾側,即陷入海中,這是對曹嵩被害地的詛咒。

     [10]“欣公”句:用《谷梁傳·襄公九年》論魯襄公自楚歸國時說“喜之也,緻君者殆其往而喜其反”的典故。

    漢獻帝興平二年(194),獻帝從李傕、郭汜控制下逃出,東歸洛陽。

    曹操準備去迎接保護。

     [11]由:同“猶”。

    這兩句是說雖使人心大快,但仍為之興歎。

    因為獻帝為韓暹、楊奉挾制,曹操奉迎皇帝的懷抱尚不能公然向獻帝表達。

     [12]顯:明白。

    天教:天子的命令。

    緒:殘馀。

    這兩句說執行天子命令的人,莫非是亂離後的殘存者。

     [13]“我願”句:指報家仇及奉迎天子之志何時能實現。

     [14]照:對待。

    光曜:日月。

    釋銜:釋去所懷抱的憂愁。

    這兩句是說自己未能實現報家仇和為國立功之志,将何以對待日月,無以自處。

     步出夏門行[1] (魏)曹操 雲行雨步,超越九江之臯[2]。

    臨觀異同,心意懷遊豫,不知當複何從。

    經過至我碣石[3],心惆怅我東海[4]。

     東臨碣石,以觀滄海。

    水何澹澹,山島竦峙[5]。

    樹木叢生,百草豐茂[6]。

    秋風蕭瑟,洪波湧起。

    日月之行,若出其中,星漢燦爛,若出其裡[7]。

    幸甚至哉!歌以詠志[8]。

     孟冬十月,北風徘徊[9]。

    天氣肅清,繁霜霏霏[10]。

    雞晨鳴[11],鴻雁南飛。

    鸷鳥潛藏,熊羆窟栖[12]。

    錢镈停置,農收積場[13]。

    逆旅整設,以通賈商[14]。

    幸甚至哉!歌以詠志。

     鄉土不同,河朔隆寒。

    流澌浮漂,舟船行難[15]。

    錐不入地,蘴深奧[16]。

    水竭不流,冰堅可蹈。

    士隐者貧,勇俠輕非[17]。

    心常歎怨,戚戚多悲。

    幸甚至哉!歌以詠志。

     神龜雖壽,猶有竟時[18]。

    騰蛇乘霧,終為土灰[19]。

    老骥伏枥,志在千裡。

    烈士暮年,壯心不已[20]。

    盈縮之期,不但在天[21]。

    養怡之福,可得永年。

    幸甚至哉!歌以詠志。

     *** [1]《步出夏門行》:《樂府詩集》卷三十七引王僧虔《技錄》雲:“《隴西行》,歌武帝《碣石》(按:即此詩第一解首句)、文帝《夏門》(按:實為魏明帝《步出夏門行》,首句為“步出夏門”)二篇。

    此詩大約是建安十二年(207)曹操乘削平冀州之威,北征烏桓,回來時曾途經碣石時所作。

     [2]“雲行”句:語出《周易·乾·文言》:“雲行雨施。

    ”這裡是借喻行軍迅速。

    九江:指長江中遊的荊州一帶。

    《尚書·禹貢》:“九江孔殷。

    ”荊州在當時為劉表所割據。

    曹操當時曾在繼續北征消滅袁氏殘馀勢力和南讨劉表的問題上猶豫不決,後從郭嘉的建議,才決心北征。

    故下句說“心意懷遊(猶)豫,不知當複何從”。

    臯:水澤。

     [3]碣石:即碣石山,一說在今河北昌黎,又一說在今冀東一帶,已沉于海中。

     [4]“心惆怅”句:意謂望見東方大海而生惆怅之情。

    以上是“豔”(樂曲的前奏)。

     [5]澹澹(dàn淡):水波搖動上下的樣子。

     [6]“樹木”二句:寫遙望海島上草木茂盛。

     [7]漢:天上的銀河。

    這六句寫秋風驟起,波濤湧起以後,海面更顯浩瀚,以至日、月、星辰似乎都在其中。

     [8]“幸甚”二句:疑為譜曲時所加,每解末都有這兩句,并無實意。

     [9]徘徊:風旋轉的樣子。

     [10]霏霏:本下雪的樣子,這裡指霜重。

     [11](kūn昆)雞:一種像鶴的鳥。

     [12]鸷鳥:兇猛的禽鳥。

    窟栖:指熊冬眠藏在洞中。

     [13]錢镈(jiǎnbó剪博):古代的農具名。

    這兩句寫冬天農功完畢,農具收藏起來,收獲的作物堆在場上。

     [14]逆旅:旅舍。

    這兩句寫修整旅舍,以便商人往來。

     [15]“流澌”二句:指河道中浮有冰塊,行船困難。

     [16]蘴(fēnɡ封):同“葑”,蔓菁。

    (lài賴):蒿,草名。

    這兩句寫北方天氣嚴寒,土地堅硬,錐刺不進,隻長着些野生的植物。

     [17]“勇俠”句:好勇尚俠的人輕于做非法之事。

    這是說河朔民風強悍。

     [18]竟:盡。

    這裡說神龜雖長壽,也有命盡之時。

     [19]“騰蛇”句:“騰蛇”即“螣蛇”。

    郭璞《爾雅·釋魚》:“螣,螣蛇。

    ”郭注:“龍類也。

    能興雲霧而遊其中。

    ”“終為”句:亦即死而腐爛的意思。

     [20]枥(lì曆):馬槽。

     [21]盈縮:指生命的長短。

    這兩句是說人的享年久暫,不完全取決于天命。

     卻東西門行[1] (魏)曹操 鴻雁出塞北,乃在無人鄉。

    舉翅萬馀裡,行止自成行。

    冬節食南稻,春日複北翔。

    田中有轉蓬,随風遠飄揚。

    長與故根絕,萬歲不相當[2]。

    奈何此征夫,安得去四方[3]。

    戎馬不解鞍[4],铠甲不離旁。

    冉冉老将至,何時反故鄉。

    神龍藏深泉,猛獸步高岡[5]。

    狐死歸首丘[6],故鄉安可忘。

     *** [1]《卻東西門行》:《相和歌辭·瑟調曲》之一,古辭已無可考。

    《樂府詩集》卷三十七引《古今樂錄》曰:“王僧虔《技錄》雲:‘《卻東西門行》,荀錄所載。

    武帝《鴻雁》一篇,今不傳。

    ’”這裡所謂不傳,當指曲譜,至于歌辭,至今存在。

    後來的拟作者,有時即取曹操詩句為調名,如傅玄《鴻雁生塞北行》。

    這是一首對遠征将士表示同情的詩,後來梁沈約的拟作,即仿此意。

     [2]當:相遇。

     [3]安得:黃節先生認為猶同《荀子·勸學篇》中的“安特”,是語助詞或方言。

    這兩句是說征夫為何要奔走四方。

     [4]戎馬:軍用馬匹。

     [5]泉:疑本作“淵”,唐人繕寫時避唐高祖諱改。

    《荀子·勸學篇》:“積水成淵,蛟龍生焉。

    ”猛獸:疑本為“猛虎”,亦避唐諱(唐高祖的祖父李虎)。

    這二句用龍藏深淵、虎處高山比喻人應返故鄉。

     [6]“狐死”句:古人說狐狸本生丘陵中,到死時,頭總是朝着丘陵以示不忘。

    屈原《九章·哀郢》:“狐死必首丘。

    ” 陌上桑[1] (魏)曹操 駕虹蜺,乘赤雲[2]。

    登彼九疑曆玉門[3]。

    濟天漢,至昆侖[4],見西王母谒東君[5]。

    交赤松,及羨門[6],受要秘道愛精神[7]。

    食芝英,飲醴泉[8]。

    拄杖枝,佩秋蘭。

    絕人事,遊渾元[9]。

    若疾風遊欻飄飄[10]。

    景未移,行數千[11]。

    壽如南山不忘愆[12]。

     *** [1]《陌上桑》:這是《宋書·樂志》所錄《相和歌辭》中的《陌上桑》三首之一。

    此詩内容與古辭迥異,純屬遊仙之作。

    這種内容在《相和歌辭》的某些古辭中也有一些,據曹丕說,曹操本人并不信神仙。

    但他的詩中這一類詩卻有好幾首。

    大約是仿古辭而作。

    這裡選錄此首,以備一格。

     [2]虹蜺:古人認為虹是蛟龍一類東西,所以字從“蟲”,又認為雄虹叫“虹”,雌虹叫“蜺”。

    南朝劉敬叔《異苑》又記有虹進入人家釜中喝酒的故事,所以可駕。

    駕龍乘雲是古人幻想上天的方式。

     [3]九疑:即九疑山,在今湖南甯遠境,即虞舜葬地。

    玉門:本指君主的宮門,這裡應指天宮的門。

     [4]天漢:銀河。

    昆侖:山名,在今新疆、西藏之間。

    這裡當指古代傳說中衆神所居之山。

     [5]西王母:古代傳說中的女神,據說後羿曾向她求得不死之藥。

    東君:《楚辭·九歌》中的日神。

     [6]赤松:即赤松子,他和羨門都是古代所謂仙人。

     [7]“受要”句:被傳授長生的要道秘訣以怡養精神。

     [8]芝英:靈芝。

    醴泉:甘甜的泉水。

    古人認為二者都能使人長生。

     [9]渾元:天地的元氣。

     [10]欻(xū虛):忽然。

    這句是說自己忽如被疾風吹起,在天空飄飄遊蕩。

     [11]景:日光。

    這二句說倏忽之間飄行了幾千裡。

     [12]南山:即終南山,在今陝西。

    古人常以南山比喻長壽。

    愆(qiān謙):失誤。

    忘愆:偏義複辭,語出《詩經·大雅·假樂》:“不愆不忘。

    ”這句說長壽而無過失。

     短歌行[1] (魏)曹操 對酒當歌,人生幾何。

    譬如朝露,去日苦多[2]。

    慨當以慷,憂思難忘[3]。

    何以解憂,唯有杜康[4]。

    青青子衿,悠悠我心[5]。

    但為君故,沉吟至今[6]。

    呦呦鹿鳴,食野之蘋。

    我有嘉賓,鼓瑟吹笙[7]。

    明明如月,何時可掇[8]。

    憂從中來,不可斷絕[9]。

    越陌度阡,枉用相存[10]。

    契闊談讌,心念舊恩[11]。

    月明星稀,烏鵲南飛。

    繞樹三匝,何枝可依[12]。

    山不厭高,海不厭深[13]。

    周公吐哺,天下歸心[14]。

     *** [1]《短歌行》:《相和歌辭·清商三調歌詩·平調曲》之一。

    此曲據《宋書·樂志》及《樂府詩集》所載三首,都是曹操、曹丕所作,無古辭。

    曹操所作的除此詩外,還有“周西伯昌”一首,系詠周文王及齊桓公、晉文公事,但不如此首傳誦,所以這裡僅取這一首。

    此詩文字,《樂府詩集》載有二種,一是“晉樂所奏”;一為“本辭”。

    《宋書·樂志》所載為“晉樂所奏”;《文選》及《曹操集》等則用本辭。

    二篇文字頗有異同。

    《樂府詩集》所載本辭少“但為君故,沉吟至今”二句,疑誤脫。

    因為此詩四句一轉韻,當從《文選》補入。

    又“晉樂所奏”中少“越陌度阡”至“何枝可依”八句,而曹睿《步出夏門行》中卻又有“蹙迫日暮,烏鵲南飛,繞樹三匝,何枝可依”四句,疑晉代樂官删改拼湊之故。

    關于此詩用意,《樂府詩集》引《樂府解題》以為是“當及時為樂也”。

    清人張玉谷《古詩賞析》則認為“此歎流光易逝,欲得賢才以早建王業之詩”,批評《樂府解題》的說法“何其掉以輕心”,似最符合詩義。

    關于此詩寫作時代,自宋代蘇轼《前赤壁賦》講到赤壁之戰時引用了“月明星稀”等句,明羅貫中《三國演義》又通過想象,描寫為當時所作,遂使人以為此詩作于建安十三年(208),甚至認為所求的賢者即指劉備,恐未必然。

     [2]“去日”句:意思是說可歎逝去的時日已經太多了。

     [3]“慨當”二句:意思是說:人生短促,逝去的日子又很多,因此發憤,難忘功業未成的憂思。

     [4]杜康:傳說中善于釀酒的人,一說黃帝時人,一說周時人,此處代指酒。

     [5]衿(jīn今):衣領。

    悠悠:形容思念之長。

    這二句原出《詩經·鄭風·子衿》,據《毛詩故訓傳》,“青領”為古代學子所服,這裡借用此句以表達思念之情。

     [6]君:指被思念的賢者,當屬泛指。

    這兩句《樂府詩集》誤脫。

     [7]蘋:草名。

    舊注為“蒿”,餘冠英先生認為即艾蒿。

    “呦呦”四句:原出《詩經·小雅·鹿鳴》,據《毛詩序》及《齊詩》、《韓詩》遺說,均為求賢之意,這裡借以表示要招納賢才的心情。

     [8]掇(duō多):拾取。

    這兩句是以明月比喻賢才,表示想在故舊中招引賢才而常常難于招緻。

     [9]“憂從”二句:這二句承上二句而言,說人才難于求到,因此内心憂慮,無法消除。

     [10]陌、阡:都是田間通道。

    這句是說客人走了許多路。

    枉:指“枉駕”,一般用于尊者去訪問卑者。

    如《戰國策·韓策》:“仲子不遠千裡枉車騎而交臣。

    ”諸葛亮《出師表》:“猥自枉屈,三顧臣于草廬之中。

    ”存:存問;探訪。

    這句說賢才來訪問自己。

     [11]契闊:偏義複詞,“契”指聚合;“闊”指分隔。

    二字有時作聚合有時作分隔解。

    這裡似指聚合。

    與謝朓《辭随王子隆箋》“契闊戎旃”句用法相同。

    這兩句說與賢才相聚歡,心中懷念着過去的交誼。

     [12]“月明”四句:這四句是借“烏鵲”來比喻賢才中離開自己而遠投他方的人,終究無法找到容身之地,不如早日來歸。

     [13]“山不”二句:以山能容納土壤,海能容納細流,因此才得成其高深。

    這是說自己應招納各種人才。

     [14]“周公”二句:據《史記·魯周公世家》說,周公為了接見賢才,吃飯時聽說有人來訪,就吐出所吃的飯,趕快去見客。

    這裡表示自己要像周公那樣做,使天下人歸心于他。

     臨高台[1] (魏)曹丕[2] 臨台(行)高,高以軒[3]。

    下有水,清且寒。

    中有黃鹄往且翻。

    行為臣,當盡忠。

    願令皇帝陛下三千歲,宜居此宮[4]。

    鹄欲南遊,雌不能随。

    我欲躬銜汝,口噤不能開[5],欲負之,毛衣摧頹[6]。

    五裡一顧,六裡徘徊[7]。

     *** [1]《臨高台》:本為《漢铙歌》十八曲中的第十六曲。

    原文雲:“臨高台以軒,下有清水清且寒。

    江有香草目以蘭,黃鹄高飛離哉翻。

    關弓射鹄,令我主壽萬年。

    收中吾。

    ”曹丕此詩前半首(“宜居此宮”以前),大緻都是改寫《漢铙歌》的歌辭原意。

    “鹄欲南遊”以下,則大部分取自《相和歌辭·豔歌何嘗行》的“古辭”。

    《樂府詩集》卷三十九引《古今樂錄》曰:“王僧虔《技錄》雲:‘《豔歌何嘗行》,歌文帝《何嘗》、古《白鹄》二篇’。

    ”這說明曹丕此詩雖用《漢铙歌》曲名,實已依《相和歌辭》來演唱。

    同時從這首詩中也可看出樂府詩中切割、拼湊的情況。

     [2]曹丕(187—226):即魏文帝。

    字子桓,曹操次子,沛國谯(今安徽亳縣)人。

    建安時代曾任五官中郎将,魏國太子。

    曹操死後繼承王位,不久代漢自立。

    曹丕實際上是建安時代邺下文人集團的中心人物。

    他的《燕歌行》二首,是較早的成熟的七言詩;他的書信等骈文亦多名作;《典論·論文》尤為文學批評史上重要著作。

    明人輯有《魏文帝集》。

     [3]行:據聞一多說為衍文,當删。

    高以軒:據高處以為軒檻。

     [4]行為臣:即“既為臣”。

    這幾句雖與“铙歌”原文有相同的意思,但文氣不接,疑另有來處。

     [5]噤(jìn禁):口閉。

     [6]摧頹:凋零。

     [7]“五裡”二句:據古辭《豔歌何嘗行》,可知為雌鹄不能相随,所以雄鹄南遊時,戀戀不舍,以緻“五裡一顧,六裡徘徊”。

     善哉行[1](四首選三) (魏)曹丕 其二 上山采薇,薄暮苦饑。

    溪谷多風,霜露沾衣。

    野雉群雊[2],猿猴相追。

    還望故鄉,郁何累累[3]。

    高山有崖,林木有枝[4]。

    憂來無方,人莫之知。

    人生如寄,多憂何為。

    今我不樂,歲月其馳[5]。

    湯湯川流[6],中有行舟。

    随波轉薄,有似客遊。

    策我良馬,披我良裘。

    載馳載驅,聊以忘憂。

     其三 朝遊高台觀,夕宴華池陰。

    大酋奉甘醪,狩人獻嘉禽[7]。

    齊倡發東舞,秦筝奏西音。

    有客從南來,為我彈清琴。

    五音紛繁會,拊者激微吟[8]。

    淫魚乘波聽[9],踴躍自浮沉。

    飛鳥翻翔舞,悲鳴集北林。

    樂極哀情來,寥亮摧肝心[10]。

    清角豈不妙,德薄所不任[11]。

    大哉子野言[12],弭弦且自禁[13]。

     其四 有美一人,婉如清揚[14]。

    妍姿巧笑,和媚心腸[15]。

    知音識曲,善為樂方[16]。

    哀弦微妙,清氣含英。

    流鄭《激楚》,度宮中商[17]。

    感心動耳,绮麗難忘。

    離鳥夕宿,在彼中洲。

    延頸鼓翼,悲鳴相求。

    眷然顧之[18],使我心愁。

    嗟爾昔人,何以忘憂[19]。

     *** [1]《善哉行》:這是曹丕的拟作,本四首,其中五言二首,四言二首。

    今選錄的是其中的第二、三、四首;第一首除“長笛吹清氣”一句在南朝曾被視為名句而當作詩題外,全篇的内容和藝術成就似較一般,故未入選。

     [2]雊(ɡòu夠):雉鳴。

     [3]郁:深遠。

    累累:山岡重疊。

     [4]“高山”二句:用《說苑·善說篇》載《越人歌》中“山有木兮木有枝”句意,借以表達自己思鄉而被山林所遮蔽,遠望不見之苦。

     [5]馳:很快流失。

    此句用《詩經·唐風·蟋蟀》“今我不樂,日月其邁”語意。

     [6]湯湯(shānɡ商):大水流得很快的樣子。

     [7]大酋:主管造酒的官長。

    醪(láo勞):帶糟滓的醇酒。

    狩人:掌管狩獵的官員。

     [8]拊(fǔ府):一種形似鼓的樂器。

    這句說擊了拊,歌者就唱起來。

     [9]“淫魚”句:《荀子·勸學篇》:“昔者瓠巴鼓瑟而沉魚出聽。

    ”“沉魚”,《淮南子·說山訓》作“淫魚”。

     [10]寥亮:清澈之聲。

    這句說清澈的樂聲使人引起悲哀。

     [11]“清角”二句:“角”為五音之一。

    據《韓非子·十過篇》載,清角是最悲的音樂。

    春秋晉平公曾要求師曠奏清角,師曠說:“恐主君德薄,不足以聽之。

    ”平公堅持要聽,引來災異。

     [12]子野:師曠的字。

     [13]弭弦:停止演奏。

     [14]“有美”二句:本《詩經·鄭風·野有蔓草》中詩句。

    婉:美好。

    清揚:指眉目之間很漂亮。

     [15]妍:美。

    巧笑:笑得很美。

    《詩經·衛風·碩人》:“巧笑倩兮”。

    媚:使人喜悅。

     [16]樂方:演奏音樂的方法。

     [17]鄭:本指《詩經》中的《鄭風》,因孔子說過“鄭聲淫”的話,後來就把“鄭聲”代指俗樂。

    《激楚》:古代音樂名。

    枚乘《七發》:“于是乃發《激楚》之《結風》,揚鄭衛之皓樂。

    ”“宮”和“商”都是古代五音之一。

     [18]眷:留戀。

    眷然顧之:語出《詩經·小雅·大東》:“睠言顧之。

    ” [19]“嗟爾”二句:王夫之認為是說這種憂愁“古來有之”。

     短歌行[1] (魏)曹丕 仰瞻帷幕,俯察幾筵[2]。

    其物如故,其人不存。

    (一解)神靈倏忽,棄我遐遷[3]。

    靡瞻靡恃,泣涕連連[4]。

    (二解)呦呦遊鹿,銜草鳴麑。

    翩翩飛鳥,挾子巢栖[5]。

    (三解)我獨孤茕,懷此百離[6]。

    憂心孔疚,莫我能知。

    (四解)人亦有言,憂令人老。

    嗟我白發,生一何早。

    (五解)長吟永歎,懷我聖考。

    曰仁者壽,胡不是保[7]。

    (六解) *** [1]《短歌行》:這是曹丕哀悼曹操之死而作。

    據《樂府詩集》卷三十所引《古今樂錄》記載,王僧虔《技錄》講到魏代規定遇到節日及月朔要奏此曲,曲辭由曹丕作,他還曾“彈筝和歌”,聲調最美。

    現在看來這首詩文字也凄婉動人,對後人一些哀傷的詩文有一定影響。

     [2]帷幕:室内所挂帳幕。

    幾筵:幾和席。

    這兩句是說曹丕在曹操居室中看到曹操平生所用的物品和陳設。

     [3]“神靈”句:指曹操的神靈迅速離去。

    遐:遠。

    遷:離去。

     [4]靡:沒有。

    這兩句說自己見不到父親,無所依靠,因此哭泣,淚水不斷。

     [5]麑(ní泥):小鹿。

    “呦呦”四句:以鹿和鳥之愛育其子,比喻曹操對自己的養育之恩。

     [6]茕(qiónɡ窮):孤苦。

    離:同“罹”(lí黎),苦難。

    《詩經·王風·兔爰》:“我生之後,逢此百罹。

    ” [7]聖考:聖明的父親,(古人把死去的父親稱“考”)。

    胡:為什麼。

    這四句是說自己懷念死去的父親,人們都說仁者可以長壽,父親卻為什麼不能長保生命。

     飲馬長城窟行[1] (魏)曹丕 泛舟橫大江,讨彼犯荊虜[2]。

    武将齊貫甲[3],征人伐金鼓。

    長戟十萬隊,幽冀百石弩[4]。

    發機若雷電,一發連四五[5]。

     *** [1]《飲馬長城窟行》:這是曹丕借用舊調來寫他伐吳的事。

    黃初三年(222),他曾出兵讨伐孫權。

     [2]犯荊虜:侵犯荊州的敵人,指孫權。

     [3]貫:穿着。

     [4]石:重量名。

    古人以三十斤為鈞,四鈞為石。

    百石弩:指威力有百石之強的弓弩。

     [5]發機:古代武器,用以發射石塊。

    這兩句說發石的機具威力強大,可以連發四五塊石塊。

     丹霞蔽日行[1] (魏)曹丕 丹霞蔽日,采虹垂天。

    谷水潺潺,木落翩翩[2]。

    孤禽失群,悲鳴雲間。

    月盈則沖[3],華不再繁。

    古來有之,嗟我何言。

     *** [1]《丹霞蔽日行》:屬《相和歌辭·瑟調曲》,《樂府詩集》卷三十六引《古今樂錄》所述王僧虔《技錄》中《瑟調》曲名有三十六曲,無《丹霞蔽日行》。

    《樂府詩集》所錄,僅曹丕、曹植各一首。

    此首全文幾乎全部見于魏明帝(曹睿)“步出夏門行”一首,而詩又較曹植之作為短,疑非全篇。

     [2]翩翩:落葉飛舞的樣子。

     [3]沖:原指“虛”,《老子》:“道沖而用之。

    ”此指月亮虧缺。

     折楊柳行[1] (魏)曹丕 西山一何高,高高殊無極。

    上有兩仙童,不飲亦不食。

    與我一丸藥,光耀有五色。

     服藥四五日,身體生羽翼。

    輕舉乘浮雲,倏忽行萬億。

    流覽觀四海,茫茫非所識[2]。

     彭祖稱七百,悠悠安可原[3]。

    老聃适西戎,于今竟不還[4]。

    王喬假虛辭,赤松垂空言[5]。

     達人識真僞,愚夫好妄傳。

    追念往古事,愦愦千萬端[6]。

    百家多迂怪,聖道我所觀[7]。

     *** [1]《折楊柳行》:這首曹丕的拟作共分四解,前兩解講遊仙;後兩解卻是對神仙之說表示懷疑。

    黃節先生說:“《古今樂錄》曰:‘《十五》歌文帝辭,後解歌《西山一何高》、《彭祖稱七百》篇。

    ’則《西山》、《彭祖》原分二篇。

    ”黃先生還從音韻角度論證了一、二兩解與三、四兩解之别。

    陳祚明則認為“‘茫茫非所識’,正使果爾,亦複何歡?此意含蓄,校下文所辨尤深。

    ”因此認為曹丕“言神仙,則妄言也。

    ”據曹植《辨道論》,曹丕、曹植都不信神仙,則此詩三、四解似更能代表曹丕真實思想。

     [2]“茫茫”句:指在天上下視世界,但覺面目全非,茫然自失。

     [3]彭祖:傳說中殷代的賢人,活了七百歲。

    原:推究。

    這兩句說彭祖号稱活了七百歲,但傳說紛纭,哪能測其真假。

     [4]老聃(dān丹):老子名聃。

    這兩句是說老子騎牛到西戎之地去,至今并未回來,意為未必真成了仙。

     [5]王喬、赤松:見前古辭《善哉行》注〔3〕及古辭《步出夏門行》注〔5〕。

    這兩句說關于仙人的傳說均為虛妄。

     [6]愦愦:昏亂。

     [7]聖道:指孔子的學說。

    曹丕于黃初二年(222)曾下诏敕認為不應尊老子于孔子之上。

     燕歌行[1](二首) (魏)曹丕 其一 秋風蕭瑟天氣涼,草木搖落露為霜[2]。

    群燕辭歸雁南翔,念君客遊多思腸[3]。

    慊慊思歸戀故鄉,君何淹留寄他方[4]。

    賤妾茕茕守空房[5],憂來思君不可忘。

    不覺淚下沾衣裳,援琴鳴弦發清商[6]。

    短歌微吟不能長,明月皎皎照我床[7]。

    星漢西流夜未央,牽牛織女遙相望[8],爾獨何辜限河梁[9]。

     其二 别日何易會日難,山川悠遠路漫漫[10]。

    郁陶思君未敢言,寄聲浮雲往不還[11]。

    涕零雨面毀形顔,誰能懷憂獨不歎。

    展詩清歌仰自寬,樂往哀來摧肺肝[12]。

    耿耿伏枕不能眠,披衣出戶步東西[13],仰看星月觀雲間[14]。

    飛鸧晨鳴聲可憐[15],留連顧懷不能存[16]。

     *** [1]《燕歌行》:《相和歌辭·清商三調歌詩·平調曲》之一。

    《宋書·樂志》和《玉台新詠》所載,都為二首。

    但前者為“晉樂所奏”,後者則為“本辭”。

    《文選》則隻取第一首。

    《樂府詩集》所載此曲,第二首(“别日”)歌辭,有“晉樂所奏”和“本辭”兩種,字句頗有不同。

    看來第一首在晉代入樂時,對文字未作改動,所以各書所錄,僅有個别文字出入;第二首則出入較大。

    近人丁福保《全漢三國晉南北朝詩》認為:“按入樂之詞,率皆增損,本不足以為據。

    ”餘冠英先生《三曹詩選》所錄,也據《玉台新詠》所載“本辭”,今從之。

    據《樂府詩集》卷三十二引《樂府解題》等書說,這首詩是用婦女口吻,寫她丈夫行役到燕地,她因時節變換,出行者不歸而引起的怨曠思念之情。

    這首詩是文人七言詩中較早且較成熟之作,為曆來所傳誦。

     [2]“秋風”二句:“秋風蕭瑟”原出曹操《步出東西門行·觀滄海》詩。

    “草木搖落”原出《楚辭·九辯》:“蕭瑟兮,草木搖落而變衰。

    ”“露為霜”原出《詩經·秦風·蒹葭》:“白露為霜。

    ”這兩句是寫思婦在節令變換之際更加深了對行人的思念。

    這種襲用古人辭藻的手法,在魏晉六朝以後文人詩中經常使用,這二句顯得頗為突出,所以特予指出,以下不一一詳注。

     [3]雁:一作“鹄”。

    按:雁本是秋天避寒南飛,更令人想起行役北方(燕地)的丈夫不能南歸,故從《文選》、《玉台新詠》取“雁”不作“鹄”。

    “君”,《樂府詩集》作“吾”,疑誤。

    思腸:同“思心”。

     [4]慊(qiàn欠)慊:怨恨。

    這兩句是思婦想象行人在他方也在想念家鄉。

     [5]茕茕:孤獨無依。

     [6]清商:曲調名,其聲清切急促。

    《古詩·西北有高樓》:“清商随風發。

    ” [7]皎皎:明亮。

     [8]星漢:銀河。

    夜未央:夜還未盡。

    語出《詩經·小雅·庭燎》:“夜如何其,夜未央。

    ”“牽牛”、“織女”:都是星名。

    這裡暗用牛郎、織女不能相聚的故事自喻。

     [9]爾:你,指行人。

    辜:罪。

    《玉台新詠》作“幸”,誤。

    今從《宋書·樂志》及《文選》。

    河梁:山河關梁。

    這裡似暗用托名李陵《與蘇武詩》中“攜手上河梁”句意。

     [10]漫漫:長的意思。

     [11]郁陶:心中憂慮。

    《孟子·萬章》:“郁陶思君爾。

    ”“寄聲”句:指思婦想托浮雲帶信給征夫,而浮雲飄去不返。

     [12]“展詩”二句:意思說翻開詩卷加以吟唱來自我寬慰,但吟畢悲愁重來使内髒慘痛如裂。

    按:“晉樂所奏”曲辭,“耿耿”、“披衣”二句在“展詩”句之前;又“樂往哀來摧肺肝”句下多“悲風清厲秋氣寒,羅帷徐動經秦軒”二句。

     [13]耿耿:心中不安的樣子。

     [14]“仰看”句:意思是說舉頭望天,盼望天快亮。

    “看”,“晉樂所奏”作“戴”,丁福保認為“看”與“觀”重複,作“戴”稍勝。

     [15]鸧(cānɡ倉):鳥名。

    即鸧鸹,大如鶴,青蒼色或灰色,長頸,高腳。

     [16]“留連”句:意思是說觸景傷情,涕泣留連,心懷悲傷不能自慰。

    “能”,“晉樂所奏”作“自”。

    “自存”,當即自我存慰。

     秋胡行[1](三首選一) (魏)曹丕 其二 朝與佳人期,日夕殊不來。

    嘉肴不嘗,旨酒停杯。

    寄言飛鳥,告餘不能。

    俯折蘭英,仰結桂枝。

    佳人不在,結之何為。

    從爾何所之,乃在大海隅。

    靈若道言[2],贻爾明珠。

    企予望之[3],步立躊躇。

    佳人不來,何得何須。

     *** [1]《秋胡行》:《相和歌辭·清調曲》之一。

    “秋胡”本人名。

    據《列女傳》、《西京雜記》等書記載,都說秋胡是魯人,娶妻後不久即出門做官,回來時已不認得自己妻子,正遇她在郊外采桑,竟加以調戲。

    到家後妻子對他的輕佻極為反感,竟出門投河而死。

    古辭今佚,現存作品以曹操父子之作為最早。

    但曹操所作二曲,都講求仙;曹丕之作,亦與秋胡故事無關。

    隻有後來傅玄、顔延之之作與秋胡故事有關并留存至今。

    現在選錄曹丕《秋胡行》三首的第二首,以便大家對曹氏父子之作有所了解。

    此詩對後來江淹《雜體詩》三十首中的《休上人怨别》中名句“日暮碧雲合,佳人殊未來”有明顯的影響。

     [2]靈:指海神。

     [3]企予望之:同《詩經·衛風·河廣》“跂予望之”,意為我踮起腳來望她。

     見挽船士兄弟辭别詩[1] (魏)曹丕 郁郁河邊樹,青青野田草。

    舍我故鄉客,将适萬裡道。

    妻子牽衣袂,抆淚沾懷抱[2]。

    還拊幼童子,顧托兄與嫂。

    辭訣未及終,嚴駕一何早[3]。

    負笮引文舟,饑渴常不飽[4]。

    誰令爾貧賤,咨嗟何所道。

     *** [1]《見挽船士兄弟辭别詩》:此詩《樂府詩集》卷三十七作劉宋謝靈運的《折楊柳行》第二首,顯然是錯的。

    逯欽立先生根據《北堂書鈔》卷一百三十八、《初學記》卷十八和《白帖》卷六等引的詩句,考定為曹丕之作,題名也從《初學記》。

    這是完全正确的。

    但既然誤為《折楊柳行》,此詩當亦為樂府詩。

     [2]抆(wěn刎):擦去。

     [3]嚴駕:下令出發。

     [4]“負笮(zuó昨)”二句:牽着竹篾制的繩子拉船,時常挨饑渴。

     上留田行[1] (魏)曹丕 居世一何不同,上留田[2]。

    富人食稻與粱,上留田。

    貧子食糟與糠,上留田。

    貧賤亦何傷,上留田。

    祿命懸在蒼天,上留田。

    今爾歎息将欲怨誰,上留田。

     *** [1]《上留田行》:這首曹丕的拟作是感歎人間貧富的苦樂懸殊。

    但最後歸結為“祿命懸在蒼天”,有宿命論思想。

     [2]上留田:這裡似與古辭《董逃行》的“董逃”二字一樣,為每句末和聲之字,并無實意。

     釣竿[1] (魏)曹丕 東越河濟水,遙望大海涯。

    釣竿何珊珊,魚尾何簁簁[2]。

    行路之好者,芳餌欲何為[3]。

     *** [1]《釣竿》:此曲本是《漢铙歌》中曲名,在十八曲以外,據《樂府詩集》卷十六引《古今樂錄》說歌辭已佚。

    但“釣竿”二句,亦見《相和歌辭·白頭吟》(“珊珊”作“袅袅”),疑即取自該曲。

     [2]珊珊:《白頭吟》作“袅袅”。

    按:司馬相如《子虛賦》:“媻珊勃窣,上乎金堤。

    ”韋昭注:“媻珊,匍匐上下也。

    ”疑“珊珊”即形容釣竿抖動的樣子,與“袅袅”同義。

    簁簁:同“簁簁(xǐ徙)”,魚尾擺動的樣子。

     [3]這二句是質問喜釣魚的人用魚餌去誘釣魚是為什麼。

     十五[1] (魏)曹丕 登山而遠望,溪谷多所有[2]。

    楩楠千馀尺[3],衆草之盛茂。

    華葉耀人目,五色難可紀[4]。

    雉雊山雞鳴,虎嘯谷風起[5]。

    号罴當我道,狂顧動牙齒[6]。

     *** [1]《十五》:《相和歌辭·相和曲》之一。

    據《樂府詩集》卷二十六引《古今樂錄》載:南朝宋張永《元嘉伎錄》記《相和》有十五曲,第六曲叫《十五》。

    同書卷二十七引《古今樂錄》曰:“《十五》歌,(魏)文帝辭。

    ”按:《梁鼓角橫吹曲·紫骝馬歌辭》中有“十五從軍征”一首,《古今樂錄》說是“古詩”(見《樂府詩集》卷二十五)。

    不知《十五》的古辭,是否即那首。

    此首顯然是曹丕根據這一聲調另作的歌辭。

     [2]“登山”二句:寫登山所見溪谷中動植物品類繁多。

     [3]楩(pián骈):樹木名。

    楠(nǎn南):常綠喬木。

     [4]華:同“花”。

    這兩句說草木的花葉色彩繁多,難于詳述。

     [5]雊(ɡòu夠):雄雉鳴叫。

    谷風:山谷中的大風。

     [6]号罴:嚎叫的人熊。

    這兩句說熊罴擋住道路,發怒要吃人。

     陌上桑[1] (魏)曹丕 棄故鄉,離室宅。

    遠從軍旅萬裡客[2]。

    披荊棘,求阡陌[3]。

    側足獨窘步,路局笮[4]。

    虎豹嗥動,雞驚禽失,群鳴相索[5]。

    登南山,奈何蹈盤石[6]。

    樹木叢生郁差錯[7]。

    寝蒿草,蔭松柏[8]。

    涕泣雨面沾枕席[9]。

    伴旅單,稍稍日零落[10]。

    惆怅竊自憐,相痛惜[11]。

     *** [1]《陌上桑》:《宋書·樂志》又名《棄故鄉》,又雲:“亦在瑟調《東西門行》。

    ”這首詩寫從軍遠行,道路艱險之狀,較能反映漢末三國時的現實,與古辭及曹操拟作很不相同。

     [2]“遠從”句:是說從軍遠行客居萬裡之外。

     [3]“披荊棘”二句:指在荊棘叢中找尋道路。

     [4]側足:謹慎地插足。

    窘步:行道受困。

    笮(zhǎi窄):狹隘。

    《篇海》雲:“笮,狹也。

    ” [5]“虎豹”三句:寫荒野中恐怖景象。

    語出淮南小山《招隐士》:“虎豹鬥兮熊罴咆,禽獸駭兮亡其曹。

    ” [6]“登南山”二句:是說怎樣才能踩着安穩的大石。

     [7]郁差錯:是說茂密地叢生交錯,無從尋路。

     [8]“寝蒿草”二句:是說露宿于樹下草叢中。

     [9]雨面:形容流淚之多。

     [10]單:稀少。

    “稍稍”句:指同行的人漸漸死亡逃散。

     [11]“惆怅”二句:說既自憐,又痛惜同伴。

    上句語出《楚辭·九辯》:“惆怅兮私自憐。

    ” 薤露[1] (魏)曹植[2] 天地無窮極,陰陽轉相因[3]。

    人居一世間,忽若風吹塵[4]。

    願得展功勤,輸力於明君[5]。

    懷此王佐才,慷慨獨不群[6]。

    鱗介尊神龍,走獸宗麒麟[7]。

    蟲獸豈知德,何況於士人。

    孔氏删《詩》《書》,王業粲已分[8]。

    騁我徑寸翰,流藻垂華芬[9]。

     *** [1]《薤露》:這是曹植的拟作,主要寫人生短促,應該及時建功立業,傳名後世。

    在詩中他不但對自己的政治才能很自信,也頗想在文學上一展身手。

     [2]曹植(192—232):字子建,曹操子,曹丕弟。

    沛國谯(今安徽亳縣)人。

    早年以才學為時人所推崇,青少年時代,曾從曹操出征。

    年二十,封平原侯。

    經常和曹丕及王粲、劉桢等文人詩酒遨遊。

    曹操因欣賞他的才華,曾考慮立他為繼承者。

    一些年青文人如丁儀、丁廙、楊修等又竭力促成其事,但遭到曹操左右的人物反對,未能成事實。

    曹操死後,曹丕繼位,對他百般迫害。

    雖然名義上被封為藩王,實則如同囚徒。

    曹丕死後,他曾上表明帝曹睿,要求任用,都未得允許,終于抑郁而死。

    因封為陳王,谥思,因此又稱“陳思王”。

    有集三十卷,今佚,後人輯有《陳思王集》、《曹集铨評》及《曹植集》等。

     [3]“天地”二句:指天地永恒存在無終極,而寒暑陰陽互相疊代。

     [4]“人居”二句:是說人生短促,好比風吹起塵土。

     [5]展:舒展,發揮。

    輸力:盡力。

     [6]佐:是輔助的意思。

    王佐才:指足為帝王輔佐的才能。

    慷慨:指卓越不凡。

    不群:不同流俗。

     [7]鱗介:指長有鱗甲的魚和蟲。

    這兩句是以龍和麒麟的不凡,比喻人的傑出。

     [8]“孔氏”句:指孔子删定《詩經》和《尚書》。

    相傳古代《詩》有三千篇,孔子删為三百零五篇;《尚書》據說也是由孔子删定的,删定後為百篇。

    王業:指孔子删定《詩》、《書》之大業。

    孔子在古代被稱為“素王”。

    意為孔子給後世王業留下了大業。

    粲:鮮明。

    這二句是說孔子删定《詩》《書》後,王者的事業已很分明。

     [9]騁:馳騁,這裡也是發揚才能之意。

    翰:筆。

    徑寸翰:形容大手筆。

    流:發揮。

    藻:文藻,文采。

    華芬:以文章垂譽後世。

    這兩句是說要用文學才能留名後世。

     篇[1] (魏)曹植 遊潢潦[2],不知江海流。

    燕雀戲藩柴,安識鴻鹄遊[3]。

    世事此誠明,大德固無俦[4]。

    駕言登五嶽,然後小陵丘[5]。

    俯觀上路人,勢利惟是謀[6]。

    高念翼皇家,遠懷柔九州[7]。

    撫劍而雷音,猛氣縱橫浮[8]。

    泛泊徒嗷嗷,誰知壯士憂[9]。

     *** [1]《篇》:《樂府詩集》卷三十雲:“一曰《篇》。

    《樂府解題》曰:‘曹植拟《長歌行》為《》’。

    ”按:“”同“蝦”;“”,《玉篇》卷二十四雲:“市演切,魚似蛇。

    ”又雲“,同上。

    ”據此當為今鳝魚之“鳝”。

    有的版本作“”,誤。

    這首詩是以蝦、鳝等小動物,比喻目光短淺,隻求勢利的小人,抒寫了自己想建功立業的壯志。

     [2]潢潦(huànɡlǎo黃老):積水的池沼或路上積水處。

     [3]藩柴:籬笆。

    安:豈能。

    鴻鹄:一種能遠飛的大鳥,即天鵝。

     [4]“世事”句:一本作“世士誠明性”。

    趙幼文《曹植集校注》從之,以“性”作“命”解,認為是世士“能了解己之命運”;餘冠英先生《三曹詩選》從又一本作“世士此誠明”,認為“此誠明”是說“誠明乎此”,即“真正明白了這一點”。

    據此則這一句似可釋為“對世間的事情如真能明白這個道理”。

    從《樂府詩集》原文亦可通。

    “大德”句:意謂有大德行的人非常人所可比拟。

     [5]駕言:駕車出行。

    言是語助詞。

    這二句暗用《孟子》中說孔子登泰山而小天下的意思,說登上峻高的五嶽,俯視丘陵,方覺其渺小。

     [6]上路:當即“路上”。

    上路人:指馳骛道路以謀仕宦的人。

    “勢利”句:意同“惟勢利是謀”,即隻知謀求勢利。

     [7]“高念”句:一作“雠高念皇家”。

    按:“高念”與下句“遠懷”正好是對仗,故從宋刊本《曹子建文集》改。

    翼:輔助。

    柔:安撫。

    九州:古人把中國分為九州,這裡代指天下。

    這二句是說自己有高遠的大志,想輔佐皇室,統一天下。

     [8]雷音:憤怒大呼之聲。

    縱橫:四散傳播。

    浮:飄達四方。

    這兩句暗用《莊子·說劍篇》中說諸侯的寶劍一經使用,便如“雷霆之震”,使國内無不服從的典故。

     [9]泛泊:飄浮于水上。

    嗷嗷:呼叫聲。

    這句暗用《楚辭·蔔居》“将汜汜若水中之凫”句意,用野鴨在水面飄泊浮沉以求食,喻惟勢力是謀的小人。

    這二句承上文“勢利唯是謀”而來,指這些奔走于勢利的人,哪裡知道“壯士”(作者自喻)之志。

     籲嗟篇[1] (魏)曹植 籲嗟此轉蓬,居世何獨然[2]。

    長去本根逝,夙夜無休閑[3]。

    東西經七陌,南北越九阡[4]。

    卒遇回風起[5],吹我入雲間。

    自謂終天路,忽然下沉淵。

    驚飚接我出,故歸彼中田[6]。

    當南而更北,謂東而反西。

    宕宕當何依[7],忽亡而複存。

    飄飄周八澤,連翩曆五山[8]。

    流轉無恒處,誰知吾苦艱。

    願為中林草[9],秋随野火燔。

    糜滅豈不痛,願與株荄連[10]。

     *** [1]《籲嗟篇》:《三國志·魏志》本傳裴注引此詩為“瑟調歌辭”;《樂府詩集》據《樂府解題》以為拟《苦寒行》之作。

    此詩為哀歎曹丕、曹睿迫害宗室諸侯而作。

     [2]“籲嗟”二句:以秋天的蓬草離去本根,随風飄蕩,比喻曹植的屢次遷徙封邑。

     [3]夙夜:早晨到夜間。

     [4]阡:田間南北的通道。

    陌:田間東西的通道。

     [5]卒:同“猝”(cù促),突然。

    回風:即旋風。

     [6]飚:從下而上的狂風。

    中田:即田中。

     [7]宕宕:同“蕩蕩”。

     [8]八澤:指《漢書·嚴助傳》所謂“八薮”,即魯之大野,晉之大陸,秦之楊汙,宋之孟諸,楚之雲夢,吳越之具區,齊之海隅,鄭之圃田。

    五山:即五嶽。

     [9]中林草:即林中草。

     [10]株荄(ɡāi該):草的根株。

     野田黃雀行[1](二首) (魏)曹植 其一 置酒高殿上,親交從我遊。

    中廚辦豐膳,烹羊宰肥牛。

    秦筝何慷慨,齊瑟和且柔[2]。

    陽阿奏奇舞,京洛出名讴[3]。

    樂飲過三爵[4],緩帶傾庶